नई दिल्ली: इस साल के आखिरी मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को देश के विकास में योगदान के लिए युवाओं के सशक्तिकरण की वकालत करते हुए कहा कि 21वीं सदी में जन्म लेने वाले लोग ही बदलाव लाएंगे. आगामी 12 जनवरी को पड़ने वाली स्वामी विवेकानंद जयंती का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने देश के युवाओं से सकारात्मक बदलाव के लिए संकल्प लेने को कहा. विवेकानंद जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है.


राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हालिया कन्याकुमारी स्थित विवेकानंद रॉक दौरे और उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू के रणोत्सव में शामिल होने के लिए गुजरात के कच्छ दौरे को प्रेरणादायक बताते हुए उन्होंने लोगों से देश में मौजूद इन पर्यटन स्थलों का दौरा करने के लिए कहा.


प्रधानमंत्री ने कहा, ''2019 की विदाई के पल हमारे समाने हैं, अब हम न सिर्फ नए साल में प्रवेश करेंगे, बल्कि नए दशक में प्रवेश करेंगे. इसमें देश के विकास को गति देने में वे लोग सक्रिय भूमिका निभाएंगे, जिनका जन्म 21वीं सदी में हुआ है. इन दिनों हमारे देश के युवा सही व्यवस्था को पसंद करते हैं, वे सिस्टम को फोलो करते हैं. युवाओं को अराजकता के प्रति नफरत है. अव्यवस्था, अराजकता के प्रति उन्हें चिढ़ है. जातिवाद, परिवारवाद जैसी अव्यवस्था को वो पसंद नहीं करते हैं.''


स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ''जी कहते थे कि युवावस्था की कीमत को न आंका जा सकता है. ये जीवन का सबसे मूल्यवान कालखंड होता है. आपका जीवन इस पर निर्भर करता है कि आप अपनी युवावस्था का उपयोग किस प्रकार करते हैं. मुझे विश्वास है कि भारत में ये दशक न सिर्फ युवाओं के विकास के लिए होगा बल्कि युवाओं के सामर्थ्य से देश का विकास करने वाला भी साबित होगा. भारत को आधुनिक बनाने में युवा पीढ़ी की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है.''


प्रधानमंत्री ने एक बार फिर स्थानीय वस्तुओं को खरीदने के लिए भी अपील की. प्रधानमंत्री ने कहा, ''मैंने 15 अगस्त को लालकिले से देशवासियों से एक आग्रह किया था और देशवासियों से स्थानीय खरीदने का आग्रह किया था. आज फिर से मेरा सुझाव है कि क्या हम स्थानीय स्तर पर बने उत्पादों को प्रोत्साहन दे सकते हैं? तुमन क्या उन्हें अपनी खरीदारी में स्थान दे सकते हैं?''


पीएम ने कहा, ''महात्मा गांधी ने स्वदेशी की इस भावना को एक ऐसे दीपक के रूप में देखा जो लाखों के जीवन को रोशन करता हो. गरीब से गरीब के जीवन में समृद्धि लाता हो. सौ साल पहले गांधी जी ने एक बड़ा जन आन्दोलन शुरु किया. इसका एक लक्ष्य था भारतीय उत्पादों को प्रोत्साहित करना. क्या हम संकल्प ले सकते हैं कि 2022 तक जब आजादी के 75 वर्ष पूरे होंगे, इन 2-3 साल हम स्थानीय उत्पाद खरीदने के आग्रही बनें?''