ICAR-IARI: मौसम की अनिश्चितताओं के बीच भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR) ने कृषि एडवायजरी जारी की है, ताकि समय रहते प्रबंधन कार्य किए जा सकें और नुकसान को भी कम किया जा सके. पिछले कुछ दिनों में पाला पड़ने पर फसलों में काफी नुकसान देखने को मिला. इधर कई इलाकों में बारिश पड़ने से प्राकृतिक सिंचाई का काम हो गया. इस बीच किसानों को सलाह दी जा रही है कि यदि पिछले दिनों आपके इलाके में बारिश हुई है तो अब खड़ी फसलों में सिंचाई का काम ना करें.
गेहूं की फसल में निगरानी
इन दिनों गेहूं की फसल में रतुआ रोग के लक्षण देखे जा रहे है, जिसकी रोकथाम के लिए लगातार निगरानी करने की सलाह दी जा रही है. यदि गेहूं की फसल में काले, भूरे या पीले रतुआ की आंशका दिखने पर डाइथेन एम-45 की 2.5 ग्राम मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोलकर फसल पर छिड़काव सकते हैं.
- अकसर पीला रतुआ रोग 10-20°C तापमान में पनपता है, लेकिन 25 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तापमान रहने पर पीला रतुआ फसल पर नहीं रहता.
- इसी तरह भूरा रतुआ रोग भी 15-25 डिग्री सेल्सियस तापमान और आर्द्र मौसम की स्थिति में पनपता है, जबकि काला रतुआ रोग के लिए 20°C से ऊपर तापमान और कम आर्द्रता होना चाहिए.
चना की फसल में कीट प्रबंधन
इन दिनों चना की फसल में छेदक कीट का संकट मंडराता है. यदि फसल में 40-45% फुलवारी हो गई है तो 3 से 4 फैरोमेन ट्रैप प्रति एकड़ के हिसाब से लगाने की सलाह दी जा रही है, ताकि बिना छिड़काव कीटों को नियंत्रण किया जा सके. एक्सपर्ट के मुताबिक, फसल के बीचोंबीच "टी" आकार का पक्षी बसेरा भी लगा सकते हैं.
सब्जियों की बुवाई
यह समय सब्जियों की बुवाई करने के लिए तापमान अनुकूल है, इसलिए किसान भाई चाहें तो नर्सरी में तैयार ककड़ी, मिर्च, टमाटर और बैंगन की पौध की खेत में रोपाई कर सकते हैं. यह समय टमाटर, मिर्च और गोभी की रोपाई करने के लिए अनुकूल है. इस समय भिंडी की डी- ए-4, परबनी क्रांति और अर्का अनामिका किस्मों की 10 से 15 किलोग्राम प्रति एकड़ बीजदर के साथ बुवाई का काम कर सकते हैं.
आलू की फसल का बचाव
यदि खेत में आलू की फसल लगाई है तो झुलसा रोग के आक्रमण से फसल का बचा और रोकथाम के उपाय करते रहे. झुलसा रोग के शुरुआती लक्षण दिखते ही कैप्टान 2 ग्राम मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोलकर फसल पर छिड़काव कर सकते हैं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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