जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल: जीवन में तर्कसंगतता की कमी को लेकर क्या कुछ बोले अमेरिकन लेखक स्टीवन पिंकर, जानिए
स्टीवन पिंकर ने कहा कि आज एक ऐसा वक्त है जब लोग खुद को सही और दूसरों को गलत समझते हैं. इसका असर आज पूरी दुनिया पर हो रहा है. यह असर इकोनॉमी और पॉलिटिकल सिनेरियो पर भी पड़ रहा है.
अमेरिकी लेखक स्टीवन पिंकर ने जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन एक सत्र में अपनी नई किताब Rationality: What It Is, Why It Seems Scarce, Why It Matters पर बात की. मिहिर एस शर्मा के साथ बातचीत में पिंकर ने बताया कि कैसे यह किताब उनके लिए घर वापसी की तरह है.
उन्होंने कहा, तर्कसंगतता, कई मायनों में, मेरे लिए घरेलू मैदान पर वापसी है. उन्होंने कहा कि आज ऐसा वक्त है जब तार्किकता सही और गलत के बीच फंसी हुई है.
स्टीवन पिंकर ने कहा कि आज एक ऐसा वक्त है जब लोग खुद को सही और दूसरों को गलत समझते हैं. इसका असर आज पूरी दुनिया पर हो रहा है. यह असर इकोनॉमी और पॉलिटिकल सिनेरियो पर भी पड़ रहा है. कई देश इसका उपयोग बायस्ड तरीके से कर रहे हैं.
उन्होंने अपनी किताब रैशनेलिटी: वॉट इट इज,वॉय इट सीम्स स्केरी, वॉय इट मैटर्स पर बात करते हुए लेखकों की दुनिया का भी जिक्र किया और कहा कि लेखकिय दुनिया भी सही और गलत में फंसी हुई है. उन्होंने बताया कि तार्किकता आज मानव जीवन के लिए जरूरी है लेकिन हर हाल में लोग बस जीतना चाहते हैं.
उन्होने कहा कि तार्किकता जीवन के लिए बेहतर है क्योंकि यही आगे बढ़ने में मदद करती है. तर्कसंगतता हमें और सशक्त बनाती है.
वह कहते हैं कि मनुष्य ने ही आखिरकार प्रकृति के नियमों की खोज की, हमारे जीवन को लंबा और समृद्ध किया और तर्कसंगतता के लिए मानक निर्धारित किए हैं, लेकिन यह भी सही है कि हम वास्तव में उन तरीकों से सोचते हैं जो हमारे लिए आसान होते हैं और उन्हीं पर हम अपना अधिकांश जीवन बिताते हैं और तर्क शक्ति पर आधारित महत्वपूर्ण सोच,संभावनाओं का लाभ उठाने में असफल रहते हैं.
आपको बता दें कि स्टीवन आर्थर पिंकर एक कनाडाई-अमेरिकी मनोवैज्ञानिक, लोकप्रिय विज्ञान लेखक और बुद्धिजीवी हैं. वह विकासवादी मनोविज्ञान और मन के कम्प्यूटेशनल सिद्धांत के पैरोकार हैं.