Phosphorus Fertilizer: फसल से बेहतर उत्पादन देने के लिए कई तरह की खाद और उर्वरकों का इस्तेमाल किया जाता है. इनमें फास्फोरस का नाम भी शामिल है. यह पोषक तत्व खाद्य उत्पादन में अहम भूमिका अदा करता है, लेकिन हाल ही में जारी एक रिसर्च के मुताबिक, इसके इस्तेमाल में सावधानी बरतने और सुधार करने की आवश्यकता है. वैज्ञानिकों ने फास्फोरस के इस्तेमाल से बढ़ते प्रदूषण और इसकी कमी से बढ़ती चुनौतियों पर एक डेटाबेस तैयार किया है.


इस रिसर्च से सामने आये नतीजों से फास्फोरस का सही ढंग से इस्तेमाल करने में मदद मिलेगी. बता दें कि यह रिसर्च यूनिवर्सिटी आफ मैरीलैंड सेंटर फॉर एनवायरमेंटल साइंस रिसर्च की अगुवाई में पूरी की गई है, जो अलग-अलग देशों में फास्फोरस के इस्तेमाल पर आधारित है. इस रिसर्च में पोषक तत्व प्रबंधन में फास्फोरस का सही इस्तेमाल करके टिकाऊ खेती करने की बात भी कही गई है.


फास्फोरस के बेमिसाल फायदे 
अपनी रिसर्च में शोधकर्ताओं ने बताया है कि फसल और जीवों के लिए फास्फोरस एक बेहद आवश्यक पोषक पोषक तत्व है, लेकिन कृषि क्षेत्र और पानी में इसकी अतिरिक्त मात्रा के कारण नुकसानदायक शैवाल खिलने लगते हैं. इससे पानी में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है, जो जल में रहने वाले जीवों और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए हानिकारक है.


इसके पीछे कुछ और नहीं बल्कि पोषक तत्वों का खराब प्रबंधन जिम्मेदार है. लगातार पोषक तत्व की बर्बादी के कारण पर्यावरण प्रदूषण की समस्या पैदा हो रही है. साथ ही फसल के उत्पादन में भी कमी आ रही है. जल्द ही फास्फोरस के के इस्तेमाल में सुधारात्मक कार्यवाही नहीं की गई तो सामाजिक और पर्यावरण से संबंधित समस्याएं पैदा हो सकती है.


क्या कहते हैं वैज्ञानिक
फास्फोरस पर आधारित इस रिसर्च में शोधकर्ता टैन जू बताते हैं कि प्रमुख पोषक तत्व फास्फोरस  ने दुनियाभर में कई प्रमुख चुनौतियों को दूर करने और फसलों से बेहतर पैदावार लेने में मदद की है, लेकिन इसके कुशल प्रबंधन की सख्त जरूरत है. इसकी सही आपूर्ति के लिये पोषक तत्व प्रबंधन के सही तरीकों को विकसित करने, उन पर काम करने और जरूरतमंद इलाकों में इसका उत्पादन और आवंटन करना होगा.


बता दें कि फास्फोरस उर्वरक पर आधारित यह रिसर्च अलग-अलग देशों में फसलों के उत्पादन के लिए फास्फोरस की उपयोगिता, कृषि फास्फोरस बजट और फास्फोरस उपयोग की दक्षता को एक डेटाबेस के रूप में पेश करती है. इस रिसर्च में अलग-अलग देशों में फसल उत्पादन के लिए फास्फोरस के इस्तेमाल चुनौतियां और सामाजिक-आर्थिक कारकों और अवसरों के बारे में भी बताया गया है.


अलग-अलग देशों पर आधारित है रिसर्च
अपनी रिपोर्ट में रिसर्चर्स बताते हैं कि अलग-अलग देशों में फसल उत्पादन के लिए फास्फोरस प्रबंधन की चुनौतियां और फसल उत्पादन के परिणाम काफी अलग है. वैज्ञानिकों ने ये भी बताया कि 2050 तक अनुमानित खाद्य आपूर्ति के लिए फास्फोरस के अतिरिक्त इस्तेमाल की सीमा को कम करना और दुनिया भर में इसके उपयोग की दक्षता में 70 से 80 फीसदी तक सुधार करना होगा. 


इन देशों को झटका
जाहिर है कि भारत और मेक्सिको जैसे कई देश फास्फोरस जैसे तमाम उर्वरकों का आयात करते हैं. यहां इसके काफी सीमित संसाधन है, इसलिये फास्फोरस की कमी और चुनौतियां ज्यादा है. रिसर्चर्स ने फास्फोरस का आयात करने वाले देशों को भू-राजनीतिक घटनाओं और कमजोरियों पर गौर करने की जरूरत है. साथ ही इसके विकल्प भी तलाशने होंगे. इस सह-अिसर्च में ध्ययनकर्ता और यूएमसीईएस एसोसिएट प्रोफेसर शिन झांग बताते है कि दुनियाभर में कृषि के लिए फास्फोरस और नाइट्रोजन उर्वरकों का कापी इस्तेमाल किया जाता है और इनकी कीमत भी काफी ज्यादा होती है.


बेशक ये उर्वरक फसल में पोषक तत्वों की कमी को पूरा करके खाद्य आपूर्ति सुनिश्चित करते हैं, लेकिन विश्व में प्रदूषण भी इन्हीं उर्वरकों से फैल रहा है. दुनिया का एक हिस्सा इन उर्वरकों का अधिक इस्तेमाल कर रहा है तो वहीं कई देश इसकी बुनियादी आवश्यकता को भी पूरा नहीं कर पा रहे.  ऐसे में देशों में आपसी सहयोग के साथ उर्वरकों का इस्तेमाल सुनिश्चित करना होगा. पिछले पांच दशकों में देश, फसल के प्रकार और फास्फोरस के बजट के आधार पर रिसर्च में बताया है कि इन उर्वरकों की तर्ज पर कई देश बड़ी अर्थव्यवस्था विकसित कर रहे हैं और फसल का तेजी से उत्पादन बढ़ा रहे हैं, लेकिन फास्फोरस का सही समय, सही जगह पर संतुलित इस्तेमाल बेहद जरूरी है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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