Grow Almond for Better Income: भारत के साथ-साथ विदेशों में भी बादाम की मांग (Demand of Almond) बढ़ती जा रही है. आज बादाम सिर्फ इंसानों को सेहत तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे किसानों को आमदनी को भी कई गुना बेहतर बना सकते है. बादाम मेवा की श्रेणी में आता है, जिसकी खेती सिर्फ जम्मू-कश्मीर (Almond Farming in Jammu-Kashmir)और हिमाचल प्रदेश (Almond Farming in Himachal Pradesh) में की जाती थी, लेकिन कृषि के आधुनिकीकरण और उन्नत किस्मों की बदौलत अब कई ठंडे और पर्वतीय इलाकों के अलावा मैदानी इलाकों  में भी इसकी बागवानी कर सकते हैं.


व्यावसायिक खेती के लिये बादाम की किस्में (Commercial Varieties of Almond)
बादाम की व्यासायिक खेती करने पर किसानों को अच्छा मुनाफा मिल जाता है. इस तरह फसल की उपज भी हाथों हाथ बिक जाती है और उपज को स्टोर करने की भी झंझट नहीं होती. बता दें कि व्यावसायिक रूप से बादाम की कई किस्में दुनियाभर में मशहूर हैं. इनमें नॉन-पैरिल, कैलिफोर्निया पेपर शेल, मर्सिड, आईएक्सएल, शालीमार, मखदूम, वारिस, प्रणयज, प्लस अल्ट्रा, प्रिमोर्स्कीज, पीयरलेस, कार्मेल, थॉम्पसन, प्राइस, बट्टे, मोंटेरे, रूबी, फ्रिट्ज, सोनोरा आदि किस्में शामिल हैं. बाजार में भी इन किस्मों के बादामों को ही सबसे बढिया मानते हैं और इन्हीं की मांग सालभर बाजार में बनी रहती है.



इस तरह करें बादाम की खेती (Process of Almond Cultivation) 
कृषि विशेषज्ञों की मानें तो बादाम का बेहतर उत्पादन लेने के लिये सही जलवायु और मिट्टी में ही इसकी बागवानी करनी चाहिये. विशेषज्ञों की मानें तो सूखे गर्म उष्णकटिबंधीय इलाके इसकी खेती के लिये उपयुक्त रहते हैं, लेकिन फलों के पकते समय गर्म शुष्क मौसम होना चाहिये. 



  • ज्यादा गर्म इलाकों मे बादाम की खेती नहीं हो सकती, लेकिन इसका पेड़ अधिक ठण्ड और पाला सहन कर सकता है.

  • इसकी खेती के लिये अच्छी जल निकासी वाली दोमट और गहरी मिट्टी में जीवाश्म और कार्बनिक पदार्थों से भरपूर जैविक खाद का प्रयोग करना चाहिये.

  • सबसे पहले बादाम के बीजों से  नर्सरी में पौधे तैयार किये जाते हैं, जिसके बाद दिसंबर से जनवरी के बीच इसके पौधों की रोपाई खेतों में कर सकते हैं.


बादाम की रोपाई (Plantation of Almond Plants) 
जाहिर है कि बादाम एक फीडर पौधा है, जिसे अच्छी मात्रा में खाद और उर्वरकों की जरूर होती है, इसलिये इसके खेत तैयार करते समय प्रत्येक पेड़ के हिसाब से 20 से 25 किलो जैविक खाद डालना फायदेमंद रहता है. 



  • खेत के गड्ढों में जैविक खाद के साथ नीम की खली, यूरिया और डीएपी जालने की भी सिफारिश की जाती है.

  • यूरिया के जरिये पोषण प्रबंधन करने वाले किसानों को इसका प्रयोग तीन बार में करना चाहिये, जिसमें इसकी पहली आपूर्ति रोपाई के समय, दूसरी आपूर्ति रोपाई के 3 सप्ताह बाद और तीसरी खुराक गर्मियां यानी मई-जून के बीच करनी चाहिये.

  • बादाम के पौधों की रोपाई के बाद तुरंत खेतों में तुरंत हल्की सिंचाई का काम कर देना चाहिये. इसके बाद फरवरी-मार्च और अप्रैल-जून तक ड्रिप सिंचाई विधि से ही पानी के जड़ों तक पहुंचा सकते हैं.


बादाम की तुड़ाई और प्रबंधन (Post Harvesting Management of Almond) 
बादाम के बागों की रोपाई के बाद 3 से 4 साल में पेड़ फल देने लगता है. पेड़ों से अच्छी उपज लेने में कम से कम 6 साल का समय लग जाता है, जिसकेबाद हर 7 से 8 महीने मे फूल आने पर इसकी तुड़ाई की जाती है.



  • विशेषज्ञों की मानें तो ज्यादा सूखा और ज्यादा बारिश के समय इसके फलों की तुडाई नहीं करना चाहिये. इससे बादाम की गिरियां खराब होने की संभावना रहती है. 

  • बादाम की तुड़ाई (Harvesting of Almond) के लिये पारंपरिक तरीका अपनाया जाता है, जिसके तहत लाठी या हाथ से शाखाओं को हिलाकर फलों को गिराया जाता है. 

  • पेड़ों से बादाम के फलों (Almond Fruits) की तुड़ाई के बाद इसकी ऊपरी परत को हटा दिया जाता है और गिरी यानी नट्स (Almond Nuts) को धूप में सुखाया जाता है.

  • बाजार में बादाम के नट्स कम से कम 600 से 1000 रुपये प्रति किलो के भाव पर बेचे जाते हैं. किसान चाहें तो जीएसटी नंबर बनवाकर ऑनलाइन बिक्री (Online Shopping of Almond) कर सकते हैं.

  • इस तरह बादाम का पेड़ (Almond Tree) अगले 50 साल तक किसानों के लिये अच्छी कमाई का साधन बन सकता है.




Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


इसे भी पढ़ें:-


Amla Cultivation: यही मौसम है आंवला की खेती के लिये खास, बाजार में मिलेंगे आंवला के दोगुने दाम


Areca Nut Farming: अगले 70 साल तक लाखों का मुनाफा देगी सुपारी, इस खास विधि से शुरू करें खेती