Top Varieties of Sunflower: सूरजमुखी  एक सदाबहार फसल है, जिसकी खेती रबी, खरीफ और जायद तीनों सीजनों में की जाती है. यह एख नकदी फसल है, जिसकी खेती बीज (Sunflower Seeds) और तेल का उत्पादन (Sunflower Oil) लेने के लिये की जाती है. बेशक सूरजमुखी की फसल (Sunflower Crop) किसानों को ज्यादा मुनाफा नहीं दे पा रही, लेकिन इसके बावजूद कर्नाटक(Karnataka), आंध्र प्रदेश(Andhra Pradesh), उड़ीसा(Odisha), महाराष्ट्र(Maharashtra), तमिलनाडु(Tamil Nadu) और बिहार (Bihar) के किसान बड़े पैमाने पर इसकी खेती करते हैं.


इसकी फसल से अच्छी कमाई के लिये मार्च के महीने में इसकी बुवाई करना चाहिये. इस समय फसल की बढ़वार तेजी से होती है और ये 90 से 100 दिनों के बीच पककर तैयार हो जाती है. इसके बीजों में 40 से 50 फीसदी तेल पाया जाता है, जिसमें मौजूद लिनोलिइक अम्ल (Linoleic Acid) शरीर में फैट को बढ़ने से रोकता है. भारत की फिटनेस फ्रिक आबादी आजकल इसी का सेवन कर रही है, इसलिये आने वाले समय में इसकी बढ़ती मांग किसानों को लाभान्वित कर सकती है.


इस तरह करें सूरजमुखी की खेती (Bee Keeping with Sunflower Cultivation)
जीवांश और कार्बनिक पदार्थों से भरपूर बलुई और हल्की दोमट मिट्टी में सूरजमुखी की खेती करके अच्छा उत्पादन ले सकते हैं. सूरजमुखी की फसल के लिये खेत में पर्याप्त नमी की जरूरत नहीं होती, बल्कि फसल की बढ़वार और बेहतर परागण के लिये साथ में मधुमक्खी पालन (Honey Farming with Sunflower Cultivation)  करने की सलाह दी जाती है. इससे शहद उत्पादन (Honey Production from Sunflower Crop) के जरिये अतिरिक्त आमदनी भी कमाकर और सूरजमुखी की क्वालिटी भी बनाये रख सकते हैं.




ये हैं सूरजमुखी बीज की उन्नत किस्में (Advanced Varieties of Sunflower Seed)
सूरजमुखी की खेती के लिये इसकी उन्नत किस्म के बीजों का ही चुनाव करना चाहिये, जिससे ज्यादा से ज्यादा बीजों और तेल का उत्पादन लिया जा सके. पूरी दुनिया में सूरजमुखी की किस्मों का वर्गीकरण कंपोजिट (Composite Varieties of Sunflower) और हाइब्रिड (Hybrid Varieties of Sunflower) के आधार पर किया गया है. 



  • जहां इसकी कंपोजिट किस्मों में माडर्न और सूर्या का नाम लिया जाता है तो वहीं इसकी हाइब्रिड किस्मों में केवीएसएच-1, एसएच-3222, एमएसएफएच-17 व वीएसएफ-1 आदि शामिल हैं.  

  • भारत में सूरजमुखी की ईसी-68414, ईसी-68415,  ईसी-69874, सनराइज सेलेक्शन, मार्डन सूर्या, ज्वालामुखी किस्में भी किसानों के बीच काफी लोकप्रिय हैं.

  • सूरजमुखी की हाईब्रिड किस्मों की खेती के लिये 5-6 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर और कंपोजिट किस्मों की खेती के लिये प्रति हेक्टेयर 12-15 किलोग्राम बीज पर्याप्त रहते हैं.




इन बातों का रखें खास ख्याल (Precautions for Sunflower Cultivation)
सूरजमुखी की खेती के लिये जमीन को जुताईयां लगाकर इथ्रेल छिड़ककर तैयार करें.



  • इसके बाद बुवाई के लिये सूरजमुखी की हाइब्रिड और उन्नत किस्मों का ही चुनाव करें.

  • अच्छी पैदावार के लिये खेत में गोबर की सड़ी खाद या वर्मी कंपोस्ट डालने की सलाह दी जाती है. 

  • किसान चाहें को मिट्टी की जांच के आधार पर नाइट्रोजन, फास्फोरस,पोटेशियम, गन्धक तथा सूक्ष्म तत्व जैसे बोरॉन एवं जिंक जैसे पोषक तत्वों का इस्तेमाल भी सकते हैं.

  • सूरजमुखी की फसल से फूल निकलते समय बोरेक्स का छिड़काव किया जाता है, ताकि बीजों की गुणवत्ता कायम रहे.

  • नील गाय और चिड़ियों से फसल की सुरक्षा के लिये बड़े स्तर पर इसकी खेती करनी चाहिये और खेत की मेडबंदी पर भी ध्यान देना चाहिये.


सूरजमुखी की खेती से फायदा (Benefits of Sunflower Cultivation)
जाहिर है कि सूरजमुखी की खेती तेल (Sunflower Oil)  के उद्देश्य से की जाती है, लेकिन कई कंपनियां इसके ब्यूटी प्रॉडक्ट्स (Beauty Products of Sunflower) भी बनाते हैं. खाद्य तेल (Sunflower Edible Oil) के अलावा इसे औषधीय तेल (Sunflower Herbal Oil)  के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है. बाजार में सालभर इसकी मांग बनी रहती है, इसलिये किसानों के लिये इसकी उन्नत खेती फायदे का सौदा साबित हो सकती है.




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