Padma Shri Awards 2023: बचपन में ही ऑर्गेनिक खेती से हो गया था लगाव, खुद सीखे...दूसरों को भी जोड़ा, 98 की उम्र में 'पद्मश्री' से हुए सम्मानित
Padma Shri Farmer: 98 वर्षीय आत्मनिर्भर किसान तुला राम उप्रेती ने बचपन में ही पारंपरिक खेती के गुर सीखे. खुद पर्यावरण के अनुकूल खेती की और दूसरों को भी जैविक-प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित किया.
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Tula Ram Upreti: भारत के ग्रामीण इलाकों में खेती-किसानी से बच्चा-बच्चा वाकिफ़ होता है. जो किसान परिवारों से ताल्लुक रखते हैं, उन्हें खेती सिखाई नहीं जाती, बल्कि ये तो उनके खून में ही होता है. किसान परिवारों की नई पीढ़िया अपने बड़े-बुजुर्गों से ही प्रेरणा लेकर खेत-खलिहान संभालने लग जाते हैं. फिर खेती-किसानी के प्रति बचपन से ही एक लगाव पैदा हो जाता है, जो आजीवन साथ ही रहता है. फिर जीवन का एक पड़ाव ऐसा भी आता है, जब किसानों को अपनी मेहनत सफल होती दिखाई पड़ने लगती हैं, हालांकि ये मौका कब आएगा कोई नहीं जानता.
सिक्किम के पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किसान तुला राम उप्रेती के जीवन में इस उपलब्धि ने 98 साल की उम्र में दस्तक दी है. सिक्किम के पाकयोंग जिले के रहने वाले तुला राम उप्रेती को आज जैविक खेती का उस्ताद कहा जाता है.
कृषि के क्षेत्र में 98 साल के किसान तुला राम उप्रेती के अद्भुत-अतुलनीय योगदान के लिए पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा है. उन्होंने साबित कर दिखाया है कि उम्र मात्र एक संख्या है. यदि आप अपने जीवन में कुछ भी अचीव करना चाहते हैं तो दृढ़ निश्चय के साथ उसमें जुटे रहें. बता दें कि ये किसान आज भी जैविक खेती में सक्रिय हैं.
#PadmaAwards2023 | Nekram Sharma, Organic farmer from Mandi, reviving the traditional Crop System of 'Nau-Anaj’ to receive Padma Shri in the field of Others (Agriculture) pic.twitter.com/VDUN3LrEum
— ANI (@ANI) January 25, 2023
आपको बता दें कि तुला राम उप्रेती एक छोटे किसान हैं, जिनको बचपन में ही खेती से बड़ा लगाव था. शुरुआत से पारंपरिक खेती में दिलचस्पी थी, इसलिए आजीवन इस तरकीब से खेती की. नवाचार किए, ताकि अच्छा फसल उत्पादन लिया जा सके.
बेहतर फसल उत्पादन और पर्यावरण संरक्षण के लिए जैविक खेती और प्राकृतिक खेती को भी अपनाया.यह सफर सिक्किम सरकार के सिक्किम ऑर्गेनिक मिशन की स्थापना से पहले ही शुरू हो चुका था यानी छह दशकों से जैविक खेती में लगे हुए थे.
धीरे-धीरे इनकी लोकप्रियता बढ़ने लगी. किसान इनके पास आकर खेती के गुर सीखने लगे. इन्होंने कई किसानों के जैविक खेती और प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग दी और पर्यावरण सरंक्षण के मद्देनजर फसल उत्पादन हासिल करने के लिए प्रेरित किया.
इस काम में तुला राम उप्रेती की पत्नि बेनु माया उप्रेती ने भी खूब साथ निभाया. आज तुला राम उप्रेती जैसे किसानों की मेहनत का नतीजा है कि सिक्किम के कृषि क्षेत्र में रसायनों पर निर्भरता लगभग खत्म हो गई है.
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