Health Care tips for Dairy Animals: मानसून सीजन (Monsoon 2022) में बारिश और गंदगी के कारण जानवरों से संक्रमण (Animal Disease) फैलने की घटनायें बढ़ जाती हैं. चाहे वो मंकीपॉक्स (Monkey Pox)हो या लंपी वायरस(Lumpy Skin Virus), इससे इंसानों के साथ-साथ दुधारु पशुओं पर भी बुरा असर पड़ता है. हाल ही में राजस्थान में भी लंपी वायरस (lumpy Virus in Rajasthan) से जानवरों के मरने की खबरे भी सामने आ रही हैं. ऐसे में दुधारु पशुओं की साफ-सफाई, देखभाल और चिकित्सकीय जांच करवाना (Health care of Dairy Animals) बेहद जरूरी हो जाता है, ताकि समय पर बीमारी के लक्षण पहचनाकर पशुओं का देखभाल और चिकित्सकीय रोकथाम के उपाय कर सकें.


पशुपालक रहें सावधान (precaution for Dairy Farmers)
पशुओं में बीमारी फैलने पर सबसे ज्यादा नुकसान पशुपालकों को ही होता है. इससे दूध का उत्पादन होता है, साथ ही पशुओं के जान-माल की हानि से चिंता भी बढ़ जाती है. ऐसी स्थिति में पशु चिकित्सक पशुओं के व्यवहार पर नजर रखने की हिदायत देते हैं, क्योंकि किसी भी बीमारी से पहले अकसर दुधारु पशु का खान-पान, चाल-चलन और उनकी गतिविधियां बदलते देखा जा सकता है.




दुधारु पशुओं में बीमारी के संकेत (Signs of Disease in Dairy Animals)
पशुओं में संक्रमण या किसी भी रोग की संभावनाओं को आसानी से पहचान सकते हैं. शुरुआत में पशुओं के चलने का तरीका अजीब हो जाता है. 



  • अगर पशु खड़े होने या चलने में लड़खड़ाने लगे तो तुरंत चिकित्सत से संपर्क करना चाहिये.

  • पशुओं में सुस्ती भी रोग या संक्रमण का संकेत हैं. अगर दुधारु पशु ज्यादा सोने लगें या कम सक्रिय रहें तो समझ लेना चाहिये कि वे किसी रोग से ग्रस्त हैं. 

  • इन दिनों बीमारी के कारण बीमार पशुओं का तापमान जरूरत से ज्यादा गर्म या तापमान ठंडा हो जाता है. पशुपालक चाहें तो खुद या पशु चिकित्सक से जांच करवाके जल्द से जल्द इलाज शुरु करवायें.

  • रोग ग्रस्त पशुओं में डाइट की कमी भी अहम लक्षण है. जब पशु औसत से कम आहार लेने लगें या धीरे-धीरे चारे को चबायें तो ये किसी बीमारी के संकेत हो सकते हैं. 

  • लंपी वायरस से ग्रसित पशुओं में भी गर्दन और कमर दर्द की समस्या रहती है, जिस कारण उनकी गतिविधियां कम हो जाती है.

  • यह एक स्किन वायरस है, जिसमें पशुओं के शरीर पर गांठे  बनने लगती हैं. ऐसे में पशुओं को गॉट पॉक्स वेक्सीन लगवा सकते हैं.




इस तरह करें पशु रोगों की रोकथाम (Preventive Measures for Sick Animals)
मानसून की शुरुआत में ही पशुओं के लिये साफ-सुथरे और बिना नमी वाले पशु बाड़े की व्यवस्था करें, क्योंकि ज्यादातर बीमारियां नमी के कारण फैलती हैं.



  • पशुओं को साफ-सुथरा रखें, क्योंकि इस मौसम में गंदगी के कारण मच्छरों और मक्खियों जैसे खून चूसने वाले कीड़ों पशुओं में पनपने लगते है, जो रोग को कई गुना बढ़ा सकते हैं

  • अकसर देखा जाता है कि ज्यादातर बीमारियां दूषित पानी, लार और चारे के कारण ही फैलती हैं. ऐसे में पशुओं को नमीमुक्त और शुद्ध पशु चारा खिलायें और उन्हें पीने के लिये साफ पानी दें. 

  • बीमार और कमजोर पशुओं को अलग रखें और उनके खान-पान का इंतजाम भी अलग ही रखें, ताकि बीमारी दूसरे पशुओं तक न पहुंचे.

  • खासकर नवजात पशु और ब्यांत के पशुओं के लिये अलग पशु बाड़े का इंतजाम करना चाहिये, क्योंकि इस समय पशुओं का हालत ज्यादा नाजुक होती है.

  • मौसम बदलते समय पशुओं को टीके (Animal Vaccination)  लगवायें और उन्हें संतुलित आहार (Healthy Feed to Animals)  भी खिलायें, जिससे पशुओं की रोग प्रतिरोधी क्षमता मजबूत हो सके.




Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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