Sugarcane Farming: गन्ने की मिठास के साथ बढेगा किसानों की मुनाफा, अधिक उत्पादन के लिये अपनायें ये सुपहिट फॉर्मुला
Trench Farming Technique: इस विधि की मदद से गन्ना की मिठास और गन्ना की उत्पादकता के साथ-साथ उत्पादन की मात्रा भी डबल हो जाती है. उत्तर प्रदेश के किसानों के लिये ट्रेंच विधि वरदान साबित हो रही है.
Sugarcane Farming with Trench Technique: भारत को दुनिया का सबसे बड़े गन्ना उत्पादक देश कहते हैं. यहां उत्तर प्रदेश किसानों गन्ना का अधिक उत्पादन लेने के लिये खेती की नई तकनीकों पर काम कर रहे है. कम लागत में उत्पादन बढ़ाने वाली इन्हीं तरीकों में शमिल है ट्रेंच विधि, जिससे किसानों के अलावा स्वयं सहायता समूह की महिलायें भी जुड़कर अच्छी आमदनी कमा रही हैं.
इस काम में वैज्ञानिक भी किसानों की खूब मदद कर रहे हैं और उन्नत किस्म के गन्ने की मदद से नर्सरी में तैयार पौधों को किसानों तक पहुंचा रहे हैं, जिससे काफी किसानों को फायदा मिल रहा है.
क्या है ट्रेंच विधि
ट्रेंच विधि से गन्ना की खेती करने के लिये दो आंख वाले गन्ने के टुकड़ों को क्यारी विधि से उगाया जाता है, जिसके तहत प्रति मीटर क्षेत्र में 10 गन्ने लगाये जाते हैं. बुवाई के बाद से ही इस फसल की देखभाल और प्रबंधन कार्यों में सावधानियां बरती जाती है, जिसके बाद गन्ने की आंखे ठीक तरीके से उगने लगती हैं. इसके लिये खाद-पानी के अलावा कीट-रोग नियंत्रण से जुड़े कामों की निगरानी और रोकथाम की खास जरूरत होती है.
इस तरह तैयार करें खेत
ट्रेंच विधि से गन्ना की खेती के लिये सबसे पहले जमीन में गहरी जुताईयां लगाकर मिट्टी तैयार की जाती है. इसके बाद मिट्टी में दीमक और अंतुर बेधक जैसे रोगों की रोकथाम के लिये 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से रीजेंट का छिड़काव किया जाता है.
- फसल को खरपतवारों से मुक्त रखने के लिये जुताई के समय ही प्रति हेक्टेयर की दर से 725 ग्राम न्यूट्रीब्यूजीन भी मिट्टी में डाली जाती है.
- गन्ना की फसल से बेहतर उत्पादन के लिये खेत में गोबर की खाद या कार्बनिक पदार्थों से भरपूर वर्मी कंपोस्ट भी मिलाई जाती है.
- मिट्टी की जांच के आधार पर प्रति हेक्टेयर खेत में 130 किलोग्राम डीएपी, 100 किलोग्राम पोटाश और 100 किलोग्राम यूरिया के मिश्रण को ट्रेंच की गहराई में डाल देते हैं.
- खेत की तैयारी के बाद गन्ने की दो आंखों वाले टुकड़े बोये जाते हैं, जो सप्ताहभर में ही अपनी जगह जमा लेते है और 30 से 35 दिन में ही फसल का जमाव होने लगता है.
- ट्रेंच विधि से बुवाई के बाद क्यारियों में ड्रिप सिंचाई पद्धति से 2 से 3 दिन के बाद सिंचाई का काम भी किया जाता है, जिससे मिट्टी में नमी बनी रहे और फसल का ठीक प्रकार अंकुरण हो सके.
- पानी की निकासी के लिये खेत में 30 सेंटीमीटर गहरी और 120 सेमी की दूरी पर नालियां भी बनाई जाती है, जिससे जल भराव से फसल को नुकसान ना पहुंचे.
ट्रेंच विधि से गन्ना उत्पादन में लाभ
कृषि विशेषज्ञों की मानें को साधारण विधि के मुकाबले ट्रेंच विधि से गन्ना की फसल को लगाने में लागत कम और उत्पादन काफी हद तक बढ़ जताा है. इस विधि से खेती करने पर खरपतवारों और जल भराव की समस्या नहीं रहती. रिसर्च में पाया गया कि ट्रेंच विधि से उगाये गये गन्ना के रस में मिठास भी ज्यादा होता है और साधारण के मुकाबले यह गन्ना ज्यादा मोटा होता है.
इस प्रकार ट्रेंच विधि गन्ना की उत्पादकता के साथ-साथ गन्ना की मिठास और उत्पादन की मात्रा का भी ख्याल रखती है. उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में गन्ना उत्पादन की ट्रेंच विधि किसानों के लिये वरदान साबित हो रही है.
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