Agriculture Advisory: खरीफ फसलों में बढ़ा दें निगरानी, सरसों के बंपर उत्पादन के लिये इन किस्मों से करें अगेती खेती
Kharif Crops Management: बासमती धान की फसल में आभासी कंड के प्रकोप और साधारण धान में तना छेदक कीट, झुलसा रोग और ब्राउन हॉपर का खतरा भी मंडरा रहा है. इसकी रोकथाम के लिये कीट-रोग नियंत्रण शुरू कर दें.
Top Mustard Varieties: भारत के ज्यादातर इलाकों में खरीफ फसलों का उत्पादन अपने पीक है. इस दौरान फसलों पर मौसम की मार का खतरा तो बना ही हुआ है, साथ ही कीट-रोगों की संभावना भी बनी हुई है. ऐसें ICAR-IARI के वैज्ञानिकों ने लगातार खेतों में निगरानी और रोकथाम के उपाय करने की सलाह दी है. पूसा संस्थान (Pusa Institute) के यूट्यूब प्लेटफॉर्म पर बासमती धान की फसल (Basmati Rice) में आभासी कंड के प्रकोप की संभावनायें जताई जा रही है.
इसके अलावा, धान के खेतों में तना छेदक कीट, झुलसा रोग और ब्राउन हॉपर का खतरा भी मंडरा रहा है, जिसकी रोकथाम के लिये कीटनाशकों का छिड़काव और सावधानी बरतने (Paddy Crop Management) को कहा गया है. इतना ही नहीं, जल्द ही रबी फसलों की बुवाई का काम शुरू होने वाले है, इसलिये किसान अब प्रमुख तिलहनी फसल सरसों की अगेती खेती (Mustard Farming) की तैयार भी शुरू कर सकते हैं. इसके लिये उन्नत किस्म के प्रमाणित बीजों का ही चयन करें, जिससे अच्छा उत्पादन मिल सके.
बासमती धान में आभासी कंड
बदलते मौसम और हल्की बारिश के बीच धान के खेतों में कीट-रोगों का खतरा बना रहता है. खासकर बासमती धान की फसल में आभासी कंड की संभावनायें काफी बढ़ जाती है, जिसके कारण बासमती धान की बालियों में दाना फूल जाता है और पीला पड़ने लगता है. इससे उपज की क्वालिटी पर बुरा असर पड़ता है. इस समस्या की रोकथाम के लिये ब्लाइटोक्स-50 की 2.0 ग्राम मात्रा को 1 लाटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर फसल पर छिड़क सकते हैं. आभासी कंड का प्रकोप बढ़ने पर हर 10 दिन के अंतराल पर 2 से 3 बार इसका छिड़काव करें.
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धान में फसल प्रबंधन
साधारण धान के खेतों में भी बदलते मौसम के बीच कीट-रोग मंडराने लगते हैं, जिससे आखिरी वक्त में पैदावार कम हो सकती है. इसकी रोकथाम के लिये कीट-रोग नियंत्रण शुरू कर दें.
- धान में तना छेदक कीट के नियंत्रण के लिये 4-6 प्रति एकड़ फीरोमेन ट्रेप लगायें और करटाप दवा के 4% दानों को 10 किग्रा प्रति एकड़ की दर से फसल पर बुरकाव करें.
- फसल में झुलसा रोग के कारण पत्तियां पीली पड़ जाती है और धान की बालियों पर भी बुरा असर पड़ता है.
- इसकी रोकथाम के लिये 15 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लि और 400 ग्राम कापर हाइड्रोक्साइड को 200 लीटर पानी में घोलकर 10-15 दिन के अंतराल पर प्रति हेक्टेयर खेत में छिड़काव करें.
- वहीं ब्राउन हॉपर कीट की रोकथाम के लिये 100 ग्राम ओशेन को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से फसल के निचले हिस्सों में छिड़क सकते हैं.
बेबी कॉर्न और सरसों की अगेती खेती
जल्द खरीफ फसलों की कटाई (Kharif Crop Harvesting) पूरी हो जायेगी, जिसके बाद रबी फसलों की बुवाई (Rabi Season 2022) का शुरू काम किया जायेगा. कुछ किसान तेज बारिश या सूखा के कारण खरीफ फसलों की बुवाई नहीं कर पाये, जिसके कारण उनके खेत अभी तक खाली भी पड़े हैं. ऐसे किसान अपने खेतों में बेबी कॉर्न, स्वीट कॉर्न और सरसों की बुवाईMustard Cultivation) का काम कर सकते हैं.
- बेबी कॉर्न की बुवाई (Baby Corn Farming) के लिये एचएमच-4 किस्म के बीजों का उपचार करके खेतों में लगायें.
- स्वीट कॉर्न की खेती (Sweet Corn Cultivation) के लिये माधुरी और विन ऑरेंज किस्मों से बुवाई करके काफी अच्छा उत्पादन ले सकते हैं.
- वहीं सरसों की अगेती बुवाई के लिये पूसा सरसों- 25, पूसा सरसों- 26, पूसा सरसों- 28, पूसा अगर्णी, पूसा तारक, पूसा महक किस्मों (Top Mustard Varieties) का प्रयोग करें.
- इसी के साथ सरसों की अगेती खेती (Early Farming of Mustard) के लिये 1.5 से 2.0 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से बीजदार का प्रयोग कर सकते हैं.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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