Rain Advisory for Farmers: मानसून में देरी के कारण खेती-किसानी पर बारिश का कहर बढ़ता जा रहा है. अब मौसम का मिजाज देखते हुये भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (Indian Meteorological Department) ने उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश,  छत्तीसगढ़, राजस्थान, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, झारखंड और दक्षिण भारत समेत करीब 23 राज्यों में येलो अलर्ट (Yellow Alert of Rain) जारी कर दिया है. मौसम विभाग द्वारा जारी नये पूर्वानुमान के मुताबिक, इन राज्यों में बिजली चमकने के साथ बारिश की भी संभावना है. वहीं कुछ राज्यों में भी भारी बारिश के आसार है. उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में 3 दिन से लगातार बारिश जारी है, जिसके कारण नदियां भी उफान पर आ गई है.


इतना ही नहीं, खेतों में भरे पानी ने भी किसानों की चिंतायें बढ़ा दी है, इसलिये अधिकारियों को भी राहत कार्य करने के निर्देश दिये गये हैं. इस बीच किसान भी जलमग्न खेतों में प्रबंधन (Water Drainage management) कार्य शुरू कर दें, जिससे बारिश रुकने पर 15 अक्टूबर तक रबी फसलों (Rabi Season 2022) की बुवाई की जा सके. कई खेतों में फसलें अभी भी कटाई के लिये खड़ी है तो कुछ फसलें जलमग्न हो चुकी हैं. वे भी मौसम साफ होने पर फसल कटाई(Kharif Crop Harvesting), खेतों की साफ-सफाई के साथ-साथ कटी हुई फसलों के तुरंत उचित प्रबंधन (Crop Management in Rain) का काम कर लें. 


खेतों से बाहर निकाल दें पानी
जाहिर है कि पिछले दिनों से जारी तेज बारिश के कारण सबसे बुरा असर खेती योग्य जमीन पर पड़ रहा है. यहां खाली खेतों में पानी भरने से कीचड़ और दलदली माहौल बन जाता है. वहीं खेतों में बिछी हुई फसलें भी तेज बारिश के कारण दोबारा भीग जाती है और उनमें गलन-सड़न पैदा होने लगती है. धान के साथ-साथ बागवानी और दलहनी फसलों में गलन-सड़न और कीट-रोगों के नुकसान की संभावना बनी रहती हैं. यही कारण है कि शुरुआत से ही किसानों को खेतों में जल निकासी का प्रबंध करने की सलाह दी जाती है. 


इस तरह करें जल निकासी
खेतों में लगातार बारिश के बीच फसल बर्बाद तो हो ही जाती है, लेकिन असली समस्या फसल में सड़न-गलन से होती है. इसका बुरा असर मिट्टी पर भी पड़ता है, इसलिये तत्काल प्रभाव से खेतों में जल निकासी शुरू कर देनी चाहिये. इसके लिये खेत में भरे पानी में जल्द से जल्द जल निकासी का प्रबंधन करें.



  • सबसे पहले खेतों में बनी सभी मेड़ों को हटाकर बाहर की तरफ नालियां बनायें, जिससे पानी खेतों से बाहर निकल जाये. 

  • किसान चाहें तो पंप लगाकर भी खेतों में भरे पानी को बाहर निकाल सकते हैं. ऐसा करने जल जमाव नहीं होगा और बची-कुची फसलों को भी नुकसान से बचा सकते हैं.

  • वहीं कई खेतों में धान की फसलें बिछ चुकी है, उन्हें भी बर्बाद हुई फसल को समेटकर पानी की निकासी कर लेनी चाहिये. देरी करने पर सड़न, गलन  के साथ कीट-रोगों का प्रकोप बढ़ जाता है


कीट-रोग नियंत्रण का काम करें
कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, कम बारिश या खेतों में कम पानी भरने पर ज्यादा समस्या नहीं होती, लेकिन 7 से 10 दिन तक लगातार चल रही बारिश की स्थिति में खेतों में तुरंत नालियां निकाल देनी चाहिये.
पानी निकालने के बाद खेतों में कीट-रोगों की निगरानी करनी होगी. यदि फसल में लक्षण नजर आये तो मौसम साफ होने पर ही नीम आधारित कीटनाशक का छिड़काव कर सकते हैं. 
बता दें कि कमजोर फसलों पर कीट-रोगों की संभावना ज्यादा रहती है. ऐसे में मौसम साफ होने पर यूरिया बुरकाव करके भी काफी हद तक नुकसान से बचा जा सकता है. 


समतल जमीन पर ना करें खेती
जल निकासी करने के बाद खेतों को सूखने में भी समय लगता है. ऐसे में जब खेत पूरी तरह से सूख जायें और मिट्टी में हल्की नमी कायम रहे तो रबी फसलों की बुवाई का काम भी शुरू कर सकते हैं. 



  • खासकर बागवानी फसलों की खेती के लिये अब समतल खेतों में बुवाई-रोपाई करने के बजाय ऊंचे बैड बनाकर ही खेती करने की सलाह दी जाती है. इससे फसलों में जल भराव की संभावना कम हो जाती है. 

  • कृषि विशेषज्ञों  के मुताबिक, धान के फसल अवशेषों में भरे पानी को निकालने के बाद नमी कायम रहती है. ऐसे में धान के फसल अवशेषों के बीच सीड़ ड्रिल मशीन (Seed Drill Machine) से गेहूं की बिजाई कर सकते हैं.

  • ऐसा करने से धान के अवशेष (Paddy Residue Management) भी खाद में तब्दील हो जायेंगे, फसल में खरपतवार की संभावना नहीं रहेगी और गेहूं की अच्छी पैदावार लेने में भी मदद मिलेगी.

  • भविष्य में इस तरह के नुकसान से बचने के लिये रोगरोधी किस्मों और अच्छी क्वालिटी के बीजों का चयन करना चाहिये, जिससे बारिश के कारण और कीट-रोगों की संभावना कम हो जायें.


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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