Cattle Breeding Farm: ब्रीडिंग फार्म क्या है? कैसे ये पशुपालकों की आय बढ़ाता है? ब्रीडिंग फार्म के लिए भी अनुदान देती है सरकार, जानें विस्तार से
Dairy Farm: दूध की बढ़ती डिमांड के बीच लोग डेयरी फार्मिंग से जुड़ रहे हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि डेयरी फार्मिंग के साथ मवेशियों की ब्रीडिंग करवाके दूध के साथ पशुओं की संख्या बढ़ाई जा सकती है.
Breeding Farm: दुनियाभर में दूध डेयरी प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ती जा रही है. अब किसान हो या नए जमाने के युवा प्रोफेशनल हों. हर कोई डेयरी फार्मिंग के बिजनेस में रुचि ले रहा है. जो पुराने पशुपालक है वो डेयरी फार्म का विस्तार कर रहे हैं. वहीं खेती करने वाले किसान और नौकरी-पेशे वाले युवा डेयरी बिजनेस से जुड़कर आत्मनिर्भर बनने की दिशा में काम कर रहे हैं. दूध-डेयरी उत्पादों की साल भर डिमांड रहती है, इसलिए यह बिजनेस फायदे का सौदा साबित हो रहा है. आने वाले समय में दूध और डेयरी उत्पादों की ज्यादा खपत का अनुमान है. ऐसे में यदि आप डेयरी फार्मिंग कर रहे हैं तो साथ में एक ब्रीडिंग फॉर्म भी खोल सकते हैं, जिसके लिए सरकार आर्थिक मदद भी देती है.
क्यों जरूरी है पशुओं की ब्रीडिंग
एक्सपर्ट बताते हैं कि पशुओं की ब्रीडिंग का प्रमुख उद्देश्य उनके उत्पादन में वृद्धि करना और उनसे मिलने वाले उत्पादों की वांछित गुणवत्ता में सुधार करना है. इस तकनीक के जरिए विलुप्त हो रही मवेशियों की देसी प्रजातियों को पुनर्जीवित किया जा रहा है. कई संस्थाएं गाय, भैंस, बकरी, मुर्गी, सूअर और बत्तख आदि पशुओं की देसी और पुरानी नस्लों का कृत्रिम गर्भाधान करवाके उनका संरक्षण और संवर्धन कर रहे हैं.
क्या होता है ब्रीडिंग फार्म
देश में दूध का उत्पादन बढ़ाने की कवायद तेज हो गई है. पशुपालक भी अच्छी नस्ल के पशुओं को खरीदकर अपने डेयरी फार्म को आगे तक ले जा रहे हैं. डेयरी फार्म का फोकस पूरी तरह से दूध उत्पादन पर होता है, इसके लिए पशुओं को रिप्लेस भी करना पड़े को पशुपालक झिझकते नहीं है.
बस मिल्क की सप्लाई बनी रहे. इसी पर ही डेयरी फार्म की सफलता निर्भर करती है, लेकिन ब्रीडिंग फार्म में अच्छी गुणवत्ता के पशुओं की संख्या बढ़ाने पर ध्यान दिया जाता है. इसमें अच्छी नस्ल को प्रमोट करते हुए ब्रीडिंग के जरिए पशुओं की संख्या बढ़ाई जाती है.
अब यदि डेयरी फार्म में पशुपालकों के पास पहले से ही अच्छी नस्ल है तो ब्रीडिंग फार्म के जरिए पशुओं की संख्या बढ़ा सकते हैं. ब्रीडिंग फार्म की जानकारी देते हुए पशु विशेषज्ञ, डॉ. रोहित गुप्ता बताते हैं कि 'ब्रीडिंग फार्म में पशुओं का मल्टीप्लीकेशन किया जाता है. यहां अच्छे जीन को प्रोपगेट किया जाता है, ताकि अच्छे दूध देने वाले पशु की संख्या बढ़ाई जा सके. गुड क्वालिटी एनिमल को प्रमोशन मिले.'
ब्रीडिंग फार्म में हर एक पशु का रिकॉर्ड और हिस्ट्री नोट की जाती है, जिसमें पशु की मां और सिबलिंग की सेहत, दूध की मात्रा और प्रजनन क्षमता के बारे में भी लिखा होता है, जिन पशुओं का रिकॉर्ड अच्छा रहता है, उन्हीं की ब्रीडिंग होती और उनसे पैदा होने वाले नौनिहाल डेयरी फार्म्स का फ्यूचर बनते हैं.'
पशुओं के कंफर्ट का खास ध्यान
यदि आप डेयरी फार्म के साथ ब्रीडिंग का काम भी कर रहे है, ज्यादा जगह की आवश्यकता नहीं होगी. इस मामले में कृषि विज्ञान केंद्र, जालंधर के पशु विशेषज्ञ डॉ. रोहित गुप्ता बताते हैं कि एक 'ब्रीड मल्टीप्लीकेशन फार्म' में पशुओं के खाने, पीने से लेकर बीमारी, घूमने-फिरने का ध्यान रखकर कंफर्टेबल वातावरण दिया जाता है, जिसे वैज्ञानिक विधि से पशुपालन भी कहते हैं.
एक आइडियल ब्रीडिंग फार्म की बात करें तो यह 20 पशुओं के साथ शुरू किया जा सकता है. यदि आप डेयरी फार्मिंग कर रहे हैं तो अपनी अच्छी नस्लों की हिस्ट्री का रिकॉर्ड रखते हुए ब्रीडिंग फार्म भी खोल सकते हैं.
