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चीन के साथ सीमा गतिरोध में भारत का नया पंच, कहा-LAC ही नहीं सरहदी इलाकों में सैन्य जमावड़ा भी घटाए चीन
6 जून को चुशूल-मोल्डो में हुई दोनों मुल्कों के सेना कमांडरों की बातचीत में भारत ने अपनी बाते खरे शब्दों में रख दी है. भारत ने पांच बिंदुओं में अपनी बात दृढ़ता से रखी है.
नई दिल्लीः वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बीते करीब एक महीने से चल रहे सीमा गतिरोध में चीन के लिए भी रणनीतिक चौसर का यह खेल पेचीदा होने लगा है. केवल संख्याबल के सहारे इस खेल में शह और मात की सोच का पाला भारत के नए पैंतरों से पड़ा है.
शीर्ष सैन्य सूत्रों के मुताबिक गत 6 जून को चुशूल-मोल्डो में हुई दोनों मुल्कों के सेना कमांडरों की बातचीत में भारत ने अपनी बातें खरे तरीके से सामने रख दी हैं. करीब छह घंटे चले इस बातचीत में भारत ने मुख्य रूप से पांच अहम बातें कही हैं-
1. LAC पर तनाव का सबब बने गतिरोध के मोर्चों पर अपने ऐतराज बाकायदा दर्ज करवाए चीन
यानी चीन को बताना होगा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर उसके ऐतराज का मुद्दा क्या है? उसके लिए LAC की हद क्या है और जमीन पर उसका दायरा कैसा है? अतीत में बार-बार अपने दावे और उनका दायरे को बदलते रहे चीन के लिए यह टेढ़ा पैंतरा है. ऐसे में अगर वो भारत की बात मानता है तो अगली बार उसके लिए अपने दावे को बदलना मुश्किल होगा. वहीं इस बात से पीछे हटता है तो तो उसकी चाल बेपर्दा होगी.
2. पहले आगे बढ़ा चीन तो कदम भी वही पहले पीछे खींचे
यानी भारत ने साफ कर दिया है कि LAC पर भारत के सैन्य ढांचागत निर्माण के खिलाफ ऐतराज जताने के लिए चूंकि चीन के सैनिक पहले आगे बढ़े और उन्होंने अपने तंबू लगाए थे. लिहाजा वापस भी उन्हें ही पहले लौटना होगा. वो वापस लौटेंगे तभी भारत भी अपने सैनिकों को वापस लौटाएगा. भारत ने 6 जून को हुई सैन्य कमांडर स्तर बातचीत के पहले और बाद में चीन की देखादेखी अपने सैनिकों को पीछे कर इस बाबत अपनी मंशा जाहिर भी कर दी.
3. LAC ही नहीं पीछे सरहदी इलाकों में सैन्य जमावड़ा भी घटाए चीन
भारत ने साफ कर दिया है कि चीन को लेकर सैन्य गतिरोध के लिए सीमा पर बढ़ाए अपने सैनिकों को ही पीछे नहीं लेना होगा. बल्कि उनके सपोर्ट के लिए पीछे के ठिकानों पर जमा किए गए सैनिक लाव-लश्कर को भी मई के शुरुआती दिनों की स्थिति तक कम करना होगा. यदि चीन ऐसा नहीं करता है तो वो बातचीत के लिए माहौल खराब करता नजर आएगा. वहीं यदि सैन्य कटौती करता है तो भी भारत का फायदा ही है.
4. चीनी सेना बांधेगी मोर्चे तो भारतीय सेना भी लगाए रहेगी तंबू
मतलब साफ है. चीन के आक्रामक तेवर और शक्ति प्रदर्शन भारत के सामने बेअसर है. ऐसे में चीन यदि वाकई सीमा तनाव कम करना चाहता है तो उसे अपने सैनिकों को पीछे की स्थिति में लौटाना होगा. सीमा पर चल रहा तनाव अभी कुछ हफ्तों और चलता रहता है तो भी भारत इसके लिए तैयार है. लिहाजा अब गेंद आगे बढ़े चीन के पाले में है. पीछे हटना या बैठे रहना दोनों उसका फैसला होगा.
5. चीन ने सड़कें बनाई तो अब भारत के निर्माण पर ऐतराज क्यों ?
अब तक सीमा पर दशकों से बेरोकटोक और बेतहाशा तरीके से सैन्य ढांचा बना रहे चीन के लिए बातचीत की मेज पर यह सुनना काफी कड़ावा रहा होगा कि सड़क उसने बनाई है तो भारत की सड़क पर ऐतराज क्यों. गलवान घाटी इलाके में चीन गलवान पोस्ट से आगे लगातार सड़क निर्माण कर रहा है. वहीं भारत गलवान घाटी इलाके में पेट्रोलिंग प्वाइंट संख्या 14 तक अपने इलाके में सड़क बनाने पर ऐतराज कर रहा है. कुछ ऐसी ही कहानी लद्दाख समेत LAC से सटे कई अन्य इलाकों में भी है. चीन अपने सड़क निर्माण को तो स्थानीय चरवाहों और गडरियों की जरूरत के लिहाज से जायज बताता है. वहीं भारत के सैन्य निर्माण पर आपत्ति जताता है. हालांकि अब भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि चीन ने सड़क बनाई है तो भारतीय इलाके में भी स्थानीय लोगों की जरूरत के लिए सड़क बनाना जायज है. और इस मामले में पीछे हटने का कोई सवाल नहीं.
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राजेश शांडिल्यसंपादक, विश्व संवाद केन्द्र हरियाणा
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