Rabi Crop Cultivation: भारत में खरीफ फसलों (Kharif season 2022) की कटाई तेजी से चल रही है. इसी के साथ किसानों ने रबी सीजन (Rabi Season 2022) की तैयारियां भी शुरू कर दी है. इसी बीच भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR-IARI, Pusa) के वैज्ञानिकों ने खरीफ फसलों की कटाई से लेकर रबी फसलों की बुवाई तक में सावधानी बरतने की सलाह दी है. आईसीएआर के विशेषज्ञों ने एडवायजरी जारी करके बताया है कि मौसम पूर्वानुमान (Weather Based Farming) का ध्यान रखते हुय बारिश के समय फसलों पर छिड़काव ना करें.


साथ ही रबी फसलों की बुवाई के लिए खेतों की जुताई करके पाटा लगाएं, जिससे मिट्टी की नमी कायम रहे. रबी फसलों की बुवाई के लिए खेतों को साफ-सुथरा, जल निकासी की व्यवस्था और मेड़ बनाने की सलाह भी दी है. हाल में जारी एडवायजरी (Agriculture Advisory) में विशेषज्ञों ने बताया है कि मिट्टी की उर्वरता को कायम रखने के लिए सड़े गोबर की खाद खेतों में फैलाएं. इससे मिट्टी में जीवांश बढ़ेंगे और बीजों का जमाव भी बेहतर ढंग से होगा. बता दें कि गोबर की खाद से मिट्टी की नमी कायम रहती ही है, साथ ही भूजल स्तर भी कायम रहता है.


सरसों की खेती


खेती का बुनियादी काम होता है जमीन को तैयार करना, ताकि बीजों की बुवाई के साथ ही अंकुरण और पौधों का सही विकास हो. इससे अच्छी पैदावार लेने में भी खास मदद मिलती है. सरसों की खेती के लिए सबसे पहले खेत की जुताई करके पाटा लगाएं और मिट्टी की जांच के आधार पर खेतों में खाद-उर्वरक का इस्तेमाल करें. वहीं बुवाई से पहले बीजों को भी थीरम या केप्टान की 2.5 ग्राम मात्रा से प्रति किलोग्राम बीजों का उपचार करें, ताकि बुवाई के बाद फसलों में कीट-रोगों की समस्या ना आए.


इसके बाद सरसों की बुवाई (Mustard farming)  कतारों में करें. इसके लिए कम फैलने वाली किस्मों को 30 सेमी. और ज्यादा फैलने वाली किस्मों की बुवाई  45-50 सेमी की दूरी पर करें. इस बीच पौध से पौध के बीच 12 से 15 सेमी की दूरी रखनी चाहिए, ताकि निराई-गुड़ाई, खरपतवार और फसल की निगरानी में आसानी रहे. पूसा सरसों-25, पूसा सरसों-26, पूसा अगर्णी, पूसा तारक और पूसा महक इसकी उन्नत किस्में है. 


मटर की खेती


बीजों का उपचार करने से मिट्टी की कमियां फसल पर हावी नहीं होतीं और फसल में भी प्राकृतिक विकार पैदा नहीं होते. विशेषज्ञों के मुताबिक, मटर (Green Pea Cultivation) जैसी बागवानी फसलों की बुवाई से पहले 2 ग्राम से प्रति किलोग्राम बीजों का उपचार करना बेहद जरूरी है. इसके अलावा फसल को राइजोबियम टीका लगाने की सलाह भी दी जा रही है.


इसके लिए गुड़ को पानी में उबालकर राइजोबियम कल्चर मिलाएं और बीजों पर इस घोल की कोटिंग करके छाया में सुखा दें. इसके 24 घंटे बाद बीजों की बुवाई कर सकते हैं. बुवाई से पहले खेत में नमी का होना भी जरूरी है. किसान चाहें तो इस सीजन मटर की बुवाई के लिए पूसा प्रगति और आर्किल से बुवाई का काम कर सकते हैं. 


गाजर की खेती


गाजर रबी सीजन की प्रमुख बागवानी फसल है, जिसकी उन्नत किस्मों में पूसा रुधिरा और पूसा असिता शामिल है. गाजर जमीन में पैदा होने वाली सब्जी है, जिसकी बुवाई मेड़ों पर की जाती है. इस फसल से बेहतर उत्पादन के लिए खेत की तैयारी के समय गोबर की खाद, पोटाश और फास्फोरस उर्वरकों का इस्तेमाल करें.


प्रति एकड़ खेत में गाजर की खेती (Carrot farming) के लिये 4 किलो और मशीन से बिजाई करने पर 2 किग्रा बीज काफी रहते हैं. इनकी बुवाई से पहले 2 ग्राम कैप्टान से प्रति किलोग्राम बीजों का उपचार करें. 
 
सब्जी फसलों की खेती


किसानों को कम खर्च में बेहतर उत्पादन देने वाली बागवानी फसलों की खेती के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है. खासकर सब्जी फसलों (vegetable farming) से किसानों को अच्छी आमदनी हो रही है, लेकिन बदलती जलवायु और मौसम की अनिश्चितताओं के कारण अकसर बागवानी (Horticulture) फसलों में नुकसान भी झेलना पड़ जाता है.


इस समय सब्जी फसलों में सफेद मक्खी या चूसक कीटों की संभावना काफी बढ़ जाती है. इसकी रोकथाम के लिये फसल पर 5% नीम-तेल को प्रति लीटर पानी घोलकर छिड़काव करें. बारिश के मौसम में फसलों को जल भराव से बचाने के लिए सब्जी की हाइब्रिड किस्मों के साथ-साथ प्याज की बुवाई (Onion Cultivation) भी मेड़ों पर ही करनी चाहिए.


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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