Papaya Farming Business: सर्दियां आते-आते बीमारियां भी अपने पीक पर होती है. अभी कोविड की टेंशन पूरी तरह खत्म नहीं हुई कि अब ठंड में सर्दी-जुकाम, बुखार का सिलसिला शुरू हो रहा है. ये सिर्फ सर्दियों की दिक्कत नहीं है. जैसे-जैसे समय बढ़ता जा रहा है, बीमारियों का खतरा भी उतनी ही तेजी से बढ़ रहा है. इन परेशानियों से बचने के लिए हेल्दी डाइट पर फोकस कर रहे हैं. कई रिसर्च में सामने आया है कि पपीता के औषधीय गुण ना सिर्फ बीमारियों का खतरा कम करते हैं, बल्कि शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाते हैं.


बाजार में इस फल की मांग भी ज्यादा है, इसलिए अगर नौकरी-पेशे से ऊब चुके हैं तो पपीता की खेती और इसका एग्री बिजनेस (Agri Business) करने के बारे में सोच सकते हैं. अच्छी बात ये है कि पपीता की खेती सिर्फ किसानों तक ही सीमित नहीं है.


अब केंद्र और राज्य सरकारें हर भारतीय नागरिक को खेती और एग्री बिजनेस करने के लिए फाइनेंशियल हेल्प करती है. पपीता या दूसरे फल उगाने के लिए भी सरकार अलग-अलग स्कीम्स के जरिए पैसा देती है. इस आर्टिकल में आप जान सकते हैं कि कैसे इन स्कीम्स का लाभ लेकर इस तरह के एग्री बिजनेस में कदम रख सकते हैं.


राष्ट्रीय बागवानी मिशन स्कीम
देश में बागवानी फसलों (फल, सब्जी, हर्ब्स, मसाले) की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. अब किसानों के साथ-साथ युवा और नौकरी-पेशे वाले लोग भी गांव में रहकर खेती-किसानी करने लगे हैं.अच्छी बात ये है कि अब खेती के लिए सरकार से आर्थिक मदद के साथ ट्रेनिंग की सुविधा भी मिल जाती है.


हम बात कर रहे हैं केंद्र सरकार की टॉप कृषि योजना-राष्ट्रीय बागवानी मिशन (National  Horticulture Mission Scheme) के बारे में. अगर आपके पास खुद की खेती योग्य जमीन है और भारत की नागरिकता भी है तो राष्ट्रीय बागवानी मिशन स्कीम से जुड़कर फलों की खेती का इकोफ्रैंडली बिजनेस कर सकते हैं. फलों की खेती से जुड़ी अधिक जानकारी और इस स्कीम में आवेदन करने के लिए अपने जिले के कृषि विभाग के कार्यालय या कृषि विज्ञान केंद्र में भी संपर्क कर सकते हैं. 


पपीता की खेती के लिए सब्सिडी
बिहार सरकार ने भी एकीकृत बागवानी विकास मिशन (Integrated Horticulture Development Mission) स्कीम चलाई है. इस स्कीम में एक हेक्टेयर में पपीता की खेती करने के लिए बिहार के किसानों को 45,000 रुपये दिए जाएंगे.यदि किसान एक हेक्टेयर में पपीता की बागवानी के लिए 60,000 रुपये खर्च करता है तो सरकार 60% सब्सिडी यानी 45,000 रुपये का अनुदान देती है. इस स्कीम में अपलाई करना भी बेहद आसान है.


बस आपको अपना आधार कार्ड, पासपोर्ट साइट फोटो, बैंक अकाउंट डीटेल,पहचान पत्र, निवास प्रमाण पत्र, जमीन के कागजात-एलपीसी और पपीता की खेती का विवरण तैयार रखना होगा. इसके बाद http://horticulture.bihar.gov.in/ पर सीधा आवेदन कर सकते हैं. अगर कुछ दिक्कत आ रही है तो सहायक निदेशक, उद्यान से भी संपर्क कर सकते हैं.
 
मुनाफा देने वाली पपीता की टॉप वैरायटी
अगर आपने भी पपीता की खेती करने मन बना लिया है तो इससे अच्छा मुनाफा कमाने के लिए टॉप वैरायटी के पौधे किसी मान्यता प्राप्त नर्सरी से खरीदें. एक्सपर्ट्स की मानें तो पपीता की कमर्शियल फार्मिंग के लिए ताइवान , रेड लेडी -786, हानिड्यू (मधु बिंदु) , कुर्ग हनीड्यू, वाशिंगटन, कोयंबटूर -1 , पंजाब स्वीट , पूसा डिलीशियस ,पूसा जाइंट , पूसा ड्वार्फ, पूसा नन्हा, सूर्या, पंत पपीता आदि किस्में पपीता के फलों का बंपर प्रोडक्शन देती है. इन किस्मों को फलों की क्वालिटी बाजार में भी आसानी से बिक जाती है. 


वहीं पपीता के फलों के साथ-साथ कच्चे पपीते का रस (दूध जैसा पदार्थ-पपेन) भी बाजार में ऊंचे दाम पर बिकता है. इसका इस्तेमाल मांस को मुलायम करने, प्रोटीन के पचाने, पेय पदार्थों को साफ करने, च्विंगम मेकिंग, पेपर निर्माण, दवाओं के निर्माण और ब्यूटी प्रोडक्ट्स बनाने में किया जाता है.


फलों के साथ पपेन का ये बिजनेस आपको डबल मुनाफा दिला सकता है. इसके लिए सरकार की एग्री बिजनेस-एग्री क्लीनिक स्कीम (Agri Clinic and Agribusiness Centre's Scheme- ACABC Scheme) से आर्थिक मदद मिल जाएगी. पपीता के साथ पपेन के प्रोडक्शन के लिए पूसा मैजेस्टी , CO.-5, CO.-2 की खेती कर सकते हैं.


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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