Herbal Farming of Akarkara: भारतीय जड़ी-बूटियों (Indian Herbs) की डिमांग आज पूरी दुनिया में हो रही है. जहां विदेशों में आयुर्वेद (Ayurveda) पर भरोसा बढ़ता जा रही है, वहीं पारंपरिक उपचार के लिये भी जड़ी बूटियों का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर हो रहा है, इसलिये भारत में औषधीय फसलों की खेती (medicinal Crops Farming) के प्रति किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. ये फसलें कम संसाधन और कम मेहनत में ही किसानों को दोगुना मुनाफा दे जाती हैं.


यही कारण है कि अब किसान पारंपरिक फसलों पर मेहमत करने के बजाय औषधीय फसलों की खेती (Herbal Farming)  पर जोर दे रहे हैं. इन्हीं औषधीय फसलों में शामिल है अकरकरा (Anacyclus pyrethrum), जिसकी खेती किसानों के लिये फायदे का सौदा साबित हो रही है. 


क्या है अकरकरा
अकरकरा एक औषधीय फसल है, जिसकी देश-दुनिया में काफी डिमांड है. खासकर इसकी जड़ों को नकदी फसल के रूप में देखा जाता है. लकवा जैसी गंभीर बीमारियों से लकर मुंह के रोगों के संक्रमण के लिये अकरकरा किसी संजवीनी से कम नहीं है. रिसर्च की मानें तो युगों-युगों से इसका इस्तेमाल सर्दी जुकाम, दर्द और थकान की दवाई के रूप में किया जाता है. आयुर्वेद में लकवाग्रस्त मरीजों को अकरकरा के साथ शहद मिलकर देने से काफी हद तक आराम मिलता है.




अकरकरा के लिये मिट्टी
बाजार में अकरकरा की जड़ों की काफी डिमांड रहती है, इसलिये इसकी खेती के लिये सही मिट्टी का चुनाव काफी अहम है. इसकी खेती के लिये जल निकासी वाली भुरभुरी और नरम मिट्टी लाभकारी रहती है. इस मिट्टी में अकरकरा की अच्छी पैदावार लेने के लिये सीधी बिजाई या नर्सरी में उन्नत विधि से पौधे तैयार कर सकते हैं.


कृषि विशेषज्ञों की मानें तो कम समय में अधिक उत्पादन के लिये पौधशाला के बाद रोपाई का काम करना सही रहता है. इस काम के लिये अक्टूबर से लेकर नवंबर तक का समय उपयुक्त रहता है.




अकरकरा का उत्पादन
अकरकरा एक लंबी अवधि की औषधीय फसल है, जो 6 से 8 महीने में पककर तैयार हो जाती है. इसकी फसल में जड़ों के सबसे ज्यादा दाम मिलते हैं, जिसे कई राज्यों की मंडियों में बेचा जा सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें को मध्य प्रदेश की मंडी में प्रति किलो अकरकरा को 400 रुपये के भाव पर बेचा जाता है, जिसकी प्रति एकड़ में खेती के बाद 4 से 5 लाख रुपये की आमदनी निश्चित है.


बता दें कि प्रति एकड़ जमीन पर अकरकरा की जैविक खेती करके आराम से 10 क्विटल जड़ों का उत्पादन ले सकते हैं. वहीं इसकी खेती में शुरु से लेकर आखिर तक मात्र 40 हजार रुपये का खर्च आता है. इस प्रकार किसान 3.6 लाख से 4.6 लाख रुपये तक शुद्ध मुनाफा कमा सकते हैं. 




उत्तर प्रदेश में अकरकरा की खेती
बता दें कि अकरकरा (Akarkara Cultivation) भी आलू की तरह ही एक कंद फसल (Tuber Crop Cultivation)  है, जिसकी जड़ों की कीमत होती है. इसकी खेती मध्य प्रदेश(Madhya Pradesh), उत्तर प्रदेश(Uttar Pradesh), हरियाणा(Haryana), गुजरात (Gujarat) तथा महाराष्ट्र (Maharashtra) के अलावा कई राज्यों में की जा रही है. किसान इसे आलू की फसल (Potato Farming) के बेहतर विकल्प के रूप उगाते हैं.  


इतना ही नहीं कुछ कांट्रेक्ट फार्मिंग (Contract Farming in Akarkara) करने वाली कंपनियां भी अकरकरा की खेती करवा रही है, जिसमें किसानों को अकरकरा उगाकर कंपनी से उपज की कीमत मिल जाती है, हालांकि जैविक विधि से अकरकरा की व्यावसायिक खेती (Coomercial Farming of Akarkara by Orrganic Method)  करके भी अच्छी आमदनी काम सकते हैं.




Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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