Rabi Crop Farming: देश के ज्यादातर इलाकों में रबी फसलों की बुवाई चल रही है. गेहूं से लेकर मक्का, गन्ना, चना आदि रबी सीजन प्रमुख नकदी फसलें है. पूरे देश में दलहनी फसलों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है, इसलिए किसान भी रबी सीजन प्रमुख फसल चना की बुवाई में जुटे हैं. इस बीच किसानों के मन में चना की खेती के लेकर कई सवाल होते हैं कि फसल को कीट-रोगों से कैसे मुक्त रखें, कम समय में उपज और अधिक उत्पादन कैसे लें. इन सभी सवालों के जवाबों के साथ भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कृषि विशेषज्ञों ने एडवायजरी जारी की है. 


कैसे करें चना की खेती
आईसीएआर-आईएआरआई (ICAR-IARI) के एक्सपर्ट्स बताते हैं कि चना की फसल में फफूंद के कारण उकटा लोग को संकट मंडराने लगता है. इस रोग से फसल को 70 से 80% तक नुकसान होता है और पैदावार भी कम हो जाती है. इस तरह के तमाम रोगों को सिर्फ बीजोपचार करके भी नियंत्रित किया जा सकता है. एक्सर्ट्स बताते हैं कि ये रोग मिट्टी की कमियों के कारण फसल पर हावी होता है.



  • इसकी रोकथाम के लिए मिट्टी की जांच के आधार पर उपाय करने चाहिए. साथ ही, चना के बीजों को उपचार के बाद ही खेतों में बोना चाहिए. 

  • चना के बीजोपचार के लिए कार्बेंडाजिम और थीरम दवा की 1-1ग्राम मात्रा लेकर 2 से 2.5 किलो बीजों पर कोटिंग करनी चाहिए.

  • किसान चाहें तो जैव उर्वरक ट्राइकोडर्मा का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इसकी 6 से 7 ग्राम मात्रा से प्रति किलो बीजों का उपचार किया जा सकता है.

  • चना की फसल में तमाम रोगों की रोकथाम के लिए पूसा वैज्ञानिकों द्वारा विकसित उन्नशील बीज- पूसा-3042, पूसा-3062 और पूसा 212 से बुवाई कर सकते हैं.


आलू की बुवाई
नवंबर का ये समय आलू की बुवाई के लिए भी सबसे अनुकूल है. अच्छी पैदावार के लिए किसानों को आलू की उन्नत किस्मों का चयन करना होगा. इनमें कुफरी बादशाह, कुफरी ज्योति, कुफरी अलंकार और कुफरी चंद्रमुखी भी शामिल है. यदि कम समय में आलू का अच्छा उत्पादन लेना चाहते हैं तो कुफरी ज्योति किस्म की बुवाई फायदेमंद रहेगी.



  • आलू की बुवाई के लिए जैविक विधि से खेत को तैयार करें. आलू के पौधों या कंदों की रोपाई से पहले बीजोपचार या जड़ों का उपचार करें. 

  • इसके 24 घंटे बाद ही आलू की बुवाई खेतों में करनी चाहिए. इस बीच पौध से पौध की दूरी 45*20 या 60*15 रख सकते हैं. 


गाजर की बुवाई
ये समय गाजर की खेती के लिए भी सबसे अनुकूल है. किसान चाहें तो गाजर को मुख्य फसल के तौर पर उगा सकते हैं या फिर खेत में मेड़ बनाकर भी इसकी बुवाई करके अच्छी उपज हासिल कर सकते हैं. 



  • गाजर की खेती के लिए पूसा रुधिरा एक उन्नशील किस्म है, जिसकी बुवाई के लिए 4 किग्रा बीजदार काफी रहते हैं.

  • गाजर के बीजों की बुवाई से पहले 2 ग्राम कैप्टान दवा से प्रति किलोग्राम बीजों का उपचार करें.

  • खेत की तैयारी करते समय मिट्टी की जांच के आधार पर देसी खाद, पोटाश और फास्फोरस उर्वरक डालें.

  • बता दें कि एक एकड़ में सीड ड्रिल मशीन से गाजर की बुवाई करते समय सिर्फ 1 किलोग्राम बीजों की आवश्यकता होती है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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