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Amla Cultivation: यही मौसम है आंवला की खेती के लिये खास, बाजार में मिलेंगे आंवला के दोगुने दाम

Herbal Farming:कोरोना महामारी के बाद से ही आंवला की डिमांड काफी बढ़ गई है, इसलिये दवा बनाने वाली कंपनियां आंवला की व्यावसायिक खेती करवा रही हैं.

Amla farming in Monsoon: भारत में अलग-अलग जलवायु में अलग-अलग फसलों की खेती की जाती है. बात करें मानसून सीजन (Monsoon 2022) की तो बारिश, आर्द्रता और नमी के बीच कई फसलों की खेती करना फायदे का सौदा साबित हो सकता है. खासकर बागवानी फसलें इस मौसम में तेजी से बढ़ती हैं, जिसमें औषधीय फसलें (Herbal Crops) भी शामिल है. हम बात कर रहे हैं 'सौ मर्ज की एक दवा' वाले फल - आंवला (Amla Cultivation) के बारे में, जिसे फल और औषधी दोनों तरीके से इस्तेमाल किया जाता है. कोरोना महामारी के बाद से ही आंवला की डिमांड (Amla Demand) काफी बढ़ गई है, इसलिये दवा बनाने वाली कंपनियां आंवला की व्यावसायिक खेती (Commercial Farming of Amla) करवा रही हैं.

क्या है आंवला (What is Amla)
औषधीय गुणों से भरपूर आंवला का सेवन करने पर शरीर की इम्यूनिटी मजबूत होती है. कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस, विटामिन-ए, विटामिन-ई जैसी खूबियों वाले आंवला से कई हेल्थ और ब्यूटी प्रॉडक्ट्स बनाये जाते हैं. इतना ही नहीं, भारत में कई किसान ऐसे भी हैं, जो आंवला की खेती के साथ-साथ इसकी प्रोसेसिंग करके मुरब्बा, अचार, चटनी, पाउडर और कई प्रकार के उत्पाद बनाकर बेच रहे हैं. आवंला की खेती ना सिर्फ सेहत के लिहाज से बल्कि किसानों की बेहतरी के हिसाब से बहुत महत्वपूर्ण है.

मानसून में करें आंवला की बागवानी ( Amla Farming in Monsoon Season)
आंवला की बागवानी के लिये मानसून का समय बेहद अहम माना जाता है, क्योंकि इस दौरान नये बागों में तैयारी और पुराने बागों में प्रबंधन कार्य (Amla garden Management)किये जाते हैं. आंवला की खेती के लिये नर्सरी में बीज सहित पौधे तैयार किये जाते  हैं, जिसके बाद जुलाई से सितंबर के बीच खेत में पौधों की रोपाई का काम किया जाता है. इसकी बागवानी के लिये खेतों को जैविक विधि (Organic Farming of Amla) से तैयार किया जाता है, जिसके बाद रोपाई के 4 से 5 साल के अंदर पौधा फल देना शुरु कर देता है. 

  • आंवला का पेड़ 8 से 9 साल में मजबूत हो जाता है, जिसके बाद सालभर में 1 क्विंटल प्रति पेड़ से फलों की उपज मिल जाती है.
  • सबसे अच्छी बात ये है कि आवंला के पेड़ों को ज्यादा प्रबंधन की जरूरत नहीं होती. लू से लेकर पाले तक आंवला के पेड़ हर मौसम की मार झेल सकते हैं.
  • इसके बावजूद ड्रिप सिंचाई विधि (Drip Irrigation Technique)से पानी देकर इन फलों को हरा-भरा रखा जाता है. आवंला के पेड़ को गर्मी में 7 से 8 दिन और सर्दी में 12 से 15 दिन के बीच पानी देना होता है.
  • हर साल पेड़ की जड़ों में कार्बनिक गुणों वाली कंपोस्ट खाद (Compost Fertilizer)और नीम की खली (Neem Fertilizer) डाल सकते हैं, जिससे पेड़ों का बेहतर विकास हो सके.
  • इसके अलावा जैविक कीट-रोग नियंत्रण (Organic Pest Control) के जरिये आवंला के पेड़ों की जैविक और किफायती देखभाल  ही काफी रहती है.

60 साल तक मिलेगी मोटी कमाई (Beneficial Income from Amla Farming)
आवंला की बागवानी करने पर किसान 60 साल तक की कमाई को फिक्स कर सकते हैं. दरअसल एक बार आंवला के पेड़ लगाने पर सिर्फ सही देखभाल की जरूरत होती है, जिसके बाद ये 55 से 60 साल तक औषधीय गुणों से भरपूर फल देते रहते हैं. किसान चाहें तो खेत के किनारे-किनारे भी आवंला के पेड़ लगाकर दूसरी फसलों के साथ अतिरिक्त आमदनी ले सकते हैं.

  • बाजार में भी सालभर आवंला की मांग बनी रहती है. करीब एक किलो आवंला की कीमत 20 से 40 रुपये प्रति किलो होती है.
  • इस प्रकार एक हेक्टेयर में 200 पेड़ लगाने पर हर साल  3 से 4 लाख रुपये की आमदनी ले सकते हैं.
  • कृषि विशेषज्ञों की मानें तो आवंला की खेती (Commercial Farming of Amla)से ज्यादा मुनाफा कमाने के लिये इसकी व्यावसायिक या कांट्रेक्ट फार्मिंग (Contract Farming of Amla) करने पर जोर देना चाहिये.  

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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