Bagwani Mission: पिछले कुछ सालों में देश-विदेश से फल, सब्जी, फूल, मसाले, मेवे और औषधियों की डिमांड में तेजी आई है. ये फसलें कम समय ही पककर तैयार हो जाती है, इसलिए किसानों का रुझान अब इनकी खेती की तरफ बढ़ता जा रहा है. इन बागवानी फसलों के जरिए किसानों की आय में इजाफा करने के लिए सरकार ने भी तमाम योजनाएं चलाई है, जिससे खेती के खर्च को कम किया जा सके और एडवांस तकनीकों की मदद से अधिक उपज मिलने लगे. इसके लिए किसानों को सही ट्रेनिंग और तकनीकी गाइडेंस की भी आवश्यकता होती है.


इन सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना चलाई है, जिसके तहत आवेदन करने पर लाभार्थी किसानों को बागवानी फसलों की खेती से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी, ट्रेनिंग, तकनीकी गाइडेंस और आर्थिक मदद भी दी जा रही है.


कौन ले सकता है लाभ
राष्ट्रीय बागवानी मिशन स्कीम का लाभ लेने के लिए सरकार ने पात्रता निर्धारित की है. पात्रता के मानदंडों के आधार पर ही किसानों की योग्यता को परखा जाता है. वैसे तो हर वर्ग के किसान राष्ट्रीय बागवानी मिशन का लाभ ले सकते हैं, लेकिन औषधीय उत्पादक किसान, किसान उत्पादक संघ, स्वयं सहायता समूह, गैर-सरकारी संघ, कॉर्पोरेट कंपनी, निजी/लोक उपक्रम और बागवानी से जुड़े दूसरे हितधारकों को भी शामिल किया गया है. 


कैसे करना होगा आवेदन
यदि आप भी राष्ट्रीय बागवानी मिशन से जुड़कर कृषि-बागवानी के क्षेत्र में कुछ बेहतर करना चाहते हैं तो अपने जिले के कृषि या बागवानी विभाग के कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं. आज के समय में कृषि विज्ञान केंद्र और जिला बागवानी केंद्र भी तकनीकी जानकारी और ट्रेनिंग आदि की सुविधा देते हैं.


राष्ट्रीय बागवानी मिशन से सीधा किसानों को जोड़ने के लिए सरकार ने आधिकारिक वेबसाइट nhb.gov.in भी बनाई है, जहां जाकर अपनी फसल, पात्रता, आवेदन, कैसे लाभ मिलता है, जैसी तमाम जानकारियां ले सकते हैं.


कैसे मिलेगा फायदा
वैसे तो हर वर्ग का किसान राष्ट्रीय बागवानी मिशन स्कीम का लाभ ले सकता है, लेकिन छोटी जमीन पर खेती करने वाले लघु और सीमांत किसानों को बागवानी फसलें उगाने का प्रत्यक्ष फायदा मिलता है, क्योंकि छोटी जमीन पर पारंपरिक फसलों की खेती में खाद, उर्वरक, सिंचाई और कीटनाशकों की काफी लागत खर्च हो जाती है.


वहीं राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना के जरिए फल-सब्जी की बागवानी, औषधियों की खेती, मसालों का उत्पादन, मेवा का प्रोडक्शन, मधुमक्खी पालन, मशरूम उत्पादन की उन्नत तकनीकों को बढ़ावा दिया जाता है, जिससे खर्च लगभग आधा हो जाता है.


वहीं बागवानी फसलों की मांग बाजार में सालभर रहती है, इसलिए किसानों को उत्पादन के समय से ही ऑर्डर मिल जाते हैं, जिससे मार्केटिंग की चिंता नहीं रहती. कई बागवानी फसलें लंबी अवधि की भी होती है, जो एक बार के निवेश में लंबे समय तक किसानों को उत्पादन देती है. 


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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