Rain Based Farming: कुछ राज्यों में कमजोर मानसून (Week Monsoon 2022) के कारण किसानों को खरीफ फसलों (Kharif Crop) की बुवाई में काफी परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं. खासकर बात करें धान (Paddy Crop)की, तो इसकी खेती में पानी की खपत अधिक होती है, वरना फसल की क्वालिटी प्रभावित हो जाती है. ऐसी स्थिति में उन उपायों पर काम करना चाहिये, जिससे कम पानी में भी अच्छा और क्वालिटी उत्पादन लिया जा सके. इस मामले में विशेषज्ञ बताते हैं कि सही तरह से पौधशाला (Paddy Nursery) तैयार करने और अच्छी क्वालिटी के खाद-बीज (Seed-Manure)और उर्वरकों (Fertilizer) का इस्तेमाल करने पर कम पानी में धान की अच्छी उपज (Paddy Production) मिल सकती है. 


धान की नर्सरी की देखभाल (Care of Paddy Crop)
धान की अच्छी उपज के लिये जरूरी है कि इसकी बुवाई के समय से ही नर्सरी में पोषण प्रबंधन, बीजोपचार, कीट-रोग नियंत्रण जैसे काम कर लिये जायें, जिससे रोपाई के बाद फसल में जोखिमों को संभावना को कम किया जा सके. अकसर धान की नर्सरी में पौधों का रंग पीला पड़ने लगता है, जो लौह तत्व की कमी का संकेत है. ऐसी स्थिति में 0.5% फेरस सल्फेट में 0.25% चूने  का घोल बनाकर नर्सरी पर छिड़काव कर देना चाहिये. 



जरूरत के हिसाब डालें उर्वरक (Fertilizer in Paddy Crop)
धान की कई किस्में ऐसी होती हैं, जिन्हें ज्यादा खाद-उर्वरक की जरूरत नहीं होती. वहीं कई फसलों को तेजी से बढ़ने के लिये अच्छी मात्रा में नाइट्रोजन और जिंक की जरूरत पड़ती है. ऐसे में फसल और किस्म की जरूरत के हिसाब से ही खाद और उर्वरकों का प्रयोग करें. फसल में पोषण की कमी को पूरा करने के लिये खेत में अजोला या फिर प्रति एकड़ खेत में एक पैकेट नील-हरित शैवाल डालना भी लाभकारी रहता है. 


धान में ऐसे करें सिंचाई (Water Management in Paddy)
कम बारिश वाले इलाकों में धान को समय पर पानी देना बेहद जरूरी है, नहीं फसल कमजोर हो जाती है. वहीं धान की फसल में जरूरत से ज्यादा पानी भी मुसीबत खड़ी कर सकता है. ऐसी स्थिति में रोपाई के 20-25  दिन बाद खेतों से अतिरिक्त पानी निकाल दें और फसल की जड़ों में धूप और हवा लगने दें. ये बहुत नाजुक समय होता है, इसलिये फफूंदी रोगों की भी निगरानी करते रहें.


सौ मर्ज की एक दवा (Organic Pesticide in Paddy) 
धान की फसल (Paddy Crop) में कीड़े और बीमारियां चुपके से घर कर जाते हैं, ऐसी स्थिति में नीम से बने कीट नाशक (Neem Pesticide) और जीवामृत (Jeevamrit) का प्रयोग फायदेमंद रहता है. ये जैविक समाधान (Organic Fertilizer & Pesticides)रासायनिक दवाओं से सस्ते और ज्यादा असरकारी होते हैं. इनसे धान की फसल को बीमारियों से लड़ने की शक्ति मिलती है और पौधों की बढ़वार भी तेजी से होती है.


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


इसे भी पढ़ें:-


Crop Insurance: खरीफ फसलों के किसान हो जायें सावधान, 31 जुलाई तक करवायें फसल का बीमा


Alert: घटिया उर्वरकों से फसल को हो सकता है भयंकर नुकसान, ऐसे करें असली-नकली की पहचान