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Kharif Marketing season 2022-23: धान की MSP को ज्यादा नहीं बढ़ा पाई केंद्र सरकार, अब किसानों के समर्थन में आई 14 राज्य सरकारें

Kharif season 2022-23: केंद्र सरकार द्वारा खरीफ विपणन सीजन 2022-23 के तहत धान की MSP में अपेक्षित बढ़त ना हो पाने के कारण 14 राज्य सरकारें नाखुश नजर आईं.

Paddy Price Exception: भारत में धान की खेती मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, पंजाब, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, बिहार और असम आदि राज्यों में की जाती है. यहां का धान दुनियाभर में निर्यात किया जाता है. यही कारण है  कि केंद्र सरकार ने 8 जून को वर्ष 2022-23 के लिये धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़त की घोषणा की. लेकिन कुछ राज्य सरकारों के मुताबिक धान के MSP को अपेक्षित मूल्य जितना नहीं बढ़ाया गया. जानकारी के लिये बता दें कि फसल बिक्री के दौरान किसानों के हितों की रक्षा करने के लिये  न्यूनतम समर्थन मूल्य(MSP) निर्धारित की जाती है. 


Kharif Marketing season 2022-23: धान की  MSP को ज्यादा नहीं बढ़ा पाई केंद्र सरकार, अब किसानों के समर्थन में आई 14 राज्य सरकारें

उम्मीदों पर खरी नहीं धान की एमएसपी
खरीफ विपणन सीजन 2022-23 के लिये फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्यों में बदलाव को लेकर कुछ राज्य सरकारों ने अपेक्षित मूल्यों की रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी गई. खरीफ विपणन सीजन 2021-22 के लिये भी आंध्र प्रदेश, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल आदि राज्यों ने भी धान के अपेक्षित मूल्य केंद्र सरकार को भेजे गये थे.  जिसके तहत देशभर में धान के किसान सीधे लाभान्वित हुये.

  • इस मामले में कृषि लागत और मूल्य आयोग की एक रिपोर्ट बताती है कि धान उत्पादक सभी 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की तरफ से धान की उत्पादन लागत को ध्यान में रखकर धान की एमएसपी को बढ़ाने का सुझाव भेजा था.
  • इस रिपोर्ट में कुछ राज्यों ने धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य को 2,000 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 4,513 रुपये प्रति क्विंटल करने का प्रस्तवा भेजा गया.
  • लेकिन केंद्र सरकार के  निर्णय पर समान्य धान की कीमत 2,040 रुपये प्रति क्विंटल और ग्रेड ए किस्म के लिये 2,060 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित की गई. 

क्यों जरूरी है एमएसपी
धान के उत्पादन में भारत का नाम शीर्ष देशों की सूची में आता है,  दूसरे देशों में भी बडे पैमाने पर चावल का निर्यात किया जाता है. ऐसे में दिनरात मेहनत करके धान उगाने वाले किसानों को उनकी फसल का वाजिब दाम दिलाना बेहद जरूरी हो जाता है. साथ ही, एमएसपी से खेती में खर्च होने वाली अनुमानित लागत भी कवर हो जाती है, और बिचौलियों अनावश्यक हस्तक्षेप भी खत्म हो जाता है. इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुये 8 जून को केंद्रीय कैबिनेट बैठक ने खरीफ विपणन सीजन 2022-23 के लिये 14 फसलों की 17 किस्मों के समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी करने का फैसला किया है.




Kharif Marketing season 2022-23: धान की  MSP को ज्यादा नहीं बढ़ा पाई केंद्र सरकार, अब किसानों के समर्थन में आई 14 राज्य सरकारें

खरीफ विपणन सत्र 2022-23 की कुछ खास बातें

  • केंद्र सरकार के इस फैसले पर आंध्र प्रदेश की राज्य सरकार ने धान की एमएसपी में 2000 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बढ़त का सुझाव दिया था.
  • वहीं जम्मू-कश्मीर की सरकार ने न्यूनतन समर्थन मूल्य को कम करने का प्रस्ताव भेजा था.
  • इस मामले में कृषि लागत और मूल्य आयोग की रिपोर्ट बताती है कि असम, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड ने खरीफ विपणन सीजन 2022-23 के लिए धान की एमएसपी में बदलाव के लिये कोई सुझाव नहीं भेजा.

फसलों पर एमएसपी बढ़ने से फायदा
केंद्र सरकार द्वारा खरीफ विपणन सीजन 2022-23 की एमएसपी जारी करने के बाद बाजरा, मूंगफली, मूंग, कपास और तिल के लिए किसानों को फायदा मिलने उम्मीद नजर आ रही है. 

 

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