नई दिल्ली: कांग्रेस नेता शशि थरूर ने रविवार को कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम और राष्ट्रीय नागरिक पंजी के कार्यान्वयन से साबित होगा कि मुहम्मद अली जिन्ना सही थे कि मुसलमानों के लिए एक अलग राष्ट्र होना चाहिए. उनकी कथित टिप्पणी एक सवाल का जवाब देते हुए आई है कि क्या सीएए के कार्यान्वयन से मोहम्मद अली जिन्ना के दो-राष्ट्र सिद्धांत (Two-nation Theory) की पूर्ति होगी, उन्होंने कहा, "मैं यह नहीं कहूंगा कि जिन्ना जीत गए हैं लेकिन वह जीत रहे हैं."


शशि थरूर ने आगे कहा कि ''अगर सीएए, एनपीआर और एनआरसी की ओर जाता है, तो वह उसी लाइन को आगे बढ़ाएगा. अगर ऐसा होता है, तो आप कह सकते हैं कि जिन्ना की जीत पूरी हो गई है.'' थरूर ने कहा, ''जिन्ना जहां भी हैं, वे कहेंगे कि वह सही थे कि मुसलमानों के लिए एक अलग राष्ट्र होना चाहिए क्योंकि हिंदू, मुसलमानों के साथ नहीं रह सकते.'' बता दें कि सीएए पहले ही लागू हो चुका है लेकिन एनआरसी पर चर्चा शुरू होनी बाकी है. इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि राष्ट्रव्यापी एनआरसी पर अभी तक कोई चर्चा नहीं हुई है.






इससे पहले शशि थरूर ने कहा था कि सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित करना एक राजनीति कदम है क्योंकि नागरिकता देने में राज्यों की बमुश्किल कोई भूमिका है. थरूर का बयान ऐसे समय में आया था जब कांग्रेस शासित राज्य पंजाब ने विधानसभा में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया है.


क्या है नागरिकता कानून?


नागरिकता कानून में तीन देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए छह अल्पसंख्यकों हिंदू, जैन, इसाई, पारसी, सिख और बौद्ध को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद से पारित नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को 12 दिसंबर को अपनी संस्तुति प्रदान की थी. राष्ट्रपति की संस्तुति के साथ ही यह कानून बन गया था और यह 10 जनवरी को जारी अधिसूचना के बाद देश में लागू हो गया है.


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