Rice Price Hike: क्यों एक ही साल में 9% तक बढ़ गए चावल के दाम, जानिए क्या है इसके पीछे की असल वजह
Rice Production: राज्य सभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि खरीफ सीजन में चावल के उत्पादन के गिरावट के बाद जनवरी से अब तक चावल की कीमतें 8.81% बढ़ गई हैं.
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Rice Price Increase: इन साल जलवायु परिवर्तन का बुरा असर कृषि क्षेत्र पर देखने को मिला है. इससे खरीफ फसलों का उत्पादन कुछ कम हो गया है. खरीफ की प्रमुख खाद्यान्न फसल चावल के उत्पादन में भी भारी गिरावट देखने को मिली है. कई इलाकों में भारी बारिश ने धान के उत्पादन को कम कर दिया है तो वहीं कई इलाकों में सूखा पड़ने से धान की खेती की नहीं हो पाई, जिसका परिणाम ये है कि जनवरी से अब तक एक साल में ही चावल के दाम 8.81 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं. चावल की बढ़ती मंहगाई को लेकर जहां जनता परेशान है तो वहीं के घटते उत्पादन ने सरकार को भी चिंता में डाल दिया है. राज्य सभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल जैसे प्रमुख धान उत्पादक राज्यों में कम बारिश के कारण इस साल चावल का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले काफी कम हुआ है. यही वजह है कि जनवरी में चावल का जो थोक भाव 3,675 रुपये प्रति क्विंटल था वो नवंबर के अंत में बढ़कर 3,999 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया है.
हर संभव कदम उठा रही सरकार
राज्य सभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री ने बताया कि चावल की घरेलू उपलब्धता सुनिश्चित करने और चावल समेत दूसरे खाद्यान्न कम कीमतों पर मुहैया करवाने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है. कई ऐसे भी उपाय किए जा रहे हैं, जिनसे उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर चावल उपलब्ध करवाया जा सके. इस बीच 1 अक्टूबर तक सरकार के पास 204.67 लाख मीट्रिक टन चावल था, जो 102.50 लाख मीट्रिक टन चावल के स्टॉकिंग मानदंड़ों से ज्यादा है.
गेहूं का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों का सहयोग
देश में चावल के घटते उत्पादन से सबक लेकर अब केंद्र सरकार ने गेहूं की हीट रेजिसटेंट यानी गर्मी प्रतिरोधी किस्मों को बढ़ावा दिया है. एक और सवाल का जवाब देते हुए कृषि मंत्री ने राज्य सभा को बताया कि पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिए सरकार ने किसानों तक डायरेक्ट हीट-रेजिसटेंट गेहूं के बीज पहुंचाए हैं. गेहूं की ऐसी किस्मों में PBW 803, DBW 187 और DBW 222 शामिल हैं, जो गर्म तापमान के प्रति सहनशील और HD 3086 जैसी किस्मों की तुलना में सामान्य उत्पादन देती हैं. अगर गर्मी के प्रति सहनशील किस्मों की बात की जाए तो HD 3086 की तुलना में DBW 187 और DBW 222 काफी अच्छे परिणाम देने वाली किस्में साबित हुई है.
गर्मी से कम नहीं होगा गेहूं का उत्पादन
जलवायु परिवर्तन, खासकर गर्मी के प्रति सहनशील किस्मों का हवाला देकर कृषि मंत्री तोमर ने बताया कि रबी सीजन 2021-22 के दौरान DBW 187 और DBW 222 किस्मों ने HD 3086 के मुकाबले 3.6 से 5.4 प्रतिशत तक अधिक गेहूं का उत्पादन दिया है. ये किस्में गर्मी के प्रति सहनशील साबित हुई है. लुधियाना स्थित पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में विकसित गेहूं की PBW 803 किस्म को सिचिंत इलाकों के लिए सबसे अच्छी किस्म बताया गया है. ये किस्म भूरा रतुआ रोग के खिलाफ प्रतिरोधी है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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