Animal Green Feed: सर्दियां आते-आते पशु की देखभाल की चिंता भी बढ़ जाती है. शीतलहर के बीच पशुओं से सही दूध उत्पादन नहीं मिल पाता. वैसे तो हर पशुपालन अपनी सहूलियत के हिसाब से गाय, भैंस, बकरी को सही आहार देते हैं, लेकिन सर्दियों में पशुओं की अच्छी सेहत के लिए इतना काफी नहीं है.एक्सपर्ट्स बताते हैं कि पशुओं को सर्दियों में साधारण चारे के अलावा जैविक पशु आहार अजोला भी खिला सकते हैं. ये एक जलीय पौधा है, जिसे पानी की बाल्टी, टब, टैंक या तालाब में भी उगा सकते हैं.

ये पूरी तरह से नेचुरल है, जिसमें पोषक तत्व, खनिज और तमाम न्यूट्रिएंट्स भी मौजूद होते हैं.अच्छी बात ये भी है कि ये पशु चारा सिर्फ गाय, भैंस, बकरी का दूध ही नहीं बढ़ाता, बल्कि मुर्गियों और बतखों को भी खिलाया जा सकता है. 

पशुओं की कितनी मात्रा में खिलाएं अजोला
वैसे तो ग्रामीण पशुपालन के तहत आने वाले हर पशु के लिए अजोला पशु चारा बहुत ही फायदेमंद होता है, लेकिन ये हर पशु को अलग-अलग मात्रा में दिया जाता है. नीचे दी गई लिस्ट से आप पता लगा सकते हैं कि किस पशु को कितनी मात्रा में अजोला पशु आहार खिलाया जाना चाहिए.

पशुओं को कितनी मात्रा में खिलाएं

अजोला घास

(Azolla)

पशु

अजोला की मात्रा

गाय, भैंस, बैल

500 ग्राम से 2 किलोग्राम

बकरी

300 से 500 ग्राम

मुर्गी या बतख

20 से 30 ग्राम

खरगोश

100 ग्राम

सुअर

500 ग्राम से 2 किलोग्राम

 

क्या हैं इसके फायदे
किसी भी साधारण हरे चारे की तुलना में अजोला चारा खिलाने से पशुओं की सेहत बेहतर रहती है. बाकी चारे तो सिर्फ पशुओं की खाना पूर्ति के लिए है, जबकि अच्छे दूध उत्पादन के लिए बिनौला, तेल की खली, सप्लीमेंट्स खिलाएं जाते हैं.

ये अजोला पशु चारा भी एक तरह का प्रोटीन सप्लीमेंट है, जिसमें लोहा, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, तांबा, मैंगनीज जैसे खनिज तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं. इसमें पशुओं के विकास में मददगार  अमीनो एसिड, प्रोबायोटिक्स, बायो-पॉलिमर और बीटा कैरोटीन और विटामिन ए और विटामिन बी-12 भी पर्याप्त मात्रा में होते हैं.

एक्सपर्ट्स बताते हैं कि सर्दियों में अजोला खिलाने से पशुओं की शरीर में गर्माहट कायम रहती है. ये इसलिए भी जरूरी है क्योंकि शीतलहर से दुधारु पशु की सेहत बिगड़ने के आसार होते हैं.

कैसे उगाएं अजोला चारा
अगर आपके पास खेत-खलिहान या जमीन नहीं है तो अजोला अपने घर की छत पर भी अजोला उगा सकते हैं. ये पूरी तरह पानी में उगने वाला चारा है. आप चाहें तो कई बाल्टियों, टब, सीमेंट या प्लास्टिक के टैंक या फिर आंगन में तालाब बनाकर भी पानी में अलोजा उगा सकते हैं. इसे उगाने के लिए खेत की अच्छी उपजाऊ मिट्टी को गोबर के साथ बारीक छानकर पानी में डाल दिया जाता है.

  • यदि तालाब में अजोला उगा रहे हैं तो 6X4 फीट बड़े और 4-6 इंच गहरे तालाब में 1 किलोग्राम अजोला फर्न यानी बीज लगेगा. 
  • इसके फर्न से आपको पूरा तालाब कवर करना होगा. आफ चाहें तो अजोला चारे की अच्छी उपज के लिए बायोगैस का घोल भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
  • अजोला का बीज डालने के 12 से 15 दिन के अंदर चारे का उत्पादन मिल जाता है, जिसे छानकर सुखा सकते हैं या पानी से सीधा निकालकर-धोकर पशु को खिलाएं.
  • रोजाना दुधारु पशुओं को 1 से 2 किलोग्राम अजोला खिलाने से तंदुरुस्ती बढ़ती है, दूध की क्वालिटी बेहतर बनती है और 15% तक दूध का उत्पादन भी कर सकते हैं.
  • बता दें कि बारिश वाले या नमीदार इलाकों में अजोला तेजी से बढ़ता है. इसका इस्तेमाल पशु चारे के अलावा खेत की उपज बढ़ाने के लिए जैविक खाद के तौर पर भी करते हैं.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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