ICAR-IARI: भारत एक कृषि प्रधान देश है. कोरोना महामारी के बाद से ही भारत ना सिर्फ बड़ा कृषि उत्पादक बनकर उभरा है, बल्कि यहां से दूसरे देशों में खाद्यान्न आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में भारत का अहम रोल है, लेकिन देश का एक तबका आज भी कुपोषण के खिलाफ जंग लड़ रहा है. खासतौर पर बच्चों और महिलाओं में पोषण की कमी देखी जा रही है. एक तरफ देश की हर दूसरी महिला खून की कमी यानी एनिमिया से ग्रस्त है तो वहीं हर तीसरा बच्चा कुपोषित बताया जाता है. वैश्विक भूख सूचकांक में भारत का स्थान अभी भी निचले पायदान पर है.


इन कमियों को सुधारने के लिए एक तरफ सरकार के स्तर से कई कदम उठाए जा रहे हैं. दूसरी ओर हमारे वैज्ञानिक भी देश को कुपोषण से मुक्त कराने में अहम रोल अदा कर रहे हैं. इस बीच बायोफोर्टिफाइड यानी जैव-संवर्धित किस्मों को कुपोषण के खिलाफ एक मजबूत कदम के तौर पर देखा जा रहा है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने 12 फसलों की जैव संवर्धित यानी बायोफोर्टिफाइड किस्में विकसित की हैं, जिन्हें कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने अनुमोदित किया है.


क्यों खास है बायोफोर्टिफाइड किस्में
देश की जनता को कुपोषण से निजात दिलाने और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बायोफोर्टिफाइड यानी जैव संवर्धित किस्में इजाद की जा रही है, हालांकि पिछले कुछ सालों में देश का फोकस खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने पर था, जिसके लिए अधिक उत्पादन देने वाली किस्में विकसित की जा रही थीं, लेकिन कुपोषण की बढ़ती समस्या के बीच अब कृषि वैज्ञानिकों ने पोषण, जलवायु अनुकूल, रोग और बीमारियों के प्रति सहनशील प्रजातियों को विकसित करने का काम किया है.


ये जैव संवर्धित किस्में प्रोटीन, आयरन, जिंक और विटामिन जैसे कई पोषक तत्वों से भरपूर होती है. ये किस्में ना सिर्फ सेहत के लिए फायदेमंद है, बल्कि इनका स्वाद भी साधारण किस्मों से काफी अलग होता है.






ये हैं जैव संवर्धित 12 किस्में
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ट्वीट करके जैव संवर्धित किस्में विकसित करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के प्रयासों की सराहना की है. कृषि मंत्री तोमर ने अपने ट्वीट में बताया है कि अब तक 12 फसलों की बायो-फोर्टिफाइड किस्में विकसित की जा चुकी है, जिनमें चावल की 8, गेहूं की 28, मक्का की 14 , बाजरा की 9, रागी की 3, कुटकी की 1, मसूर की 2, सरसों की 6, असली की 1, सोयाबीन की 5, मूंगफली की 2 और बागवानी की 8 किस्में शामिल है.


जिनके सेवन से लोगों की पोषण और कुपोषण वाली समस्याओं को दूर करने में मदद करेगा. इसमें सबसे ज्यादा जैव संवर्धित किस्में गेहूं और मक्का की हैं.






कैसे बनती हैं बायोफोर्टिफाइड किस्में
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक अन्य ट्वीट में बताया कि बायोफोर्टिफिकेशन प्रोसेस के तहत पौधों के खाने योग्य वाले भाग की पोषण गुणवत्ता बढ़ाने का काम किया जाता है. इसके लिए प्लांट ब्रीडिंग जैसी जैनेटिक प्रोसेस फॉलो की जाती है, जो पूरी तरह से सुरक्षित और पोषण की मात्रा बढ़ाने में मददगार है.


इन बायो-फोर्टिफाइड किस्मों को विकसित करने का सबसे बड़ा फायदा यही है कि अलग से वितरण प्रणाली की आवश्यकता नहीं होती. ये सस्ती और टिकाऊ होने के साथ-साथ आम जनता तक ज्यों की त्यों पहुंचाई जा सकती है. यही वजह है कि गरीब तबके में भी पोषण की आपूर्ति करने में बायो-फॉर्टिफाइड किस्में अहम रोल अदा करती है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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