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Animal Booth: अब बेफिक्र होकर वोट डालने जाएं किसान, पशुओं की देखभाल के लिए एनिमल बूथ हैं ना

Junagarh Animal Booths: अभी तक पशुओं की देखभाल की चिंता में किसान वोट नहीं दे पाते थे, लेकिन अब एनिमल बूथ पर दुधारु पशुओं को छोड़कर आराम से वोट देने जा सकते हैं. यहां पशुओं का पूरा ख्याल रखा जाएगा.

Animal Caring Booth: गुजरात में विधानसभा चुनाव के बीच किसानों को अलग से सुविधा दी गई है. पहले किसान पशुओं की देखभाल की चिंता में वोट ही नहीं डाल पाते थे, लेकिन अब पूरा किसान परिवार पशुओं की चिंता किए बिना वोट देने जा सकता है. दरअसल, जूनागढ़ के प्रशासन ने किसानों के लिए भारत में पहली बार एनिमल बूथ बनाया है. आइए जानते हैं इस एनिमल बूथ की खासियत.

एनिमल बूथ में मिलेगी ये सुविधाएं
गुजरात विधानसभा चुनाव के बीच देश में पहली बार एनिमल बूथ बनाए गए हैं. इससे किसानों के ये सुविधा रहेगी कि जब भी वो वोट देने जाएंगे तो इन बूथ पर अपने दुधारु पशुओं को छोड़ सकते हैं. यहां पशुओं का पूरी तरह से ख्याल रखा जाएगा. इस एनिमल बूथ्स पर गाय, भैंस और बकरी जैसे दुधारू पशुओं की देखभाल, खानपान, दवा और टीकाकरण की सुविधा भी दी गई है. जब तक किसान वोट देकर आएंगे, तब तक एक केयर टेकर टीम पशुओं की रखवाली करेगी. इसके बाद किसान अपने पशुओं को साथ ले जा सकते हैं. इन एनिमल बूथ्स पर किसानों के पालतू जानवरों के लिए हेल्थ चेक अप की सुविधा भी दी गई है.

हेल्थ पोलिंग बूथ भी खोले
जाहिर है कि गुजरात में पशुपालन बड़े पैमाने पर किया जाता है. यहां विधानसभा चुनाव का आगाज हो चुका है, जिसके तहत 1 दिसंबर से पहले चरण की वोटिंग होगी. इस बीच जूनागढ़ के प्रशासन ने सभी किसानों को वोटिंग की सुविधा मुहैया करवाने के लिए एनिमल बूथ बनाए हैं. इतना ही नहीं, यहां लोगों को लिए भी हेल्थ पोलिंग बूथ बने हैं, जहां कोई भी मतदाता अपना चेकअप करवाके इलाज ले सकते हैं.

आवारा पशुओं के लिए भी है कानून
सड़कों पर घूमते आवारा पशुओं के संरक्षण के लिए भी गुजरात सरकार ने एक कानून बनाया है, जिसके तहत पशु रखने के लिए लाइसेंस लेना होगा और जितने पशु का लाइसेंस है, उतने ही पशुओं की अनुमति मिलेगी. अगर पशुओं की संख्या ज्यादा है तो पशुपालकों को कुछ पशु बेचने पड़ेंगे या किसी को दे भी सकते हैं.

इतना ही नहीं, लाइसेंस लेने के 15 दिन के अंदर पशु की टैगिंग भी करवानी होती है. ऐसा ना करने पर प्रशासन सख्त कार्रवाई कर सकता है. इसके अलावा, पशुओं की आवाजाही के लिए भी परमिशन लेनी होती है. इस बिल का नाम गुजरात कैट कंट्रोल है.ये कानून गाय, भैंस, बकरी और बैल पर लागू होता है. ये कानून अहमदाबाद, राजकोट, सूरत, वडोदरा, गांधीनगर, जूनागढ़, भावनगर और जामनगर में लागू होता है.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

यह भी पढ़ें- Buffalo Farming: 'दुधारु पशुओं की बाहुबली' जाफराबादी भैंस, हजारों लीटर दूध उत्पादन, शेरों से भिड़ने की भी है काबिलियत

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