5G @Agriculture: किसानों के जीवन में भी जबरदस्त बदलाव लाएगा 5G नेटवर्क, पिछड़े इलाकों में हो पाएगी स्मार्ट खेती
5G Network in India: कृषि में आए दिन नए-नए बदलाव हो रहे हैं. ऐसे में अब 5जी नेटवर्क के आ जाने से सेंसर आधारित कृषि तकनीकों की मांग बढे़गी. इससे कृषि और किसानों को तरक्की को भी गति मिलेगी.
Smart Farming with 5G: अब भारत के किसान भी स्मार्ट तकनीकों और हाइटेक नेटवर्क के जरिये उन्नत खेती कर पाएंगे. देश को आखिरकार 5G नेटवर्क (5G Network) स्मार्ट कवरेज मिल चुकी है, जिसका इस्तेमाल करके अब प्रोफेशनल लोगों के साथ किसानों को भी कई बेमिसाल फायदे मिलेंगे.
आज आधुनिकता के दौर में जब हम कृषि क्षेत्र और गांव की ओर देखते हैं तो मशीनीकरण से लेकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) का बढ़-चढ़कर इस्तेमाल हो रहा है. अब खेत-खलिहान आधुनिकता के रंग में रंग ही चुके हैं.
किसान भी अब घर बैठे स्मार्ट तकनीकों (Smart Techniques) का इस्तेमाल करके खेती से जुड़े सभी काम बेहतर ढंग से करते हैं. बैल और हल की जगह ट्रैक्टर और फार्म मशीनों (farm Machines) ने ले ली है. ऐसे में अब 5जी नेटवर्क के आ जाने से सेंसर आधारित कृषि तकनीकों ( (Sensor Based farming) की मांग बढेगी. इससे कृषि और किसानों को तरक्की की निश्चित है.
तकनीकों से जुड़ेंगे किसान
कृषि में आए दिन नए-नए बदलाव हो रहे हैं. खेती भी अब सिर्फ खेत-खलिहानों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि प्रयोगशालाओं में तब्दील होती जा रही है. अब किसानों से लेकर पढ़े-लिखे युवा भी स्मार्ट तकनीकों का इस्तेमाल करके खेती को नए आयाम दे रहे हैं.
इन्हीं स्मार्ट तकनीकों में ड्रोन और एआई आधारित खेती भी शामिल है. जहां 5 जी नेटवर्क के जरिये ड्रोन का दायरा बढ़ाने में आसानी होगी. वहीं एआई तकनीक से लैब्स का निर्माण हो पायेगा, जहां 5जी सेंसर की मदद से किसान जोखिमों के बिना संरक्षित खेती (5G in Agriculture) कर पाएंगे.
बता दें कि ड्रोन का इस्तेमाल अभी तक सिर्फ फसलों के छिड़काव तक ही सीमित था, लेकिन जल्द इसकी उपयोगिता भी बढे़गी. खेतों की मैपिंग से लेकर निगरानी तक में कामों यह किसानों की मदद करेगा, जिससे खेती में जोखिमों की समय पर रोकथाम, समय की बचत और खेती की लागत भी कम होगी. इससे हाइड्रोपॉनिक खेती करने वाले किसान और युवाओं को भी काफी फायदा होगा.
मंडियों से जुड़ेंगे किसान
किसानों को तकनीकों से जोड़ने के लिए कई मोबाइल ऐप लॉन्च किए गए हैं. इनका लाभ लेकर किसान अब घर बैठे ही कई सुविधाएं ले सकते हैं. चाहे बीजों की होम डिलीवरी हो या फिर मंडियों में फसलों को बेचना हो. घर बैठे इन सभी कामों को आसान बनाने में इंटनेट ने अहम भूमिका अदा की है. अब जब इंटनेट का दायरा बढ़ ही गया है तो इससे फसलों की डिजिटल मार्केटिंग (5G for Agriculture Marketing) भी खास मदद मिलेगी.
इस काम में ई-नाम भी किसानों को पहले से भी ज्यादा रफ्तार से सुविधाएं देगा. इससे किसानों को मंडी डीलरों और बिचौलियों से संपर्क साधने में आसानी होगी. फसलों की बिक्री में पारदर्शिता तो बढ़ेगी ही, साथ ही बिना किसी रुकावट के किसान अपनी फसलों को सही जगह, सही समय पर बेहतर दामों में बेच पाएंगे.
मौसम आधारित खेती को मिलेगी बढ़ावा
खेती-किसानी अनिश्चितताओं का व्यावसाय है, जहां मौसम की मार के कारण किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ता है. इन समस्याओं से किसानों को बाहर निकालने में 5जी नेटवर्क (5G for Weather Based Farming) मददगार साबित होगा. पहले किसानों को मौसम आधारित कृषि परामर्श लेने में काफी समस्याएं आती थी. वहीं अब 5 जी का लाभ लेकर सेंसर आधारित तकनीकों से तुरंत मौसम का सही अपडेट लेकर कृषि प्रबंधन और भी आसान हो जाएगा.
प्लांट सेंसर तकनीकों के इस्तेमाल से पौधों के विकास, मिट्टी की संरचना और खेत की जरूरतों का पता लगा पाएंगे. मौसम, जलवायु या कीट-रोगों की मुसीबतों को लेकर किसान पहले से ही सचेत हो जाएंगे. इसके लिए किसानों को मोबाइल फोन से जुड़ना होगा.
खेती की ऑनलाइन ट्रेनिंग
अब भारत के किसान खेती के पुराने तरीकों को छोड़कर नई तकनीकों की ततरफ बढ़ रहे हैं. इस काम देश की कई बड़ी संस्थायें किसानों को ट्रेनिंग देकर आत्मनिर्भर बना रही है. आधुनिकता के इस दौर में अब खेती की ट्रेनिंग भी ऑनलाइन दी जा रही है, लेकिन अभी तक कमजोर नेटवर्क के कारण किसानों को सही समय पर सही ज्ञान मिल पाना मुश्किल ही रहा.
अब 5जी की कनेक्टिविटी मिलने पर किसानों को खेती के अलावा दूसरे कामों को करने में भी आसानी रहेगी. खेती से जुड़े प्रशिक्षण (5G For Farmers Training) समय पर हासिल करने के बाद कृषि कार्यों में तेजी आयेगी और किसानों की तरक्की भी गतिशील होगी.
पशुपालन में भी 5 जी का जलवा फैलेगा
खेती-किसानी के साथ-साथ पशुपालन (5G for dairy farming) भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा है. आज पशुपालन की पारंपरिक विधियों से हटकर स्मार्ट डेयरी फार्मिंग (Dairy farming) को तवज्जो मिल रही है. इससे पशुपालकों का काम भी काफी आसान हुआ है. पशुपालन (5g for Animal Husbandry) में सेंसर आधारित तकनीक का इस्तेमाल करके किसान अब पशुओं की हर हरकत पर नजर रख सकते हैं.
खासकर, गाय, भैंस, बकरी से लेकर मुर्गी और मछलियों की भूख-प्यास से लेकर दूध का उत्पादन, एग प्रॉडक्शन के साथ-साथ बीमारियों की रोकथाम में भी खास मदद मिलेगी. मछली पालन में 5जी आधारित सेंसर तकनीक भी मछली पालकों का मसीहा बनेगी. इससे पानी का तापमान, मछलियों की हलचन और उनका प्रबंधन (5G for Fish farming) करना पहले से कहीं ज्यादा आसान हो जायेगा.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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