Subsidy on Spices Cultivation: देश में बागवानी फसलों का चलन बढ़ता जा रहा है. कम समय में और कम लागत में पैदा होने वाले ये फसलें किसानों की आय बढ़ाने में अहम रोल अदा कर रही हैं. फिर किसान भी पारंपरिक फसलों के साथ बागवानी फसलों की मिश्रित करने लगे हैं, ताकि अतिरिक्त आय ली जा सके. सरकारें भी इस काम में किसानों को तकनीकी आर्थिक सहयोग दे रही हैं. इस कड़ी में सरकार की राष्ट्रीय कृषि विकास योजना व औद्यानिक विकास योजना से यूपी के किसानों को जोड़ा जा रहा है. शामली जिले में किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से चुनिंदा फल, सब्जी, फूल, मसालों की खेती के लिए अनुदान का प्रावधान किया गया है. ज्यादा से ज्यादा किसानों तक इसका लाभ पहुंचाने के लिए उद्यान विभाग को आदेश जारी हो चुके हैं.


इस फसलों की खेती पर मिलेगा लाभ
गेहूं और गन्ना के अलावा किसानों को दूसरी फसलों की खेती के लिए प्रेरित करना भी राष्ट्रीय कृषि विकास योजना का एक अहम लक्ष्य है, जिससे हर वर्ग के किसानों को समय-समय पर लाभान्वित किया जाता है.


राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में अमरूद, लीची, शिमला मिर्च, कद्दू, प्याज, लहसुन, मिर्च, रजनीगंधा, गेंदा की खेती के लिए किसानों को आर्थिक मदद दी जाती है तो वहीं औद्यानिक विकास योजना के तहत कद्दू, प्याज, लहसुन, मिर्च, मसाला, धनिया, गेंदा, सब्जियों की खेती के लिए अनुसूचित जाति व जनजाति के किसानों को जोड़ा गया है.


किस फसल के कितना अनुदान मिलेगा
बागवानी फसलों का उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ खेती की लागत को कम करने के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना और औद्यानिक विकास योजना के तहत विभिन्न फसलों पर अलग-अलग दरों से अनुदान दिया जा रहा है. 


राष्ट्रीय कृषि विकास योजना 
आम की बागवानी के लिए निर्धारित 25,500 रुपये प्रति हेक्टेयर की लागत पर 50 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाएगा. यह पैसा 3 किस्तों में  किसानों को मिलेगा, जिसमें पहली किस्त 7,650 रुपये, दूसरी किस्त 3,834 रुपये और तीसरे साल 22,500 दिया जाएगा.


अमरूद की बागवानी के लिए प्रति हेक्टेयर का अनुमानित खर्च 38,340 निर्धारित हुआ है, जिस पर 50% सब्सिडी की रकम 3 किस्तों में किसान को दी जाएगी. पहले साल 11,502 रुपये, दूसरे साल और तीसरे साल 3,834 रुपये के अनुदान का प्रावधान है.


लीची की बागवानी करने वाले किसानों को प्रति हेक्टेयर की अनुमानित लागत 28,000 रुपये में 50 प्रतिशत छूट दी जाएगी. यह पैसा तीन किस्तों में मिलेगा, जिसमें पहले साल 8,400 रुपये, दूसरे साल और तीसरे साल 2,800 रुपये के अनुदान का प्रावधान है.


शिमला मिर्च, हाइब्रिड सब्जियां और कद्दू की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर लागत 50,000 रुपये अनुमानित है, जिसमें आवेदन करने पर किसान को 40 फीसदी यानी 20,000 रुपये  अनुदान राशि मिलेगी. प्याज, लहसुन, मिर्च समेत मसालों की खेती के लिए 30,000 रुपये की प्रति हेक्टेयर लागत निर्धारित हुई है, जिस पर किसान को 40% सब्सिडी यानी 12,000 रुपये की मदद दी जाएगी.


रजनीगंधा की खेती के लिए 1 लाख रुपये की प्रति हेक्टेयर लागत का अनुमान है, जिस पर लघु-सीमांत किसानों को 40% सब्सिडी और सामान्य वर्ग के किसानों को 25% अनुदान का प्रावधान है. गेंदा की खेती पर 40,000 रुपये प्रति हेक्टेयर के खर्च का अनुमान है, जिस पर लघु-सीमांत किसानों को 40% सब्सिडी और सामान्य वर्ग के किसानों को 25% सहायतानुदान मिल जाएगा.


औद्यानिक विकास योजना 
हाइब्रिड सब्जियां और कद्दू की खेती का रकबा बढ़ाने के लिए किसानों को प्रति हेक्टेयर 50,000 रुपये के खर्च पर 75 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा. वहीं प्याज, लहसुन, मिर्च, धनिया समेत अन्य मसालों की खेती के लिए 30,000 रुपये की लागत पर 90% अनुदान का प्रावधान है. शाकभाजी के उत्पादन के लिए 4,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की लागत निर्धारित है, जिस पर किसानों को 90 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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