Uttarkashi Tunnel Rescue Operation: उत्तरकाशी सुरंग से मजदूरों के निकाले जाने पर क्या कह रहा विदेशी मीडिया?
Uttarkashi Tunnel Rescue Successful: अल-जजीरा ने भारतीय मजदूरों की निकासी को प्रमुखता से जगह दी है. अल-जजीरा ने लिखा कि जिस इलाके में सुरंग बनी है वहां भूस्खलन, भूकंप और बाढ़ का खतरा बना रहता है.
Uttarkashi Tunnel Rescue: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले की सिल्क्यारा-बारकोट सुरंग में 17 दिनों तक फंसे रहने के बाद 41 मजदूरों को कड़ी मशक्कत के बाद सही सलामत बाहर निकाल लिया गया. सभी मजदूरों को अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है. इसमें अधिकतर मजदूर पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, यूपी से थे. मजदूरों की निकासी को दुनिया भर की मीडिया ने कवरेज दी है.
ब्रिटेन के अखबार द गार्जियन ने लिखा, "400 घंटों तक सुरंग में फंसे होने के दौरान कई बाधाएं आईं, मजदूरों को निकालने के लिए कई तरह के 'झूठे' वादे किए गए लेकिन मंगलवार की रात को मजदूर बाहर आए." अखबार ने लिखा, "जिस सुरंग में मजदूर फंसे थे वह पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक है."
'कई सुरंगों का होगा ऑडिट'
द गार्जियन ने इस मामले की जांच कर रहे विशेषज्ञों के पैनल का हवाला देते हुए लिखा, "सिल्क्यारा-बारकोट सुरंग में कोई आपातकालीन निकास नहीं था. वहीं भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को देश भर में बनाई जा रही 29 अन्य सुरंगों का ऑडिट करने का निर्देश दिया गया है."
वॉशिंगटन पोस्ट ने क्या कहा?
अमेरिकी अखबार द वॉशिंगटन पोस्ट ने 'भारत में बचावकर्मी हफ्तों से टनल में फंसे 41 लोगों तक पहुंचे' शीर्षक से खबर छापी है. अखबार ने लिखा, "लगभग 300 फीट नीचे एक ढही सुरंग में फंसे 41 मजदूरों तक पहुंचने में लगभग तीन हफ्ते लग गए, अंत में उन्हें हाथों और फावड़ों के सहारे सुरंग खोदकर निकाला गया."
अखबार लिखता है, "ये सुरंग परियोजना चीन के साथ भारत की विवादास्पद और विवादित सीमा के नजदीक एक प्रमुख बुनियादी ढांचे का हिस्सा है. यह उत्तरी भारत में हिंदू धार्मिक स्थलों को जोड़ने वाली सड़कों, पुलों और सुरंगों के एक नए नेटवर्क का भी हिस्सा है, जिसे अगले साल के चुनाव से पहले वोट बैंक को साधने के लिए तैयार किया गया है."
'सरकार ने सुरक्षा चेतावनी को किया नजरअंदाज'
द वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा, "2021 में एक समिति ने इस परियोजना के बारे में पर्यावरण से जुड़ी समस्यओं को लेकर देश के शीर्ष न्यायालय का ध्यान खींचा था, लेकिन तब सरकार ने कहा था कि जंग के हालात में इस रास्ते के इस्तेमाल से सीमा पर हथियारों को जल्द भेजा जा सकेगा." अखबार ने लिखा, "तमाम सुरक्षा चेतावनियों को नजरअंदाज करते हुए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि रक्षा के लिहाज से सड़कों का चौड़ीकरण महत्वपूर्ण है."
'भूस्खलन, भूकंप और बाढ़ का खतरा'
बांग्लादेश की चर्चित अखबार द डेली स्टार ने लिखा, "17 दिनों तक सुरंग में फंसे होने के बाद आखिरकार मजदूर बाहर निकल आए." अखबार ने लिखा, "जो मजदूर सुरंग में फंसे थे वे भारत के कुछ राज्यों से आते हैं. बचाव के लिए सुरंग को खोदे जाने के करीब 6 घंटे बाद सभी मजदूर बाहर आ पाए."
मध्य पूर्व और कतर सरकार की ओर से वित्तपोषित न्यूज़ चैनल अल-जजीरा ने भारतीय मजदूरों की निकासी को प्रमुखता से जगह दी है. अल-जजीरा ने लिखा, "जिस इलाके में सुरंग बनी है वहां भूस्खलन, भूकंप और बाढ़ का खतरा बना रहता है."