बिहार चुनाव: तेजस्वी का यादव वोट तोड़ने की नीतीश कुमार की ट्रिपल प्लानिंग
नीतीश कुमार ने बिहार के तीन बड़े यादव परिवारों को आगे कर तेजस्वी का खेल बिगाड़ने की रणनीति बनाई है.
पटना: बिहार के सीएम नीतीश कुमार इस बार तेजस्वी यादव के वोट बैंक में सेंध लगाने में जुटे हैं. उनकी नज़र आरजेडी के यादव वोटरों पर है. इसीलिए उन्होंने 14 यादव नेताओं को टिकट दिया है. लालू यादव और उनके लाल तेजस्वी की काट के लिए उन्होंने तीन बड़े यादव परिवारों पर दांव लगाया है. बिहार की राजनीति में इन परिवारों का बड़ा मान सम्मान रहा है.
नीतीश कुमार ने जाति में प्रतीक की राजनीति का तड़का लगाया है. देश में जब भी पिछड़ों के हक़ और सम्मान की बात होती है, वी पी मंडल का नाम ज़रूर आता है. उन्होंने ही पिछड़ों के आरक्षकों फ़ार्मूला दिया था. जिसे मंडल आयोग की सिफ़ारिशें कहते हैं. मंडल के पोते निखिल मंडल को जेडीयू ने मधेपुरा से टिकट दिया है. वे पार्टी के प्रवक्ता भी हैं. मधेपुरा को यादवों का गढ़ कहा जाता है. नारे लगते हैं रोम पोप का तो मधेपुरा गोप का.. यादव को गोप भी कहते हैं. लालू यादव और शरद यादव यहां से सांसद भी रह चुके हैं. मंडल परिवार के बहाने नीतीश कुमार सामाजिक न्याय के लालू की धार कम करना चाहते हैं.
नीतीश कुमार की है ये रणनीति
बिहार के लोग राम लखन सिंह यादव को आज भी नहीं भूले हैं. लालू यादव से पहले वही यादवों के सबसे बड़े नेता माने जाते थे. वे केन्द्र में मंत्री रहे. उससे पहले बिहार में मंत्री रहे. उन्हें शेर ए बिहार कहा जाता था. उनके पोते जयवर्धन यादव पिछली बार आरजेडी से विधायक चुने गए थे. इस बार जेडीयू ने उन्हें पालीगंज से टिकट दिया है. इलाक़े के लोग उन्हें बच्चा यादव के नाम से जानते हैं. उन्हें टिकट दिए जाने से ही नाराज़ होकर बीजेपी की उषा विद्यार्थी एलजेपी में चली गई हैं.
दारोग़ा प्रसाद राय बिहार के मुख्यमंत्री थे. 1970 में कांग्रेस की सरकार में वे दस महीनों के लिए सीएम रहे. उनके बेटे चंद्रिका राय बाद में लालू यादव के साथ चले गए. लालू की सरकार में वे कई सालों तक मंत्री रहे. बाद में दोनों रिश्तेदार बन गए. चंद्रिका की बेटी ऐश्वर्य से लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप की शादी हुई. ये रिश्ता अब तलाक़ तक आ पहुंचा है. पिछले ही महीने चंद्रिका आरजेडी छोड़कर जेडीयू में शामिल हो गए. अब नीतीश कुमार ने उन्हें सारण के परसा सीट से टिकट दिया है. इलाक़े के यादव वोटरों में उनकी अच्छी पकड़ है. चर्चा तो ये भी थी कि उनकी बेटी ऐश्वर्य हसनपुर से तेज प्रताप के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ सकती हैं. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. नीतीश कुमार ने बिहार के तीन बड़े यादव परिवारों को आगे कर तेजस्वी का खेल बिगाड़ने की रणनीति बनाई है.
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