Crops Loss Compensation: इस साल खेती पर मौसम की अनिश्चितताएं हावी रहीं. भारी बारिश के कारण असम और उत्तर प्रदेश के बाद पंजाब में भी भारी नुकसान हुआ. केंद्र सरकार के ताजा आंकड़ों से पता चला है कि पंजाब में करीब 82,727 हेक्टेयर की फसलें बर्बाद हो गईं, जिसका सीधा असर किसानों की आर्थिक स्थिति पर पड़ा. अब आलम यह है कि ज्यादातर किसान परिवारों पर 2 लाख से भी अधिक का लोन है, जिसे अब कर्जदार किसान चुकाने में असमर्थ हैं. राज्य सभा में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने जानकारी दी और बताया कि कृषि परिवारों के स्थिति आकलन और सर्वे के अनुसार पंजाब के किसान परिवार औसत कर्ज के मामले में तीसरे नंबर पर हैं, जबकि यहां के हर किसान परिवार की मासिक आय नेशनल लिस्ट में दूसरे नंबर पर है.


क्यों कर्ज में फंसे किसान
पंजाब का नाम आते ही लोगों के दिमाग में हरियाली से भरपूर खेत-खलिहान और आत्मनिर्भर-खुशहाल किसान की तस्वीर छप जाती है. इस राज्य ने फसल उत्पादन में कई रिकॉर्ड बनाए हैं, लेकिन अब यहां के किसान कर्ज के जंजाल में फंसते जा रहे हैं. राज्य सभा में प्रस्तुत आंकड़ों की मानें तो देश में औसत राशि 74 हजार 121 की तुलना में पंजाब के किसान परिवारों पर 2 लाख रुपये का लोन बकाया है.


इस मामले में एक्सपर्ट्स बताते हैं कि खेती-किसानी में नुकसान, फसल उत्पादन की लागत बढ़ने के कारण यहां के किसान परिवार अब कर्ज की चपेट में आ रहे हैं. अब किसानों को हो रही आय की तुलना में कृषि का खर्च काफी बढ़ गया है, जिससे मुनाफा कम होता जा रहा है. इससे लोन चुकाने में भी दिक्कत हो रही है.  इस समस्या के समाधान के लिए अब पंजाब के किसानों को फसल विविधिकरण को अपनाना चाहिए.


पंजाब के किसानों का विरोध
राज्यसभा को संबोधित करते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने जानकारी दी कि पंजाब की 82 हजार 727 हेक्टेयर पर खड़ी फसलें नष्ट हुई है, जबकि पंजाब के किसानों ने असल नुकसान को वास्तवित आंकड़ों से कहीं ज्यादा बताया है.


इस मामले में मीडिया रिपोर्ट के हवाले से बीकेयू (दकौंदा) के महासचिव जगमोहन सिंह बताते हैं कि सरकारी आंकड़े सच्चाई से काफी दूर हैं. फसल में हुए नुकसान के लिए सरकार को गिरदावरी करके किसानों को मुआवजा देकर आर्थिक संकट से उबारना था, लेकिन अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ.


क्यों सरकार ने नहीं दी मदद
पंजाब में हुए फसल नुकसान और इसकी भरपाई को लेकर भी केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि केंद्र सरकार ने उपज आधारित प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना चलाई है. इस स्कीम की शुरुआत साल 2016 में की गई, जिसका उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओं, मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों के चलते बीमित फसल में हुए नुकसान की भरपाई करना है.


इस स्कीम से जुड़ने वाले किसानों को आर्थिक संकट से उबारने में मदद दी जाती है. कई राज्यों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को अपनाया है, लेकिन पंजाब ने अभी तक पीएमएफबीवाई का विकल्प नहीं चुना है.


इन राज्यों में भी बुरा हाल
इस साल मौसम की अनिश्चितताओं से सिर्फ पंजाब ही नहीं, देश प्रमुख कृषि प्रधान राज्य भी प्रभावित हुए हैं. भारी बारिश से प्रभावित राज्यों में असम और उत्तर प्रदेश का नाम भी आ रहा है, जहां हजारों एकड़ में फैली फसलें जलमग्न होने का कारण नष्ट हो गईं.


इस नुकसान की भरपाई के लिए राज्य सभा में एक सवाल और पूछा गया कि किसानों को कर्ज से जंजाल से मुक्त करवाने के लिए केंद्र की कोई योजना प्रस्तावित है? इस सवाल के जवाब में कृषि मंत्री ने बताया कि सरकार की ओर से कृषि ऋण माफी और ऋण राहत योजना को बंद करने के बाद कोई राहत योजना नहीं चलाई है, लेकिन किसानों पर से कर्ज के बोझ को कम करने और साहूकारों के चंगुल से मुक्त करवाने के लिए कई पहल की हैं. 


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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