Sheep Farming Scheme: राज्य में भेड़ पालन को बढ़ावा देने के लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने एकीकृत भेड़ विकास योजना (ISDS) की शुरुआत की है. भेड़ पालन के क्षेत्र में आधुनिकीकरण और इसके प्रचार-प्रसार के लिए राज्य में पहले से कई सुधार के कार्य और पहल हुई है. इसमेंआईएसडीएस योजना (ISDS Scheme) का अहम रोल है, जिससे राज्य में भेड़ पालन की व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ाने और उत्पादन को मजबूती प्रदान करने में खास मदद मिल रही है. जानकारी के लिए बता दें कि जम्मू-कश्मीर में भेड़ पालन (Sheep Farming) से लगभग 12 लाख परिवारों को आजीविका मिलती है. 


क्या है एकीकृत भेड़ विकास योजना
इस योजना के तहत भेड़ पालन विभाग का उद्देश्य सिर्फ मटन और ऊन के उत्पादन को ही बढ़ाना नहीं है, बल्कि राज्य में बेरोजगारी की समस्या को भी दूर करना है. आईएसडीएस योजना के तहत भेड़ की उच्च आनुवांशिक क्षमता वाली नस्लों और विदेशी नस्लों की क्रास ब्रीडिंग, मार्केटिंग और भेड़ के लिए चिकित्सकीय सुविधाएं दी जाती हैं. इससे योजना से भेड़ पालकों की आर्थिक स्थिति में सुधार, भेड़ की उत्पादन-उत्पादन में वृद्धि और आंत्रप्रेन्योरशिप को बढ़ाने में भी खास मदद मिली है.


भेड़-बकरी पालन को बढ़ावा
एकीकृत भेड़ विकास योजना के तहत आज जम्मू-कश्मीर में भेड़ और बकरी पालन की यूनिट्स लगाई जा रही हैं. इन इकाईयों से ऊन, मांस और दूध से लेकर खाल तक का उत्पादन लिया जा रहा है, जिससे आर्थिक तौर पर कमजोर वर्गों को मजबूती मिल रही है. इस काम के लिए राज्य प्रशासन और पशुपालन विभाग भी वित्तीय सहायता, सब्सिडी और लोन की सुविधा उपलब्ध करवा रहा है. 


कैसे लें लाभ 
आईएसडीएस योजना के तहत जम्मू-कश्मीर का मूल निवासी कोई भी व्यक्ति, किसान, पशुपालक, स्वयं सहायता समूह, सहकारी समिति, किसान उत्पादक संगठन भी भेड़ पालन पर आर्थिक सहायता के लिए आवेदन कर सकते हैं. इस योजना में सभी आधुनिक उपकरणों के साथ एक भेड़ पालन की यूनिट की खरीद भी शामिल है. इस योजना के तहत राज्य प्रशासन ने 75,000 रुपये की इकाई  लागत निर्धारित की है, जिस पर अधिकतम 50 प्रतिशत तक सब्सिडी और भेड़ पालन के लिए ट्रेनिंग का प्रावधान है. इतना ही नहीं, भेड़ों में बीमारियों का प्रकोप कम करने के लिए विभाग की तरफ से पूरा सहयोग  भी मिलता है.


आजीविका कमा रहे कई परिवार
आज जम्मू-कश्मीर के कई परिवार आईएसडीएस योजना से जुड़कर आजीविका कमा रहे हैं. इसमें 33 साल की मुमताजा बेगम भी शामिल हैं, जो एक कॉलेज ड्रॉप आउट हैं और अपने गृह जिले बांदीपोरा में साल 2020 से ही भेड़ पालन कर रही हैं. मुमताजा बेगम ने आईएसडीएस योजना का लाभ लेकर 50 पशुओं के साथ भेड़ पालन शुरू किया था और आज उनके पास 250 से ज्यादा भेड़ हैं. इससे दो परिवारों को रोजगार मिल ही रहा है.


साथ ही, मुमताजा खुद भी अच्छा पैसा कमा रही हैं. भेड़ पालन के लिए मुमताजा ने दो लोग रखे हैं, जिन्हें हर महीने 9,000 रुपये देती हैं. 28 साल की मसरत जान भी युवा भेड़ पालकों में शामिल है. इसी तरह आज जम्मू कश्मीर के ज्यादातर युवाओं ने एकीकृत भेड़ पालन योजना का लाभ लेकर ना सिर्फ खुद को आत्मनिर्भर बनाया है, बल्कि कश्मीर वैली में रोजगार का भी सृजन कर रहे हैं.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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