Success Story: जर्मनी की नौकरी छोड़कर भारत में उगाई मटर, खेती के दमपर बनाया करोड़ों का टर्नओवर
Pea Farming: खेती के साथ-साथ मटर की ग्रेडिंग, प्रोसेसिंग और पैकेजिंग करने वाले अजीत प्रताप आज अपने खेतों की मटर को बांग्लादेश, यूरोप और नेपाल जैसे कई देशों तक निर्यात कर रहे हैं.
Green pea Cultivation: भारत में कृषि का तेजी से विकास-विस्तार हो रहा है. आज पूरी दुनिया भारत के कृषि उत्पादों का स्वाद चख रही है. इस विदेशी निर्यात से किसानों को भी अच्छा मुनाफा हो रहा है. यही कारण है कि अब किसानों के साथ-साथ युवा भी खेती-किसानी से जुड़कर अच्छा मुनाफा कमा रहे है. हमारे बीच कई युवा ऐसे हैं, जिन्होंने अच्छी शिक्षा हासिल करने के बाद विदेशों में नौकरी करने के बजाए खेती करके ग्रामीण अर्थव्यवस्था में योगदान दिया है.
ऐसी ही सफलता की कहानियों के चलते देशभर के युवा भी खेती से जुड़ रहे हैं. ऐसे ही एक युवा हैं उत्तर प्रदेश के अजीत प्रताप, जिन्होंने जर्मनी में नौकरी करने के बाद भारत आकर खेती करने का फैसला किया. आज अजीत प्रताप मटर के बीजों का उत्पादन (Green Pea Seeds) करके करोड़ों रुपए का मुनाफा कमा रहे हैं. इनसे प्रेरित होकर दूसरे किसानों ने भी अब बागवानी फसलों की खेती (Horticulture) को तवज्जो दी है.
छोड़ी जर्मनी की नौकरी
उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले अजीत प्रताप ने आईआईआईबीएम इंदौर से एमबीए की पढ़ाई की, जिसके बाद जर्मनी की एक मल्टीनेशनल कंपनी में उनका चयन हो गया. विदेश पहुंचने के बाद भी देश की मिट्टी से लगाव कम नहीं हुआ और बेहद कम समय में वह भारत लौट आए. भारत आकर अजीत ने देखा कि यहां के किसान बंजर जमीन पर अलसी की खेती करके अच्छी आमदनी ले रहे हैं. इसी से प्रेरित होकर उन्होंने वैज्ञानिक विधि से मटर की खेती करने का फैसला किया और आज करीब 25 एकड़ जमीन पर मटर की खेती करके सालाना 5 करोड़ रुपये की आमदनी ले रहे हैं.
खेती के साथ लगाई प्रोडक्शन यूनिट
जानकारी के लिए बता दें कि अजीत प्रताप सिर्फ मटर की खेती नहीं करते, बल्कि उनके बीजों की प्रोसेसिंग के लिए एक प्रोडक्शन यूनिट भी लगाई है, जिसमें मटर के बीजों की ग्रेडिंग, प्रोसेसिंग और पैकेजिंग भी की जाती है. अजीत प्रताप मटर की खेती के लिए उन्नत किस्म के बीजों का प्रयोग करते हैं. अजीत बताते हैं कि प्रति एकड़ में मटर की खेती के लिये 15,000 रुपये की लागत आती है, जिसके बाद ऑन सीजन से लेकर ऑफ सीजन तक 80,000 तक की आमदनी ले सकते हैं
विदेशों में होता है मटर का निर्यात
खेती के साथ-साथ मटर की ग्रेडिंग, प्रोसेसिंग और पैकेजिंग करने वाले अजीत प्रताप आज अपने खेतों की मटर को बांग्लादेश, यूरोप और नेपाल जैसे कई देशों तक निर्यात कर रहे हैं. वह खुद तो आत्मनिर्भर बने ही हैं साथ ही गांव के कई किसानों मजदूरों को रोजगार भी दिया है. अजित प्रताप के गांव जालौन के कई किसान आज उनसे प्रेरित होकर बड़े पैमाने पर मटर की खेती करके अच्छा पैसा कमा रहे हैं.
मटर की खेती से आमदनी
जाहिर है कि मटर का इस्तेमाल सब्जी और दलहन के तौर पर किया जाता है, इसीलिए इसे एक नकदी फसल भी कहते हैं. भारत में सर्दियों के साथ-साथ गर्मियों में भी मटर की अच्छी खासी डिमांड रहती है, इसलिये लोग फ्रोजन मटर का बिजनेस करके ऑफ सीजन में भी काफी अच्छा मुनाफा कमाते हैं. मटर की खेती को लेकर अजीत प्रताप बताते हैं कि कर्नाटक और महाराष्ट्र के किसान मटर की खेती (Pea Farming) के लिए पीएसएम-3 और एपी-3 किस्म से बुवाई करके काफी अच्छा उत्पादन ले सकते हैं. इन किस्मों से बुवाई करके 43 दिनों के अंदर प्रोडक्शन मिलना शुरू हो जाता है. इस तरह 1 हेक्टेयर से 20 क्विंटल तक उत्पादन और 1 एकड़ से डेढ़ लाख तक की आमदनी कमा सकते हैं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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