नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने पहली बार पीने के पानी की रैंकिंग जारी की है. रैंकिंग में जहां मुम्बई में पीने का पानी सबसे शुद्ध पाया गया वहीं दिल्ली में इसकी शुद्धता सबसे कम पाई गई. अब सरकार इस रैंकिंग के बाद पीने के पानी की शुद्धता का एक तय पैमाना अनिवार्य करने पर विचार कर सकती है.


एबीपी न्यूज़ को मिली जानकारी के मुताबिक़ रैंकिंग के जो नतीजे आए हैं वो सरकार के लिए चौंकाने वाले हैं और सरकार इसमें सुधार चाहती है. रिपोर्ट को जारी करने वाले उपभोक्ता मंत्रालय के मंत्री रामविलास पासवान ने एबीपी न्यूज़ को ये संकेत दिया है कि जबतक शुद्धता का एक तय स्तर अनिवार्य नहीं बनाया जाएगा तब तक सुधार होना मुश्किल है. पासवान ने कहा अब इस रैंकिंग के बाद बड़ा सवाल ये है कि क्या राज्य सरकारें अपने यहां मुहैया हो रहे पानी की शुद्धता का पैमाना तय करेंगी ? मुझे लगता है इस बात पर विचार होना चाहिए कि शुद्धता का एक पैमाना अनिवार्य बनाया जाए.


जल्द राज्यों से हो सकती है बैठक


सूत्रों के मुताबिक पीने के पानी की रिपोर्ट पर चर्चा के लिए सरकार जल्द राज्य सरकारों से बैठक कर पानी की शुद्धता तय करने के उपायों पर चर्चा कर सकती है. उपभोक्ता मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि सभी राज्यों को एक पत्र भी लिखा गया है जिसमें इस रैंकिंग के बाद पानी को साफ करने की जरूरत पर जोर दिया गया है.


मुंबई का सबसे शुद्ध तो दिल्ली का पानी सबसे अशुद्ध


शनिवार को उपभोक्ता मंत्री रामविलास पासवान ने भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट जारी की. रिपोर्ट में कुछ चौंकाने वाले परिणाम आए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक देश की राजधानी दिल्ली का पानी शुद्धता के मामले में सबसे फिसड्डी साबित हुई है. दिल्ली से लिया गया पानी का सैम्पल शुद्धता के किसी भी पैमाने पर खरा साबित नहीं हुआ है. हालांकि आप नेता संजय सिंह ने इसे केंद्र सरकार की साजिश बताया है. वहीं इसी तरह कोलकाता, पटना, लखनऊ और गांधीनगर जैसे बड़े शहरों में भी पानी की शुद्धता काफी कम पाई गई है.


देश के 21 शहरों के पानी की रैंकिंग जारी- नंबर वन बना मुंबई, राजधानी दिल्ली सबसे फिसड्डी