Weather based Agriculture Advisory: भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां की ज्यादातर आबादी अपनी आजीविका के लिये खेती पर निर्भर रहती है, साथ ही अतिरिक्त आमदनी के लिये पशुपालन (Animal Husbandry) भी किया है, लेकिन मौसम की अनिश्चितता और बीमारियों के कारण किसान और पशुपालकों को भारी नुकसान भुगतना झेलना पड़ता है. किसानों को इस संकट से निकलाने के लिये सरकार, कृषि विशेषज्ञ और मौसम विभाग एग्रोमैट एडवायजरी (Agromet Advisory) जारी करते हैं.


इस तरह मुसीबतों से पहले ही किसान और पशुपालक अलर्ट हो जाते हैं. फिलहाल खरीफ फसलों की कटाई, रबी फसलों की बुवाई और पशुपालन के लिये काफी अहम वक्त चल रहा है, इसलिये हरियाणा राज्य के किसानों के लिये मौसम आधारित कृषि सलाह (Weather Based Advisory) जारी की गई है, जिससे फसलों का सही उत्पादन और पशुओं की सही देखभाल की जा सके. 


धान की देखभाल
किसानों को सलाह दी जा रही है कि धान की कटाई (Paddy Harvesting) से करीब 3 सप्ताह पहले सिंचाई का काम रोक दें और फसल में लगातार निगरानी करते रहें.
फसल में बीमारियों का प्रकोप दिखने पर 150 मिली पल्सर, 26.8 ग्राम एपिक, 80 ग्राम नेटिवो, 200 मिली एमिस्टर टॉप, टिल्ट या फोलिकुर/ओरियस आदि में से किसी भी दवा को 200 लीटर पानी के साथ घोलकर प्रति एकड़ में स्प्रे करें.



  • पानी में प्लांट हॉपर दिखने पर 80 ग्राम ओशीन/टोकन 20 एसजी (डायनोटफ्यूरान) को 100 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ पर स्प्रे कर दें.

  • धान की फसल में पानी भरने पर निकासी की व्यवस्था करें और मौसम साफ होने पर ही फसल पर छिड़काव करें.

  • इस समय गन्ना, कपास और बाजरा की फसल में कीट, रोग और खरपतवारों की निगरानी और नियंत्रण के लिये छिड़काव कर सकते हैं.


बागवानी फसलों की देखभाल
ये समय फूलगोभी, पत्तागोभी, ब्रोकली की अगेती किस्मों की खेती (Vegetable Farming) के लिये सही रहता है. 



  • इस समय किसान आलू, मूली, शलजम, पालक, धनिया, मेथी आदि जैसी सर्दियों की सब्जियों खेती के लिये खेत की तैयारी भी कर लें.

  • खरीफ सीजन में बोई गईं टमाटर, मिर्च और दूसरी बागवानी फसलों में निगरानी बनाये रखें, क्योंकि इस समय कवक रोग और कीट-पतंगों का प्रकोप बढ़ जाता है.

  • इनकी रोकथाम के लिये फसलों पर नीम ऑइल-गौ मूत्र का स्प्रे करें. साथ ही सब्जी फसलों के बीच में लाइट ट्रेप लगायें.


पशुओं के लिये एडवायजरी
इस समय पशुओं को सुबह-शाम संतुलित पशु चारा (Animal Fodder) खिलायें. रोजाना करीब 50 से 100 ग्राम पोषक तत्वों से भरपूर चारा खिलाने पर दूध उत्पादन (Milk Production) और पशुओं की रोग प्रतिरोधी क्षमता बेहतर रहेगी.



  • दुधारु पशुओं को हाइड्रेटेड रखने के लिये साफ और ताजा पानी पिलायें और पशु चिकित्सक से संपर्क करके पशुओं को रोगरोधी टीके लगवायें.

  • गर्मी और मौसम बदलने के कारण अकसर पशुओं को पेट से जुड़ी समस्या हो जाती है.

  • ऐसे में मच्छर, मक्खियाँ, टिक्स भी पनपने लगते हैं. इनकी रोकथाम के लिये साफ-सफाई रखें और पशुओं की देखभाल (Animal Care) करते रहें.


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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