Growth of Paddy Plants: भारत में इस साल मानसून (Monsoon 2022) का रुख कुछ साफ नहीं रहा, जिसके कारण खरीफ फसलों का उत्पादन (Kharif Season 2022) काफी प्रभावित हुआ है. खासकर  बारिश में देरी के कारण धान के उत्पादन में कमी के आसार नजर आ रहे हैं. जलवायु परिवर्तन (Climate Change) की इस मार का असर धान की क्वालिटी (Paddy Quality)भी पर भी पड़ रहा है. रिपोर्ट की मानें तो कई राज्यों में धान की फसल में बौनापन (Dwarfism in Paddy Crop)की बीमारी फैलती जा रही है. इस बीमारी के कारण धान के पौधों की बढ़वार (Growth of Paddy Plants) रुक जाती है और समय पर धान की पैदावार (Paddy Production) नहीं मिल पाती.


शुरुआती लक्षण
धान की फसल में बौनापन की बीमारी के लक्षणों की पहचान के लिये लगातार खेतों में निगरानी करने की सलाह दी जाती है. ये बीमारी लगने पर पौधे पीले रंग के पड़ने लगता है. अकसर यह समस्या खरपतवारों के आंतक और पोषक तत्वों की कमी के कारण आती है.


विशेषज्ञों की सलाह 
भारत के विभिन्न राज्यों में धान की ग्रोथ रुक सी गई है. इस समस्या के लिये भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों ने कृषि एडवाइजरी जारी की है, जिसके तहत किसानों को कुछ आसान उपाय बताए गए हैं.



  • धान की फसल में लगातार निगरानी के साथ निराई गुड़ाई का काम जारी रखें, जिससे पौधों की जड़ों तक ऑक्सीजन का संचार हो सके और खरपतवारों का प्रबंधन किया जा सके.

  • निराई गुड़ाई के दौरान धान की फसल में पीले पौधे देखने पर उखाड़ कर फेंक दें. यही वो पौधे हैं जो पूरी फसल में बौनापन का संक्रमण को बढ़ा देते हैं.

  • यदि फसल में 5 से 20 फीसदी तक पीले पौधे दिखाई दे रहे हैं, तब इन रोगी पौधों को काटकर के बाद उनके स्थान पर नए पौधों की रोपाई कर लें.

  • धान की फसल में समय पर यूरिया डीएपी या जीवामृत का छिड़काव करें, जिससे फसल में बौनापन की समस्या पैदा ना हो.

  • फसल में जरूरत के मुताबिक ही खाद और और उर्वरकों का इस्तेमाल करें, क्योंकि आवश्यकता से अधिक उर्वरक भी फसल में विकृतियों को बढ़ा देते हैं.




वाइट बैक्ड प्लांट हॉपर की रोकथाम
इन दिनों खेत में वाइट बैक्ड प्लांट हॉपर (White Backed Plant Hopper) का खतरा भी मंडराने लगता है. धान की फसल के सिंचाई वाले पानी में  यह कीट-पतंगे पौधों की जड़ों के पास तैरती रहती हैं. इनकी रोकथाम के लिए पैक्सोलैम 10 एससी की 235 मिलीलीटर मात्रा को प्रति हेक्टेयर फसल पर छिड़कना चाहिए.



  • किसान चाहें तो ओशीन टॉकेन 20 एसजी की 200 ग्राम मात्रा या चैस 50 डब्ल्यूजी 300 ग्राम मात्रा भी प्रति हेक्टेयर फसल पर छिड़क सकते हैं.

  • इस समय धान के पौधों का निरीक्षण करते समय ध्यान रखें कि पौधों का झुकाव जरूर होना चाहिये. यदि नहीं है तो पौधों में बौनापन की समस्या (Dwarfism in Paddy) बढ़ सकती है.

  • धान की फसल का बेहतर उत्पादन (Paddy Production) लेने के लिए कृषि गाइडलाइंस को फॉलो करते रहें और कोई समस्या दिखने पर कृषि विशेषज्ञों (Agriculture Expert's Guideline) से अवश्य संपर्क करें.


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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