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Success Story: 85 साल की फूलमती ने साबित किया खेती के लिए उम्र मौहताज नहीं, इस ट्रिक से किया रिकॉर्ड उत्पादन

यूपी के लखीमपुर की 85 वर्षीय फूलमती ने तिल की खेती करके नई मिसाल पेश की है, जिसके लिए कृषि विभाग ने फूलमती अम्मा को प्रोत्साहित किया है. फूलमती ने गन्ना और धान का भी रिकॉर्ड उत्पादन लिया है.

Til Ki Kheti: आज के दौर में युवाओं से ज्यादा इनोवेशन बड़े और बुजुर्ग के आइडिया से हो रहे हैं. एग्रीकल्चर सेक्टर में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है. इस क्षेत्र से अच्छा पैसा कमाने के लिए युवा और नए किसान अब नई तकनीकों का इस्तेमाल करने लगे हैं, जो फायदेमंद साबित हो रही है, लेकिन कई दशकों से पारंपरिक खेती करने वाले बड़ी उम्र के किसान भी नई मिसाल पेश कर रहे हैं. ऐसी ही एक प्रगतिशील किसान हैं 85 साल की फूलमती अम्मा, जो जीवन के इस पड़ाव पर भी अपनी कड़ी मेहनत से लोगों को हैरान कर रही है. अपने खेतों से तिल का रिकॉर्ड उत्पादन हासिल करने के लिए फूलमती अम्मा चर्चा में बनी हुई हैं. किसान दिवस के अवसर पर कृषि विभाग ने फूलमती अम्मा के इन प्रयासों को सहारा है.

तिल की खेती से लिया रिकॉर्ड प्रोडक्शन
85 साल की फूलमती उत्तर प्रदेश के लखीमपुर में रमियाबेहड़ ब्लाक के गांव भूलनपुर की रहने वाली हैं. अपने गांव में ही खेती-किसानी करती हैं और इन दिनों दूसरे किसानों को भी अपने प्रयासों से प्रेरित कर रही हैं. फूलमती अपनी 8 एकड़ जमीन पर जैविक खेती करती हैं. उन्होंने एक हेक्टेयर खेती से तिल का करीब 10 क्विंटल उत्पादन लिया है, जो तिल की औसत उपज की तुलना में कहीं ज्यादा है.

85 वर्षीय फूलमती के इन्हीं प्रयासों को कृषि विभाग ने परख लिया और किसान दिवस के मौके पर 7,000 रुपये की चेक देकर सम्मानित किया है. तिल के अलावा 85 साल की महिला किसान गन्ना और धान की जैविक खेती भी करती है और अपने इलाके में सर्वाधिक फसल उत्पादन करने वाली किसान के तौर पर पहचानी जा रही है.

किसानों का बढ़ा रुझान
किसानों को तिलहन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है. तिल भी एक प्रमुख तिलहनी फसल है. इससे निकले तेल में कई औषधीय गुण मौजूद होते हैं, जिसे खाने के साथ-साथ दवा के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है. पिछले कुछ सालों में तिल के तेल की खपत बढ़ गई है, इसलिए किसान भी तिल का उत्पादन बढ़ाने के तरीके अपना रहे हैं.

तिलहन की अच्छी उत्पादकता के लिए अब जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने पर भी खास फोकस है. तभी तो किसान पारंपरिक खेती का रास्ता छोड़ जैविक खेती की तरफ बढ़ रहे हैं. इस विधि से कम लागत में बढ़िया क्वालिटी का उत्पादन मिल रहा है. जैविक खेती से उपजी फसल को बाजार में अच्छे दाम मिलते हैं. खेती में ज्यादा लागत नहीं आती तो किसान को भी कुछ मुनाफा हो जाता है.

कम लागत में हो जाती है खेती
पिछले कुछ सालों में बढ़ती महंगाई ने किसानों को भी प्रभावित किया है, इसलिए अब सरकार और कृषि वैज्ञानिकों ने उन फसलों और तकनीकों की खेती करने के लिए प्रेरित किया है, जो कम खर्च में ही उम्मीद के मुताबिक उत्पादन दे जाएं और तिल भी उन्हें फसलों में से एक है.

इन दिनों तेल के दाम आसमान छू रहे हैं. ऐसे में तिलहनी फसलों की खेती करना फायदे का सौदा साबित हो रहा है. कम पानी वाले इलाकों के लिए तिल की फसल की वरदान के बराबर है. कम खाद, कम उर्वरक और कम सिंचाई से बचत और तिल के साथ मधुमक्खी पालन से होने वाली आमदनी ने किसानों को ध्यान आकर्षित किया है.

कब करें तिल की खेती
जानकारी के लिए बता दें कि तिल की खेती खरीफ सीजन में की जाती है. हल्की रेतीली-दोमट मिट्टी को तिल की खेती के लिए सबसे उपयुक्त मानते हैं. हर साल जुलाई के दूसरे सप्ताह तक तिल की बुवाई कर दी जाती है. ज्यादा खाद-उर्वरकों की आवश्यकता नहीं होती. बस फसल की निगरानी और सही प्रबंधन करके 80 से 85 दिन के अंदर फसल पककर तैयार हो जाती है.

हर एक बीघा खेत से 2.5 क्विंटल तक उत्पादन मिल जाता है. फिलहाल देश में करीब 42,247 हेक्टेयर पर तिलहन की खेती हो रही है. कई राज्य सरकारें बीजों पर सब्सिडी और किसानों को इनपुट अनुदान देकर भी तिलहन की खेती करने के लिए प्रेरित कर रही हैं.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

यह भी पढ़ें:- किसानों की सोई किस्मत जगाने वाला है नया साल, इन चीजों पर फोकस करेंगे तो जरूर दोगुना हो जाएगी आमदनी

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