Agriculture Advisory: सरसों की बुवाई के लिए 3 चीजों को ना करें नजरअंदाज, पराली की खाद में लगायें गेहूं, मटर, चना की फसल
Crop Management: सरसों, गेहूं, चना, मटर समेत दूसरी फसलों की बुवाई के लिये समय, तापमान, किस्म और मिट्टी में नमी का खास ख्याल रखें. पूसा संस्थान के विशेषज्ञों ने पराली के लिए भी कुछ उपाय बताये हैं.
Mustard Farming: देश के ज्यादातर इलाकों में धान की कटाई का काम पूरा हो चुका है और किसानों ने रबी फसल के लिए जमीन की तैयारी शुरू कर दी है. ऐसे में आईसीआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR-IARI) के कृषि विशेषज्ञों ने एडवाइजरी जारी की है, जिसमें बताया गया है कि सरसों, गेहूं, चना, हरी मटर समेत दूसरी फसलों की बुवाई के लिये सही समय, तापमान, उन्नत किस्म और मिट्टी में नमी का खास ख्याल रखें. पूसा संस्थान (Pusa Institute) की कृषि एडवाइजरी में पराली को लेकर भी कुछ खास उपाय बताये गये हैं.
पराली गला कर बनाए खाद
देश के ज्यादातर इलाकों में धान फसल की कटाई के बाद पराली जलाने के मामले काफी बढ़ जाते हैं. इससे प्रदूषण तो बढ़ता ही है, सेहत से जुड़ी बीमारियों की संभावनाएं भी काफी बढ़ जाती हैं. पराली जलाने के कारण धुंध बढ़ जाती है और सूर्य की किरणें फसलों तक नहीं पहुंच पाती है. इसे रबी फसलों के उत्पादन पर भी बुरा असर पड़ता है. धान की पराली जलाने के बाद मिट्टी की गुणवत्ता तो कम हो जाती है, फसल के उत्पादन पर भी बुरा असर पड़ता है.
ऐसे में किसानों को सलाह दी जा रही है कि धान की पराली को जलाने के बजाय इन अवशेषों को मिट्टी में मिला देना चाहिए. इससे जल का वाष्पीकरण नहीं होगा और मिट्टी की नमी सुरक्षित रहेगी. साथ ही यह फसल अवशेष खाद में भी तब्दील हो जाएंगे. पराली से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने के लिये इसे खाद में तब्दील कर सकते हैं. इसके लिये पूसा डीकंपोजर (Pusa Decomposer) के 4 कैप्सूल प्रति हेक्टेयर के हिसाब इस्तेमाल कर सकते हैं.
गेहूं की बुवाई के लिए सही समय
मौसम और तापमान को ध्यान में रखते हुए गेहूं की बुवाई का काम शुरू कर सकते हैं. इसके लिए खाली खेतों को तैयार करके दीमक नियंत्रण के लिये पलेवा के साथ 5 लीटर क्लोरपाईरिफास 20 ईसी को प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करें. इसके अलावा, मिट्टी की जांच (Soil Test) के आधार पर खेत में 120 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम फास्फोरस और 40 किलोग्राम पोटाश उर्वरक का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. गेहूं की बुवाई के लिये प्रति हेक्टेयर 100 किलोग्राम गेहूं के बीज काफी रहते हैं. सिंचित इलाकों में एचडी-3226, एचडी-2967, एचडी-2851 गेहूं का चयन कर सकते हैं.
तापमान के अनुसार सरसों की बुवाई
एग्रीकल्चर एडवाइजरी में कृषि विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि तापमान को ध्यान में रखते हुए जल्द से जल्द सरसों की बुवाई का काम निपटा लें. यदि खेत में गंधक की कमी है तो मिट्टी की जांच के आधार पर खेत तैयार करते समय 20 किग्रा. प्रति हेक्टेयर गंधक डालकर अंतिम जुताई लगा दें. सरसों की बुवाई के लिए मिट्टी में नमी का ध्यान रखान बेहद आवश्यक है. इस पर ही बीजों का सही जमाव और पौधों का सही विकास निर्भर करता है. वहीं सरसों की बुवाई से पहले 2.5 ग्राम कैप्टन से प्रति किलोग्राम बीजों का उपचार कर लें. किसान चाहें तो फसल के बेहतर उत्पादन के लिए कतारों में या सीड ड्रिल की मदद से भी सरसों की बुवाई कर सकते हैं.
मटर की बुवाई के लिये सलाह
यह समय मटर की बुवाई के लिए अनुकूल है. तापमान के मद्देनजर कृषि विशेषज्ञों ने भी जल्द से जल्द मटर की बुवाई करने की सलाह दी है. एडवायजरी में एक्सपर्ट्स ने बताया है कि देर से बुवाई करने पर फसल का उत्पादन को प्रभावित होता ही है, साथ ही कीट-रोगों का प्रकोप भी बढ़ जाता है. मटर की बुवाई से पहले मिट्टी में नमी का भी खास ध्यान रखें. किसान चाहें तो पूसा प्रगति और पूसा आर्केल किस्मों से बुवाई कर सकते हैं. इससे पहले 2 ग्राम कैप्टन या थीरम से प्रति किलोग्राम बीजों का उपचार कर लें. विशेषज्ञों की सलाहनुसार बीजों का फसल विशेष राइजोबियम का टीका जरूर लगाएं. इसके लिये गुड़ को पानी में उबालें और राइजोबियम के साथ बीजों पर कोटिंग लगाकर छाया में सुखायें. इसके 24 घंटे बाद बीजों की बुवाई करने पर अच्छे परिणाम सामने आते हैं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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