Agriculture Growth In Rajsthan: देश के अलग अलग स्टेट में रबी फसलों की बुवाई शुरू हो गई है. हरियाणा, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, गुजरात समेत सभी राज्य फसलों की बुवाई कर रहे हैं. इस साल मौसम ने कहर बरपाया है. कई राज्यों में पहले सूखा पड़ा, बाद में बाढ़ और फिर बारिश ने कहर बरपाया. अधिकांश स्टेट में तेज बारिश से किसानों की करोड़ों रुपये की फसल को नुकसान पहुंचा है. यह नुकसान खरीफ की फसलों का हुआ है. लेकिन पिछले महीने हुई बारिश की फसल रबी सीजन के लिए वरदान साबित होती दिख रही है. अकेले राजस्थान में एग्रीकल्चर क्षेत्र का रकबा बढ़ गया है.


राजस्थान में 15 लाख हेक्टेयर में अधिक हुई बुवाई
राजस्थान के एग्रीकल्चर के मामले में बड़ा क्षेत्र हैं. यहां अधिकांश लोगों की जीविका एग्रीकल्चर पर ही निर्भर है. राजस्थान के किसानों ने रबी की फसल बोने में अधिक दिलचस्पी दिखाई है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस साल राजस्थान में 15 लाख हेक्टेयर अधिक भूमि में रबी की फसल बोई है. इसके पीछे तर्क दिया गया है कि राजस्थान में पिछले महीने अधिक बारिश का लाभ किसानों को मिला है. 


स्टेट में 19 प्रतिशत अधिक हुई एवरेज बारिश 
राजस्थान में बारिश बेद कम होती है. यहां सूखे के हालात रहते हैं. लेकिन इस बार मौसम ने बारिश के रूप में रहम बरसाया है. इस साल राज्य में 628.32 मिमी वर्षा हुई है. यह स्टेट की एवरेज बारिश से 19.1 प्र्रतिशत अधिक है. राज्य के जल संसाधन विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो स्टेट के 33 जिलों में से 18 में इस साल असामान्य बारिश हुई है. जबकि पिछले सालों में इन जिलों में कम बारिश देखने को मिलती थी. इसी कारण राज्य में फसल बोने की स्थिति 15 लाख हेक्टेयर अधिक बढ़ गई है. 


इतना हुई फसलों की बुवाई में ग्रोथ
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यदि पिछले साल से इस साल के आंकड़ों की तुलना की जाए तो गेहूं की बुआई में करीब 103 परसेंट, जौ में 87 प्रतिशत, सरसों और तारामीरा में 16 प्रतिशत, चने में 27 प्रतिशत और अन्य फसलों में लगभग 56 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई है. अधिक फसल बोने के कारण ब्लॉकों में बीज की मांग बढ़ गई है. किसानों की कतारें बीज खरीदने के लिए देखी जा रही हैं. बाजार में भी किसान बीज खरीदने जा रहे हैं. उधर, केंद्र सरकार ने रबी 2022-23 (अक्टूबर से मार्च) सीजन के लिए 14.50 लाख मीट्रिक टन यूरिया और 4.50 लाख मीट्रिक टन डीएपी की मांग को मंजूरी दे दी है. लेकिन अभी तक केवल 1.57 लाख मीट्रिक टन यूरिया और 50 हजार मीट्रिक टन डीएपी ही सप्लाई हो सका है. 



Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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