3G Cutting Farming Technique: भारत में  बागवानी फसलों की खेती बडे़ पैमाने पर की जाती है. खासकर सब्जियों की बढ़ती बाजार मांग के कारण खरीफ सीजन (Kharif Season) में ज्यादार किसान खेतों में कद्दूवर्गीय सब्जियां (Pumpkin Class Crop) उगाते हैं. बता दें कि कद्दूवर्गीय सब्जियों में लौकी, कद्दू, तोरई, करेला और खीरा आदि सब्जियां शामिल है, जिनसे स्वस्थ और बेहतर उत्पादन लेने के लिये मचान विधि (Staking Method) का प्रयोग किया जाता है. इन पौधों के विकास के लिये किसान एक खास तकनीक का प्रयोग कर रहे हैं, जिससे एक ही पौधे से 100 से भी ज्यादा सब्जियां उगा सकते हैं. इस तकनीक को वैज्ञानिकों ने 3जी कटिंग विधि (3G Cutting of Plants)  नाम दिया है. 


क्या है 3 जी कटिंग विधि (What is 3G cutting of Plants) 
कद्दूवर्गीय सब्जियों का उत्पादन बढ़ाने में 3 जी कटिंग  तकनीक काफी मददगार है. इसके तहत बीज की रोपाई या नर्सरी तैयार करते समय मुख्य तने और शाखाओं की कटाई-छंटाई की जाती है. ये काम पौधों पर 10 से 12 पत्तियां निकलने के बाद किया जाता है. 



  • तने की मुख्य लंबाई 60 सेंटीमीटर होने पर भी 3 जी कटिंग विधि से पौधे तैयार कर सकते हैं

  • सबसे पहले 10 से 12  पत्तियों के बाद तने के ऊपरी भाग को काटकर अलग कर देते हैं, जिससे पौधे की लंबाई को बढने से रोक सकें.

  • इसके बाद 3 जी कटिंग के लिये जड़ से निकलने वाले मुख्य तने की 7-8 पत्तियों के बाद निकलने वाली छोटी शाखाओं को भी काटकर निकाल देते हैं.

  • धीरे-धीरे तब पौधों में शाखायें निकलने लगती हैं तो मुख्य दो शाखाओं को छोड़कर बाकी शाखाओं को अलग कर देते हैं, जिससे ज्यादा शाखाओं का विकास हो सके.

  • कुछ समय बाद मुख्य तने से कई शाखायें निकलने पर मजबूत शाखाओं को छोड़कर बारी शाखायें भी काटकर अलग कर दें.

  • इससे पुरानी शाखाओं को मजबूती मिलेगी और नई शाखाओं का विकास भी बेहतर ढंग से हो सकेगा.




3 जी कटिंग में बरतें ये सावधानियां (Precautions during 3G cutting Technique) 
सब्जी और फलदार पौधों की 3 जी कटिंग करते समय कई बातों का खास ध्यान रखना चाहिये.



  • 3 जी कटिंग के लिये 20 से 30 दिन पुराने सब्जी और फलदार पौधों का चलन करें. 

  • कटिंग करते समय पौधा स्वस्थ और कम से कम 60 सेमी. लंबा होना चाहिये. 

  • 3 जी कटिंग विधि के तहत मुख्य तने से निकलने वाली शाखाओं को तो अलग किया जाता है, लेकिन शाखाओं से निकलने वाली नई शाखाओं को नहीं तोड़ा जाता. 

  • पौधे में बहुत ज्यादा शाखायें नहीं रखनी चाहिये, इससे पौधे को सही पोषण नहीं मिल पाता और फलों का आकार भी छोटा रह जाता है. 

  • इस विधि का प्रयोग करने पर पौधों को सही मात्रा में पोषण और सिंचाई की जरूरत होती है. ऐसे में ड्रिप सिंचाई और जैविक उर्वरकों का प्रयोग फायदेमंद रहता है.


खेती में 3G कटिंग विधि के फायदे  (Benefits of 3G Cutting Techniques) 
पौधे के मुख्य तने से निकलने वाली शाखाओं से 50% से 90% नर फूल जबकि शाखाओं से निकलने वाली शाखाओं पर 90% मादा फूल लगते हैं. जितने ज्यादा फूल पौधे या बेलों पर निकलते हैं, उनसे 5 गुना अधिक फल (100 Fruit & Vegetable on single Plant)  fबनने लगते हैं, जिससे पौधा फलों से लबालब भर जाता है. इससे पैदावार के साथ-साथ फलों की क्वालिटी में भी बढ़वार होती है.




Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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