74th Republic Day 2023: गणतंत्र दिवस की झांकी में खुशी से झूमते दिखे किसान, मिलेट ईयर 2023 को बताया 'पोषण का उत्सव'
74th Republic Day 2023 के मौके पर कर्तव्य पथ पर आईसीएआर ने मिलेट पर केंद्रित एक झांकी प्रस्तुत की, जिसमें ज्वार, बाजरा,रागी, कुटकी, कंगनी और सावां की फसल के साथ किसान कलाकार लोकगीत पर झूमते-गाते दिखे.
International Year of Millet 2023: देश के 74वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर कर्तव्य पथ पर आयोजित परेड में एक झांकी किसानों कलाकारों ने भी प्रस्तुत की. यह आईसीएआर यानी भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की झांकी थी, जो अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष को समर्पित रही. इस झांकी में मोटे अनाजों की खेती और इसके सेवन से जुड़े फायदे गिनाए गए. आईसीएआर की इस झांकी पर इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट के लिए चिन्हित किए गए 6 मोटे अनाज ज्वार, बाजरा, रागी, कुटकी, कंगनी और सावां की फसल देखी गई.
मिलेट उत्सव की झलकियां
इस झांकी में किसान बने कलाकार झूमते-गाते और मिलेट का उत्सव मनाते नजर आए. किसानों को लोक गीत सुनते ही कर्तव्य पथ पर बैठे लोग भी उठ खड़े हुए. इस झांकी ने तमाम हस्तियों का ध्यान अपनी ओर खींचा.
इस झांकी पर बज रहे लोकगीत के बोल मिलेट की अहमियत समझा रहे थे. इस गीत में मिलेट को धरती का सोना बताया गया. मिलेट और हर्ष और पौष्टिकता का उत्सव बताने वाले इस लोकगीत पर किसान कलाकार खुशी बनाते और झूमते नजर आए.
झांकी के जरिए लोगों को बताया गया कि कैसे इसकी खेती हर जलवायु के लिए अनुकूल और खेती है. ये किसानों के लिए फायदेमंद है ही, लोगों की सेहत के लिए भी लाभकारी है.
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क्या है इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट 2023
मिलेट यानी मोटे अनाज को खेती-किसानी के लिहाज से बेहद मुनाफे वाली फसल बताया जाता है. ये फसलें विपरीत परिस्थितियों में भी अच्छा उत्पादन देती हैं. मोटे अनाजों की खेती की लागत भी अधिक नहीं होती, इसलिए मिलेट की उपज को बेचकर किसान अच्छी आय अर्जित करते हैं.
भारत मिलेट का सबसे बड़ा उत्पादक देश है. खासतौर पर यहां बाजरा का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जा रहा है. इस साल मिलेट की खेती के साथ-साथ प्रोसेसिंग बिजनेस को भी सपोर्ट किया जा रहा है. एक्सपर्ट बताते हैं कि रोजाना की डाइट में 13 से 14 प्रतिशत मोटे अनाजों को शामिल करने पर घातक बीमारियों का खतरा कम किया जा सकता है. इससे इम्यूनिटी भी काफी मजबूत होती है.
यह भारत की ही महरबानी है, जो पूरी दुनिया अब मिलेट के बारे में जागरूक हो रही है. भारत के प्रस्तार पर ही संयुक्त राष्ट्र संघ ने साल 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष घोषित किया है. भारत के इस प्रस्ताव पर 72 देशों ने समर्थन दिया था. इसे किसानों की आय बढ़ाने और देश में कुपोषण को दूर करने वाले साधन के तौर पर देखा जा रहा है.
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