मथुरा में गोबर से CNG गैस बनाएगा अडानी ग्रुप, इस बड़ी गौशाला में बन रहा Bio Gas Plant, गौ सेवा के साथ कमाई का है प्लान
Adani Group: बरसाना की श्रीमाता गौशाला से हर दिन 35 से 40 टन गोबर मिलता है. यहां अडानी कंपनी 200 करोड़ की लागत से गोबर गैस प्लांट लगा रही है, जिसमें बायोगैस CNG के साथ खाद भी बनाई जाएगी.
Shri Mata Gaushala: जब भी गाय पालन और गौ सेवा की बात आती है तो दिमाग में मथुरा-वृंदावन की एक छवि बन जाती है. यहां पौराणिक काल से ही गाय पालन का बड़ा महत्व है. पूरी दुनिया ब्रज क्षेत्र को दूध हब के तौर पर जानती है, लेकिन अब इसकी पहचान बायोगैस हब के तौर पर होगी. वैसे तो मथुरा में पहले से ही रिफाइनरी मौजूद है, लेकिन अब प्राइवेट कंपनियां भी मथुरा में बायोगैस सीएनजी और खाद बनाने के लिए निवेश कर रही हैं. देश बड़ी कंपनियों में शुमार अडानी ग्रुप की टोटल एनर्जी बायोमास लिमिटेड ने भी अब बरसाना स्थित रमेश बाबा की श्रीमाता गौशाला में बायोगैस प्लांट लगाने के प्लान पर काम चालू कर दिया है. 200 करोड़ की लागत से तैयार होने वाला यह बायोगैस प्लांट सीएनजी के साथ-साथ तरल खाद भी बनाएगा. इसके लिए श्री माता गौशाला से निकलने वाले गोबर का इस्तेमाल होगा. इस प्लांट के लिए किसानों और पशुपालकों से भी गोबर खरीदने का प्लान है.
सीएनजी और गोबर बनाएगा अडानी ग्रुप
देश की बड़ी गौशालाओं में शुमार बरसाना की श्री माता गौशाला में गौ सेवा के साथ-साथ आय का सृजन भी होगा. रिपोर्ट की मानें तो आड़ानी टोटल गैस लिमिटेड ने रमेश बाबा की श्री माता गौशाला के साथ समझौता किया है, जिसके तहत गौशाला की जमीन पर ही बायोगैस प्लांट लगाया जाएगा.
13 एकड़ में फैले इस प्लांट की क्षमता 40 टन गोबर की है, जिससे 750 से 800 किलो तक सीएनजी का प्रोडक्शन मिल सकता है. साथ ही, प्लांट से निकालने वाली तरल खाद भी किसानों को उपलब्ध करवाई जाएगी. इस समझौते के तहत गौशाला के अंदर बनाया जा रहा अडानी ग्रुप का बायोगैस प्लांट 20 साल के लिए गौशाला की जमीन इस्तेमाल करेगा.
बदले में गौशाला को किराया और गोबर के बदले भुगतान भी किया जाएगा. इतना ही नहीं, यहां तैयार बायो गैस CNG बेचकर जो कमाई होगी, इसका एक हिस्सा गौशाला में गौ सेवा पर भी खर्च किया जाएगा.
अमूल और वीटा डेयरी ने भी लगाया बायोगैस प्लांट
देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था जो कभी कृषि और पशुपालन पर निर्भर थी, अब गोबर से कमाई के मॉडल को तेजी से अपना रही है. आज कई किसान-पशुपालक बायोगैस प्लांट लगाकर तरल खाद के साथ-साथ व्यक्तिगत आवश्यकता को पूरा करने के लिए बायोगैस भी बना रहे हैं.
इससे कई रसोइयों का चूल्हा जलता है. गोबर के मॉडल में बढ़ते मुनाफे को देखकर अब कई कंपनियां इस मॉडल पर निवेश कर रही हैं. अडानी ग्रुप से पहले अमूल कंपनी ने भी गुजरात में भी ऐसा ही बायोगैस प्लांट लगाया है. हरियाणा की वीटा डेरी भी नरनौल में ऐसे ही प्लांट पर काम कर रही है.
देश की कई बड़ी कंपनियां गोबर से करोड़ों की कमाई करने की तैयारी कर रही हैं. इसी गोबर से रसोई गैस और वाहनों में इस्तेमाल होने वाली सीएनजी गैस बनाई जा रही है. साथ ही,फसल का उत्पादन बढ़ाने के लिए ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर भी बनाए जा रहे हैं.
पहले से ही बनाई जा रही है बायोगैस
किसान तक की रिपोर्ट के मुताबिक, मथुरा के बरसाना स्थित रमेश बाबा की श्री माता गौशाला में पहले से ही एक बायोगैस प्लांट लगा हुआ है, जिससे हर दिन 25 टन गोबर से बायोगैस बनाई जाती है. इस गैस से ही गौशाला रौशन होती है. बायोगैस प्लांट से निकलने वाली गैस से 100 केवी का जनरेटर संचालित होता है और गौशाला के तमाम कामों के लिए बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित हो रही है.