Kharif Onion Farming: खरीफ प्याज की फसल से निकाल फेंके खतरपवार, फर्टिगेशन विधि से साथ में करें सिंचाई-उर्वरक प्रबंधन
Onion Farming:फर्टिगेशन विधि से पानी के साथ फसल को उचित मात्रा में उर्वरक भी पहुंचा सकते हैं, जिससे किसानों का पैसा, समय और मेहनत दोनों की बचत होगी.
Kharif Crop Management: भारत में प्याज का रकबा बढ़ाने के लिये उत्तर भारत के ज्यादातर किसानों ने अपने खेतों में खरीफ प्याज की फसल लगाई हुई, जिसकी समय-समय पर देखभाल करते रहना जरूरी है. इस समय तपती धूप और गर्मी के कारण फसल को नमी और पोषण की जरूरत होती है, जिसके लिये समय पर सिंचाई और पोषण प्रबंधन भी करते रहना चाहिये. इतना ही नहीं, प्याज की फसल में खरपतवार भी उग आते हैं, जिन्हें समय रहते फसल से उखाड़कर फेंक देना होगा, नहीं तो ये फसल की बढ़वार को प्रभावित करते हैं. ऐसे ही खरीफ प्याज की फसल में कई कृषि कार्य करने का ये उचित समय है, इसलिये ये सभी काम सावधानीपूर्वक निपटा लेना चाहिये.
फसल पर डालें यूरिया
- खरीफ प्याज की फसल में अच्छी बढ़वार के लिये पोषण प्रबंधन का काम करते रहना चाहिये.
- रोपाई के 30 दिन बाद 25 किग्रा. यूरिया प्रति एकड़ के हिसाब से फसल पर डाल दें.
- नैनो यूरिया या घुलनशील उर्वरकों को भी पानी में घोलकर हर 15 दिन में छिड़काव कर सकते हैं.
- अच्छी क्वालिटी और अधिक पैदावार के लिये फसल पर सूक्ष्म पोषक तत्वों का मिश्रण बनाकर फसल पर डालें
- प्याज की स्वस्थ उपज लेने के लिये फास्फोरस से बने जैव उर्वरकों का इस्तेमाल बेहतर रहता है.
खरपतवार निकालें
खरीफ प्याज की रोपाई के बाद खरपतवारों से मुक्त रखना बेहद जरूरी है. इसके लिये समय-समय निराई-गुड़ाई करते रहें.
- खरपतवारों का प्रकोप बढ़ने पर ऑक्सिफलौरफेन 23.5% ईसी की 250 मिली मात्रा 200 ली. पानी में घोलकर रोपाई के 3 दिन के अंदर छिड़क दें.
- खड़ी फसल में खरपतवारों की संख्या बढ़ने पर ऑक्सिफलौरफेन 23.5% ईसी 200 मिली. और क्विज़लफोप इथाइल 5% ईसी 400 मिली. को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ के हिसाब से फसल पर छिड़काव करें.
फसल में नमी बनाये रखें
खरीफ प्याज फसल की बढ़वार के लिये आवश्यकतानुसार सिंचाई कर देनी चाहिये.
- मिट्टी की नमी के आधार पर फसल में 7-10 दिनों के अंतराल पर हल्की सिंचाई का काम दें.
- विशेषज्ञों की मानें तो खरीफ की अगेती फसल में 5-8 बार और पछेती फसल में 10-12 बार जरूरत के हिसाब से पानी लगा दें.
- ध्यान रखें कि खुदाई के 10-15 दिन पहले सिंचाई का काम बंद कर दें. इससे फसल में सड़न-गलन होने लगती है.
- किसान चाहें तो टपक सिंचाई विधि का प्रयोग कर सकते हैं, जिससे पानी की बचत और फसल को भी जरूरत के हिसाब से पानी मिल जाता है.
- टपक सिंचाई से रोपाई के 60 दिन तक हर 10 दिन में पानी लगाने का काम कर देना चाहिये.
- फर्टिगेशन विधि से पानी के साथ फसल को उचित मात्रा में उर्वरक भी पहुंचा सकते हैं, जिससे किसानों का पैसा, समय और मेहनत दोनों की बचत होगी.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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