Animal Fodder:  ग्रामीण अर्थव्यवस्था को दो अहम पहलू हैं. एक खेती-किसानी और दूसरा पशुपालन. एक तरह से देखा जाए तो ये दोनों ही काम एक-दूसरे के पूरक हैं. कई सदियों से किसान खेती करके फसलों का उत्पादन ले रहे हैं, लेकिन साथ में अतिरिक्त आय के लिए पशुपालन भी किया जा रहा है. यहां खेत से निकले फसल अवशेषों को पशुओं के चारे के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है तो वहीं पशुओं के अपशिष्ट-गोबर से खाद बनाकर फसल से बेहतर उत्पादन लेने में मदद मिलती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन दोनों कामों के बीच एक काम ऐसा भी है, जो आज के समय में बिजनेस अपॉर्चुनिटी की तरह देखा जा रहा है.


हम बात कर रहे हैं पशु चारे के बिजनेस की. बाजार में लगातार पशु चारे की डिमांड बढ़ रही है. पर्याप्त आपूर्ति नहीं है, इसलिए चारे के भाव आसमान छू रहे हैं. कई बार तो पशु चारे का संकट भी पैदा हो जाता है.


यदि आप भी किसान, पशुपालन या गांव में ही रहते हैं तो आज ही इस बिजनेस को चालू कर दीजिए. आने वाले समय में दूध की डिमांड और पशुपालन का चलन बढ़ने वाला है. ऐसे में पशु चारा बनाने का बिजनेस आपको सालभर में ही करोड़ों का मुनाफा दे सकता है.


सरकार से लेनी होगी परमिशन
दुधारु पशुओं से अच्छे दूध उत्पादन के लिए अच्छा चारा खिलाना बेहद जरूरी है. कई किसान और पशुपालक अपने फार्म पर ही चारा बनाते हैं और सालभर के लिए स्टोर करते हैं, लेकिन आप पशु चारे की प्रोसेसिंग के बड़े पैमाने पर स्थापित करके बिजनेस का रूप देना चाहते हैं तो सरकार से लाइसेंस लेना और रजिस्ट्रेशन करवाना भी अनिवार्य है.


यह लाइसेंस FSSAI की ओर से जारी किए जाते है. इन सभी के अलावा पर्यावरण विभाग से NOC और पशु चारा बनाने वाली मशीनों के इस्तेमाल के लिए भी अनुमति लेनी पड़ सकती है. यह पशुओं से जुड़ा बिजनेस है तो पशुपालन विभाग की भी कुछ फॉर्मेलिटी पूरी करनी होंगी.


पशु चारा यूनिट लगाने के लिए सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना में आवेदन करके रजिस्ट्रेशन नंबर लें, जिसके साथ में आपको आर्थिक मदद भी मिल जाएगी, साथ ही पशु चारा बेचने के लिए GST Registration भी लेना होगा. यदि खुद के ब्रांड नाम से पशु चारा बेच रहे हैं तो ट्रेड मार्क के साथ ISI मानक के अनुरूप BIS सर्टिफिकेशन भी लेना होगा.


इन चीजों की पड़ेगी जरूरत
पशु चारा बनाने की यूनिट, प्लांट या बिजनेस करने जा रहे हैं तो शुरुआत से ही प्लानिंग करके चलें.  कच्चा माल, मशीनरी,  प्लांट के लिए जगह, मजदूरों की नियुक्ति, ट्रांसपोर्ट के साधन, व्यवसाय की मार्केटिंग, पूंजी की व्यवस्था अवश्यक कर लें.



  • ध्यान रखें कि जहां पशु चारा की यूनिट या प्लांट लगा रहे हैं, वहां सकड़ें ठीक-ठीक हों, ताकि पशु चारे का सही तरह से ट्रांसपोर्टेशन किया जा सके. 

  • पशु चारा बनाने की यूनिट में बिजली की व्यवस्था होनी चाहिए. आप चाहें तो सोलर पैनल के जरिए बिजली का खर्चा बचा सकते हैं.

  • पशु चारा बनाने और भंडारण के लिए 2000 से 2500 स्क्वायर फीट जगह लग सकती है, जिसमें 1000 से 1500 स्क्वायर फीट मशीनरी के लिए, 900 से 1000 स्क्वायर फीट कच्चे माल के लिए और चारे के भंडारण के लिए होगी.

  • पशु चारा बनाने के लिए कच्चा माल-  चावल,गेहूं ,चना, मक्के की भूसी, चोकर, मूंगफली की खल, सरसों की खल, सोयाबीन, नमक, जो सीधा थोक विक्रेता से सस्ते दाम पर खरीद सकते हैं.


कितना खर्च आएगा
अगर आपके पास गांव में खुद की जमीन है तो कुल लागत में से काफी पैसा बच जाएगा, लेकिन खुद की जमीन नहीं है तो प्लांट की स्थापना के लिए 5 लाख से 10 लाख रुपये निवेश करने पड़ सकते हैं. यदि चारा बनाने वाली आधुनिक मशीनें खरीदेंगे तो 5 लाख से 10 लाख रुपये खर्च करने होंगे.


इसके अलावा, पशु चारा बेचने के लिए ट्रांसपोर्टेशन, बिजली, पैकेजिंग और मार्केटिंग पर भी खर्च करना होगा. इस तरह कुल मिलाकर 10 से 20 लाख रुपये में पशु चारे की यूनिट लगा सकते हैं. जाहिर है कि गांव में रहने वाले लोगों, किसानों या पशुपालकों के लिए इतनी बड़ी रकम जुटाना आसान नहीं होगा.


इसलिए केंद्र सरकार ने सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना चलाई है, जिसके तहत कुल लागत पर 35 प्रतिशत की सब्सिडी मिल सकती है. नाबार्ड या अन्य वित्तीय संस्थाएं भी पशु चारे के बिजनेस के लिए लोन की सुविधा देती है. यदि आपके दस्तावेज सही हैं तो 10 लाख रुपये तक के मुद्रा लोन के लिए भी आवेदन कर सकते हैं.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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