नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली केवल 28500 करोड़ रुपये की कीमत पर वेतनभोगियों और मध्यमवर्ग को बड़ी राहत दे सकते हैं. ये कहना है कि भारतीय स्टेट बैंक समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष का जिनकी अगुवाई में तैयार की गयी रिपोर्ट इकोरैप में टैक्स छूट में फेरबदल करने का खाका पेश किया गया है. आय़कर छूट रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार समय-समय पर आय़कर छूट की सीमा बढ़ाती रही है. ये सीमा 1990-91 में 22 हजार रुपये थी जो अब ढ़ाई लाख रुपये तक पहुंच चुकी है. दूसरे शब्दों में ढ़ाई लाख रुपये तक की सालाना आमदनी पर आयकर नहीं लगता. अब ये धारणा मजबूत हो रही है कि इस सीमा को बढ़ाकर तीन लाख रुपये किया जाना चाहिए. रिपोर्ट का दावा है कि 50 हजार रुपये सीमा बढ़ाये जाने पर 75 लाख कर दाता आयकर के दायरे से बाहर हो जाएंगे, हालांकि सरकार को इससे करीब साढ़े नौ हजार करोड़ रुपये का नुकसान होगा. ध्यान रहे कि आयकर विभाग के ताजा आंक़ड़ों के मुताबिक इनकम टैक्स असेसी की संख्या सवा छह करोड़ के पार हो गयी है, लेकिन इनमें से आधे से भी ज्चादा ऐसे हैं जिनपर एक रुपये की भी टैक्स देनदारी नहीं बनती. रिपोर्ट में इनकम टैक्स की धारा 80 सी के तहत डेढ़ लाख रुपये तक की जमा/निवेश से आय़कर में छूट की सीमा बढ़ाए जाने की वकालत की गयी है. ये सीमा डेढ़ लाख रुपये से बढ़ाकर दो लाख रुपये कर देनी चाहिए. ध्यान रहे कि अगर आप नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (एनएससी), पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (पीपीएफ), जीवन बीमा या फिर घर कर्ज के मद में चुकायी गयी मूल रकम के तौर पर डेढ़ लाख रुपये जमा या निवेश करते हैं तो आयकर की गणना के समय वो आपकी कुल आय से काट दिया जाता है. बाकी रकम पर स्लैब के हिसाब से आयकर का आंकलन किया जाता है. घर कर्ज पर राहत आयकर की अन्य धारा के तहत घर कर्ज पर चुकाए गए ब्याज के एवज में भी आयकर में छूट मिलती है. मौजूदा व्यवस्था के तहत घर कर्ज के मद में डेढ़ लाख रुपये तक की मूल रकम और दो लाख रुपये तक की ब्याज रकम यानी कुल साढ़े तीन लाख रुपये आयकर की गणना के पहले कुल रकम से घटा दी जाती है. रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि ब्याज की रकम दो से बढ़ाकर ढ़ाई लाख रुपये कर दी जानी चाहिए. ऐसा होने पर घर कर्ज लेने वाले करीब 75 लाख लोगों को फायदा मिलेगा. बैंक जमा बैंक जमा से मिलने वाली 10 हजार रुपये तक की सालाना रकम पर आयकर नहीं लगता. रिपोर्ट का मानना है कि ये सीमा बढ़ाए जाने की जरुरत है. दूसरी ओर आयकर छूट के लिए पांच साल तक के लिए डेढ़ लाख रुपये तक की मियादी जमा करावायी जा सकती है. एसबीआई इकोरैप का मानना है कि ये सुविधा तीन साल तक की मियादी जमा के लिए मिलनी चाहिए. साथ ही मियाद पूरी होने पर मिलने वाली रकम को पूरी तरह से कर मुक्त रखा जाना चाहिए. ऐसा करने के लिए सरकारी खजाने पर सिर्फ 3500 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा.

टेबल 1

वित्त वर्ष आय़कर से छूट की सीमा
1990-91 22,000
1992-93 28,000
1993-94 30,000
1994-95 35,000
1995-96 40,000
1998-99 50,000
2007-08 1,10,000
2009-10 1,60,000
2011-12 1,80,000
2012-13 2,00,000
2014-15 2,50,000

टेबल 2

आयकर छूट की सीमा
मौजूदा बजट में मुमकिन
स्लैब (लाख रु में) कर की दर (% में) स्लैब (लाख रु में) कर की दर (% में)
0-2.5 0 0.3 0
2.5-5 5 3-5 5
5-10 20 5-10 20
10+ 30 10+ 30
सरकारी खजाने पर असर 9,500 करोड़ रुपये