Natural Farming in MP: बंजर होती धरती तो दोबारा उपजाऊ बनाने के लिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. इस जीरो बजट खेती भी कहते हैं, क्योंकि कीटनाशक-उर्वरकों का इस्तेमाल नहीं होता. साथ ही कम मेहनत में ही फसल से अच्छी क्वालिटी का प्रॉडक्शन मिल जाता है. कई राज्यों में प्राकृतिक खेती को लेकर तरह-तरह की योजनाएं चलाई जा रही है. मध्य प्रदेश में भी अब किसान तेजी से नेचुरल फार्मिंग की तरफ बढ़ रहे हैं.


मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो रबी सीजन में प्राकृतिक खेती करने के लिए राज्य के करीब 85,520 किसान अपना रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं. ये किसान करीब 17,814 गांव का 50 हजार हेक्टेयर से अधिक रकबा कवर करेंगे. उस जमीन पर किसी भी केमिकल के बिना ही फसलों से नेचुरल प्रॉडक्शन लिया जाएगा. राज्य में प्राकृतिक खेती के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया चालू है और किसान भी प्राकृतिक खेती में रुचि दिखाते हुए अपना पंजीकरण करवा रहे हैं.


5 जिलों में रिकॉर्ड पंजीकरण


मध्य प्रदेश में चलाए जा रहे प्राकृतिक खेती अभियान के तहत 17 हजार 814 गांव के 50 हजार 818 हेक्टेयर रकबा कवर किया जाएगा, जिसके लिए 85 हजार 520 किसानों से अपना रजिस्ट्रेशन करवाया है. सबसे ज्यादा पंजीकरण मंडला जिले से हुए हैं. यहां 4803 किसानों ने प्राकृतिक खेती में रुचि दिखाई है. इस लिस्ट में छिंदवाड़ा, रीवा, बड़वानी और नरसिंहपुर भी शामिल है. छिदवाड़ा के 3375, रीवा के 3201, बड़वानी के 3040 और नरसिंहपुर के 2730 किसानों नेचुरल फार्मिंग के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया है.


50 हजार से अधिक रकबे में होगी प्राकृतिक खेती


मध्य प्रदेश में प्राकृतिक खेती के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन पंजीयन चालू हैं. बता दें कि प्राकृतिक खेती पूरी तरह से देसी दवा, गोबर, नीम और गौमूत्र पर आधारित होगी. राज्य में बीजामृत, जीवामृत, घनामृत, नीमास्त्र की मदद से गेहूं, जौ, चना, सरसों, मसूर, मक्का, सूरजमुखी, मैथी, हल्दी, आलू व मटर सहित अन्य सब्जियों की खेती करने की योजना है.


यहां करें रजिस्ट्रेशन


मध्य प्रदेश में प्राकृतिक खेती अभियान से जुड़कर केमिकल फ्री फसलें उगाने के लिए http://mpnf.mpkrishi.org/ पर जाकर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं. इस लिंक पर क्लिक करते ही वेबसाइट पर पहुंच जाएंगे. होम पेज पर राइट साइड में रजिस्ट्रेशन विंडो है, जहां किसान अपना पंजीकरण करा सकते हैं. 


900 रुपये देगी सरकार


मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई अहम फैसले लिए है. किसानों को गाय पालन के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है. इसके लिए भी किसानों को 900 रुपये प्रति महीने के अनुदान का प्रावधान है. जाहिर है कि गाय के गोबर और गौमूत्र से ही जीवामृत, बीजामृत, घनामृत जैसे जैविक खाद-उर्वरक बनाये जाते हैं. साथ ही गाय पालन के जरिये दूध उत्पादन लेकर किसान अतिरिक्त आमदनी भी कमा सकते हैं. इससे व्यक्तिगत जरूरतों के साथ-साथ खेती-किसानी में भी खास मदद मिलेगी.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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