Subsidy On Wheat Harvester: गेहूं की फसल अपने पीक है. बेहतर उत्पादन के लिए किसान भी तेजी से प्रबंधन कार्यों में जुटे हुए हैं. जल्द कटाई का सीजन भी चालू हो जाएगा. गेहूं की कटाई में समय, लागत और मेहनत बचाने के लिए कृषि मशीनों के इस्तेमाल की हिदायत दी जाती है. इन मशीनों से कटाई-गहाई के बाद पराली की समस्या भी आती है. खेत से निकली धास-फूस ठूंठ को पशु चारे के तौर पर इस्तेमाल कर लिया जाता है. अलग-अलग राज्य सरकारें इन मशीनों को खरीदने के लिए लोन सब्सिडी और अनुदान भी देती हैं.
कुछ दिन पहले कोटा में आयोजित कृषि महोत्सव में एक ऐसी ही मशीनरी आकर्षण का केंद्र बनी रही. यह रीपर ग्राइंडर मशीन थी, जो 1 एकड़ गेहूं की फसल की कटाई मात्र 1 घंटे में निपटा सकती है. इस मशीनरी की खरीद पर राज्य सरकार 50 प्रतिशत तक सब्सिडी भी देती है.
क्या है रीपर ग्राइंडर
एक एकड़ खेत में गेहूं की कटाई के लिए करीब 5 से 10 मजदूर लग सकते हैं, लेकिन 10 एचपी का इंजन वाली रीपर ग्राइंडर मशीन की मदद से एक घंटे में ही एक एकड़ फसल की कटाई हो सकती है. एक्सपर्ट बताते हैं कि रीपर ग्राइंडर से गेहूं, धान, जौ, सरसों, बाजरा की फसल की आसानी से कटाई कर सकते हैं.
ये मशीन ना सिर्फ कटाई के बाद उपज को साइड में फैला देती है, बल्कि इससे फसल की पूली भी बन जाती है. इस मशीन से 5 फीट लंबी फसलें आसानी से काट सकते हैं. करीब 1 घंटे के चालान में रीपर बाइंडर मशीन में 1 लीटर तेल लग जाता है. इस मशीन से पांच फीट की फसलों की कटाई की जा सकती.
सरकार देती है अनुदान
किसानों के लिए कृषि मशीनों को खरीद पाना आसान नहीं होता, इसलिए कई राज्य सरकारें रीपर मशीन को सस्ते दामों पर उपलब्ध करवाती हैं. वैसे तो यह मशीन अलग-अलग साइज में उपलब्ध है, जिसकी कीमत 50,000 से 5 लाख रुपये तक हो सकती है.
किसानों को रीपर बाइंडर मशीन की खरीद पर भी 50 प्रतिशत सब्सिडी उपलब्ध करवाई जाती है. इस सब्सिडी स्कीम का लाभ लेने के लिए किसान को रीपर बाइंडर मशीन के डीलर से कोटेशन लेना होगा, जिसे अपने जिले के कृषि विभाग के कार्यालय में जमा करवा सकते हैं.
साथ में कुछ आवश्यक दस्तावेज - आधार कार्ड कॉपी, जमीन के कागजात, बैंक पासबुक की कॉपी आदि भी जमा करवाने होंगे. चाहें तो कृषि विभाग से जानकारी लेकर ई-मित्र केंद्र की मदद से भी ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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