Animal Care in Monsoon: भारत के ग्रामीण इलाकों में ज्यादातर लोगों की आजीविका पशुपालन (Animal Husbandry) पर निर्भर करती हैं. दुधारु पशुओं (Milky Cattles) के जरिये अच्छी आमदनी लेने के लिये बदलते मौसम में उनकी सही तरह से देखभाल करना जरूरी है.  बात करें मानसून (Monsoon Care) की तो बारिश के कारण पशुओं में बीमारियां (Animal Disease) पनपने का खतरा ज्यादा रहता है. कई परिस्थितियों में लापरवाही के कारण पशुओं की जान भी चली जाती है, इसलिये अपने पशुओं की सेहतमंदी (Healthy Animals) के लिये बारिश से पहले बीमारियों के टीके (Animal Vaccination) लगवायें, पशु बाड़े यानी तेबेले में साफ-सफाई रखें और सबसे जरूरी पशुओं को साफ-सुथरा पशु चारा और पानी दें, जिससे खुरपका-मुंहपका, निमोनिया, जुकाम और जूं, चीचड़ और पिस्सू जैसे कीड़े और बीमारियों की संभावनाओं को रोका जा सके. अगर किसी कारण वश पशुओं में बीमारियां पनप रही  हैं, तो सही समय पर पशु चिकित्सक (Animal Doctor) से संपर्क करना चाहिये.


संतुलित पशु आहार (Healthy Animal Fodder)
पशुओं की ज्यादातर बीमारियों को संतुलित पशु आहार के जरिये ही रोक सकते हैं. बता दें कि संतुलित पशु आहार खिलाने से पशुओं की इम्यूनिटी बढ़ती है और पशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है.



  • ध्यान रखें कि पशुओं को आहार में ज्यादा हरा चारा नहीं खिलाना चाहिये, इससे दस्त लगने का खतरा बढ़ जाता है,

  • इसलिये पशुओं को 60 फीसदी हरे चारे के साथ 40 फीसदी सूखा चारा मिलाकर ही खिलाना चाहिये.

  • ये समस्या चारे में गीलापन के कारण फफूंद लगने से हो जाती है, जिससे पशु को बदहजमी हो जाती है.

  • गंदा चारा-पानी खाने के कारण पशुओं के पेट में कृमि और कान में जीवाणु का भी प्रवेश हो सकता है, इसलिये साफ खान-पान का खास ख्याल रखें

  • अधिक जानकारी के लिये पशु चिकित्सक से जरूर संपर्क करें.



खुरपका और मुंहपका (Foot & Mouth Disease in Dairy Animals )
बरसात के मौसम में पशुओं में होने वाली से सबसे आम रोग है. ये समस्या बीमार पशुओं के संपर्क में आने, घास, दाना-पानी, बर्तन और दूध निकालने वाले व्यक्ति के हाथों से भी फैल सकती है.



  • कई बार हवा-आंधी और अलग-अलग लोगों के संपर्क में आने पर भी पशुओं को खुरपका-मुंहपका हो जाता है.

  • इस समस्या से निपटने के लिये पशुओं को बारिश से पहले ही टीके लगवा देने चाहिये.

  • पशुओं में ये समस्या बढ़ने पर समय रहते पशु चिकित्सक से भी परामर्श कर सकते हैं.


पशुओं को कीड़ों से बचायें (Protection Against Insects)
बारिश आते-आते कीड़े- मकोड़ों भी पशु बाड़े के आसपास मंडराने लगते हैं.



  • खासकर जूं, चीचड़ और पिस्सू जैसे बाहरी परजीवियों का प्रकोप बढ़ने पर पशु बेचैन हो जाते हैं. इसके लिये पशु बाड़े की साफ-सफाई करते हैं.

  • पशुओं को फर्श को गीला न रखें और उनकी बिछावन को भी समय-समय पर बदलते रहें.

  • इसके अलावा, पशु चिकित्सक की सलाह पर देसी दवा या कोई क्रीम लगा सकते हैं. 


थनैला रोग (Mastitis In Animals)
पशुओं को दुहाने के बाद ठीक प्रकार साफ-सफाई न करने पर थनैला रोग हो जाता है. दरअसल, पशुओं को दूध दुहने के कुछ समय बाद तक थनों का मुंह खुला रहता है.



  • ऐसी स्थिति में पशुओं के जमीन पर बैठते ही फर्श पर मौजूद जीवाणु थनों में चले जाते हैं. 

  • इस समस्या के समाधान के लिये पशुओं को दुहाने के तुरंत बाद बैठने न दें.

  • दूध निकालने के तुरंत बाद साफ-गर्म पानी में जंतु नाशक दवा की कुछ बूंदें डालकर घोल बनायें और साफ कपड़े को इस दवा में भिगोकर पशुओं के थनों की सफाई करें.




जुकाम और निमोनिया (Cold & Pneumonia)
अकसर तेज बरसात (Heavy Rain) के कारण पशुओं को सर्दी लग जाती है. ऐसा तबेले और फर्श में गीलापन बढ़ने से होता है. इस दौरान पशुओं को जुकाम और निमोनिया भी हो सकता है.



  • इसकी रोकथाम के लिये पशुओं को गंदे पानी से दूर रखें, उनकी साफ-सफाई और पीने के लिये साफ पानी का इंतजाम करें.


 


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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