मादा पशु हैं डेयरी-ब्रीडिंग फार्म का भविष्य
देश में अच्छी दूध देने की क्षमता वाले पशुओं की नस्लों की मांग है. पशु विशेषज्ञ डॉ. रोहित गुप्ता बताते हैं कि एक मादा मवेशी ही गर्भधारण करती है और दूध देती है, इसलिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत सेक्स सॉर्टेट सीमेन को प्रमोट किया जा रहा है, जिससे मादा पशु के पैदा होने की संभावना 90 से 95 फीसदी तक होती है. इस स्कीम के तहत इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) के तहत अच्छी गुणवत्ता के पशु पैदा किए जा रहे हैं.
अच्छे ब्रीडिंग फार्म का रजिस्ट्रेशन जरूरी
वैसे तो पशुओं के बाजार में धोखाधड़ी की काफी संभावनाएं है. कई लोग अच्छी नस्ल कहकर पशुपालकों को कम दुधारु पशु बेच देते हैं, जिनकी दूध, सेहत और प्रजनन क्षमता अच्छी नहीं होती.
आप चाहते हैं कि आपका ब्रीडिंग फार्म अच्छी तरह चलता रहे और अच्छी क्षमता वाले उन्नत नस्ल के पशुओं को दूसरे पशुपालक भी पसंद करके बेझिझक खरीद लें तो रजिस्ट्रार कॉर्पोरेटिव सोसाइटी से रजिस्टर करवाएं और पशुपालन विभाग से एक्रेडेशन लें.
इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि सरकार की तरफ से तमाम योजनाओं का लाभ ले पाएंगे. सरकारी योजनाओं से सब्सिडी मिल पाएगी और पशुपालक को भी बिजनेस और ग्राहक को पशु खरीदने पर सिक्योरिटी रहेगी.
कितनी कमाई हो जाएगी
ब्रीडिंग फार्म का बिजनेस तब फायदेमंद होगा, जब आप इसे अच्छी नस्ल के पशुओं के डेयरी फार्म के साथ-साथ ब्रीडिंग का काम करेंगे और सारी चीजें ऑन रिकॉर्ड रखेंगे. शुरुआत में थोड़ा टाइम देना होगा, वैज्ञानिक विधि से सारा काम करना होगा. यदि मुनाफा कमाने का सोच रहे हैं तो 3 से 5 साल का समय लग सकता है. एक बार ब्रीडिंग फार्म जम जाए तो हर साल 10 दुधारु पशुओं की बिक्री कर सकते हैं.
ब्रीडिंग फार्म के लिए आर्थिक मदद
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कुछ दिन पहले ही केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री संजीव बालियान ने जानकारी दी की ब्रीडिंग फार्म बिजनेस के लिए सरकार 50% सब्सिडी देने की योजना बना रही है.
यदि आप गाय, भैंस, बकरी, सूअर और मुर्गी का ब्रीडिंग फार्म पर 4 करोड़, 1 करोड़, 60 लाख या 50 लाख खर्च करते हैं तो राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना का लाभ लेकर 50% अनुदान हासिल कर सकते हैं.
कहां से मिलेगी जानकारी
यदि आपने भी डेयरी फार्म के साथ-साथ ब्रीडिंग फार्म खोलने का मन बना रहे हैं तो पहले अपने जिले के नजदीकी पशुपालन विभाग या डेयरी विभाग के कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं. वहां मौजूद वेटनरी डॉक्टर आपको तकनीकी सहयोग भी करेंगे.
यहां मौजूद पशुपालन अधिकारी आपको इस बिजनेस में होने वाले खर्च और सरकारी सहायता के लिए आवेदन के बारे में बताएंगे. अपने जिले के कृषि विज्अञान केंद्र से आप ब्रीडिंग फार्म खोलने के लिए ट्रेनिंग और अन्य तकनीकी जानकारियां भी हासिल कर सकते हैं. यदि सही जानकारी के साथ ब्रीडिंग फार्म चालू करेंगे तो निश्चित ही मुनाफा होगा.
भारतीय नस्लों ने विदेश में बढ़ाया दूध
क्या आप जानते हैं कि भारतीय नस्ल की देसी गायों ने कितने देशों में दूध के उत्पादन को बढ़ा दिया है. पशु विशेषज्ञ डॉ. रोहित गुप्ता बताते हैं कि ब्राजील ने भारत की गिर नस्ल (गुजरात) की गाय और ऑस्ट्रेलिया ने साहीवाल नस्ल (पंजाब) की गाय की सलेक्टिव ब्रीडिंग के जरिए दूध का उत्पादन बढ़ा लिया है.
हमने भी 1970 के दशक में व्हाइट रिवोल्यूशन के टाइम पर विदेशी नस्लों का आगाज किया, जिनका मकसद क्रॉस ब्रीडिंग के जरिए नस्ल सुधार करना. आज सफेद क्रांति को 50 साल हो चुके है और हमने ज्यादातर पशुओं को क्रॉस ब्रीड में चेंज कर लिया है.
कई रिसर्च में साबित हुआ है कि भारत की देसी नस्लों के दूध में पोषण की मात्रा ज्यादा है. देसी पशुओं की क्षमता को समझते हुए अब राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत देसी जानवरों को प्रमोट किया जा रहा है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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