Labour Ministry Report: देश के कृषि क्षेत्र में सबसे ज्यादा 63% महिलाएं एक्टिव, इनकी रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार ने उठाएं ये कदम
श्रम मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, देश में हर सेक्टर के मुकाबले कृषि क्षेत्र में सबसे ज्यादा 63% महिला कर्मचारी कार्यरत है, जबकि विनिर्माण क्षेत्र में उनकी अनुमानित भागीदारी 11.2% बताई गई है
Female Workers in India: कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ती जा रही है. अब महिलाएं सिर्फ चारदीवारी तक ही सीमित नहीं है, बल्कि खेत-खलिहानों को फिर से हरा-भरा बनाने के काम में लगी हुई हैं. देश में एक सर्वे के आधार पर श्रम मंत्रालय ने महिला कर्मचारियों पर एक रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट से पता चला है कि अखिल भारतीय स्तर पर सबसे ज्यादा महिलाएं कृषि क्षेत्र में है. यहां महिला कर्मचारियों की अनुमानित संख्या 63% है. जबकि एनुअल पीरिओडिक लोबर फोर्स सर्वे (पीएलएफएस) रिपोर्ट 2021-22 की मानें तो विनिर्माण उद्योग में महिला श्रमिकों का अनुमानित प्रतिशत वितरण 11.2% है.
महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए सरकार ने क्या किया?
श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने और उनके रोजगार की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए सरकार ने श्रम कानूनों में कई सुरक्षात्मक प्रावधान किए हैं. इससे लगभग हर सेक्टर में महिलाओं को समान अवसर और महिला श्रमिकों के लिए अनुकूल कार्य वातावरण भी तैयार हो रहा है.
वर्किंग वूमन्स के लिए मैटरनिटी लीव को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दिया गया है. 50 से अधिक कमर्चारियों वाले वर्कस्पेस पर क्रेच की सुविधा का प्रावधान और रात की शिफ्ट में काम करने के लिए पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करना शामिल है.
महिला कर्मचारियों के प्रस्तावित सुविधाएं
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने लोकसभा में भी एक प्रश्न के लिखित जवाब में कहा कि ओपन कास्ट वर्किंग समेत भूमि खदानों में महिलाओं को शाम 7 बजे से सुबह 6 बजे के बीच और तकनीकी, पर्यवेक्षकीय और प्रबंधकीय कार्यों के लिए भूमिगत खदानों में सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे के बीच निरंतर उपस्थिति की आवश्यकता नहीं है.
महिलाओं के लिए वेतन समानता पर फोकस करते हुए केंद्रीय श्रम मंत्री ने कहा कि समान कार्य या समान प्रकृति के काम के लिए एक ही नियोक्ता की ओर से मजदूरी का भुगतान करने के मामले में कर्मचारियों के बीच किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होगा. ये बात समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976 में भी है, जिसे अब वेतन संहिता, 2019 में भी शामिल किया गया है.
काम के दौरान नहीं हो सकता भेदभाव
इसके अलावा, केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने लोकसभा में भी एक प्रश्न के लिखित जवाब में यह भी बताया कि रोजगार की शर्तों में कोई भी नियोक्ता समान काम या समान प्रकृति के काम के लिए कमर्चारियों की भर्ती में भी लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता.
यदि किसी काम में महिलाओं का रोजगार कानून के तहत निषिद्ध या प्रतिबंधित है तो ये परिस्थिति शामिल नहीं की जाएगी. श्रम मंत्री ने बताया कि महिलाओं कीरोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार अब महिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों, राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों और क्षेत्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों के एक नेटवर्क के जरिए ट्रेनिंग भी उपलब्ध करवा रही है.
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