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Agriculture Advisory: इन उपायों से रबी फसलों का उत्पादन बढ़ा सकते हैं किसान, यहां जानें बुवाई का समय और सही तरीका

Rabi Crop Farming: 11 से 18 दिसंबर के बीच गेहूं की बुवाई करने से उपज 10-12 क्विंटल तक घट सकती है, इसलिये किसानों को बेहतर उपज के लिए 30 नवंबर से पहले-पहले गेहूं की बुवाई निपटाने की सलाह दी जा रही है.

Rabi Season 2022: देश में रबी फसलों की बुवाई का सिलसिला शुरू हो चुका है. ज्यादातर फसलों की अगेती खेती के लिए 15 अक्टूबर के बाद बुवाई करना फसल के अनुकूल रहता है. कृषि विशेषज्ञों की मानें तो 15 नवंबर तक गेहूं की बुवाई करने पर किसान 45 क्विंटल तक गेहूं का उत्पादन (Wheat Production 2022) दे सकते हैं. यही कारण है कि किसानों को गेहूं की अगेती खेती करने की सलाह दी जाती है. मौसम के जोखिमों के बीच रबी फसलों से बेहतर उत्पादन लेने के लिए किसानों को जलवायु अनुकूल खेती करने के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है. इस मामले में बिहार का कृषि विभाग (Bihar Agriculture Department) भी तरह-तरह के जागरूकता कार्यक्रम चलाकर किसानों को रबी फसलों का उत्पादन बढ़ाने के तरीकों की जानकारी दे रहा है.

इस तरह बढ़ाएं गेहूं का उत्पादन 
कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, 30 नवंबर से पहले गेहूं की बुवाई करने पर फसल में अतिरिक्त खाद और सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती. ये तरीका अपनाने पर गेहूं का दाना भी 140 दिन के अंदर पक जाता है और बेहद कम मेहनत में राज्य के किसान 25 लाख टन तक गेहूं उपजा सकते हैं. वहीं गेहूं की पछेती खेती करने पर तेज हवा चलने से फसल पर बुरा असर पड़ता है. गर्म हवाओं के कारण गेहूं का दाना सूख जाता है.

साथ ही उपज की क्वालिटी भी काफी हद तक गिर जाती है. गेहूं की पैदावार कम होने से भी किसानों को उपज का सही दाम नहीं मिल पाते. एक अनुमान के मुताबिक, 11 से 18 दिसंबर के बीच गेहूं की बुवाई करने से उपज 10 से 12 क्विंटल तक घट सकती है. यही कारण है कि किसानों को गेहूं की अच्छी क्वालिटी और अधिक उत्पादन के लिए 30 नवंबर से पहले-पहले गेहूं की बुवाई निपटाने की सलाह दी जाती है.

किसानों को दिए जाएंगे इन फसलों के बीज
मौसम की अनिश्चितताओं के कारण यह खरीफ सीजन बिहार के किसानों के लिए ज्यादा अच्छा साबित नहीं हुआ. कुछ इलाकों में पानी भरने से फसलें बर्बाद हो गई तो कहीं सूखा पड़ने के कारण धान की रोपाई ही नहीं हो पाई. ऐसे में बिहार कृषि विभाग ने रबी फसलों से बेहतर उत्पादन के लिए रणनीति तैयार की है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रबी सीजन में किसानों को गेहूं, चना, मटर, मसूर, राई, सरसों, तीसी, जौ और हाइब्रिड मक्का के 3 लाख 7 हजार क्विंटल बीज उपलब्ध करवाए जाएंगे. इसके लिए जल्द किसानों से ऑनलाइन आवेदन भी मांगे जाएंगे.

इस तरह के रबी फसलों की बुवाई 
रबी फसलों से बेहतर उत्पादन लेने के लिए कतार में बीजों की बुवाई करना ही सबसे अच्छा तरीका है. इसके लिए किसान सीड ड्रिल या जीरो टिलेज मशीन का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इन मशीनों के जरिए बीज का उचित मात्रा में इस्तेमाल होता है. इन कृषि यंत्रों (Agriculture Machinery) की मदद से कतार से कतार और पौध से पौध के बीच दूरी भी निर्धारित कर सकते हैं. इस तरह बुवाई करने से बाद में निराई-गुड़ाई, कृषि कार्य, फसल की निगरानी और दूसरे प्रबंधन कार्यों में आसानी रहती है. 

  • रबी फसलों की बुवाई से पहले मिट्टी की जांच करवाना बेहद जरूरी है. इसके आधार पर ही किसानों को खेत में खाद उर्वरकों का इस्तेमाल करना चाहिए. 
  • किसान चाहें तो 6 से 8 टन कार्बनिक पदार्थ वाली वर्मी कंपोस्ट खाद और संतुलित मात्रा में उर्वरकों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. 
  • असिंचित इलाकों में खेत की तैयारी के समय अंतिम जुताई से पहले ही खाद और उर्वरक डालकर मिट्टी को तैयार करना फायदेमंद रहता है.
  • वही सिंचित इलाकों में नाइट्रोजन की आधी मात्रा और फास्फोरस-पोटाश की पूरी मात्रा का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है. 
  • ध्यान रखें कि फसल में यूरिया और नाइट्रोजन का इस्तेमाल एक बार में ना करके 2-3 बार में थोड़ी-थोड़ी मात्रा में करना चाहिए.
  • किसान चाहें तो यूरिया और नाइट्रोजन की पहली मात्रा अंतिम जुताई से पहले, दूसरी मात्रा निराई-गुड़ाई के समय और तीसरी मात्रा फसल के बेहतर विकास के लिए देनी होती है.

रबी फसलों की बुवाई का सही समय 
देश के अलग-अलग इलाकों में मिट्टी और जलवायु के अनुसार फसलों की बुवाई के लिए अलग-अलग समय निर्धारित किए गए हैं. बिहार में कृषि विशेषज्ञ, गेहूं के बेहतर उत्पादन के लिए 15 नवंबर और देर से बुवाई के लिए 30 नवंबर तक बुवाई  करने की सलाह देते हैं.

  • जौ की बुवाई के लिए सिंचित इलाकों में 15 नवंबर तक बुवाई का काम कर लेना चाहिए. 
  • मसूर की खेती के लिए 15 नवंबर तक का समय बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त रहता है. 

बाकी फसलों की बुवाई भी समय से कर लेनी चाहिए, जिससे जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों का असर फसल के उत्पादन और उत्पादकता पर ना पड़े और किसानों को फसलों के सही दाम मिल सके.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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